कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने सीनियर पुलिस अधिकारी के बीच तीखी बहस के बाद उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पुलिस के खिलाफ विशेषाधिकार भंग करने की कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आईपीएस पुलिस अधिकारी ने मोबाइल बाहर रखने जैसी सामान्य बात के लिए विधायक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया.
गुजरात कांग्रेस के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी को पत्र लिखकर सीनियर पुलिस अधिकारी एडीजी एससी-एसटी सेल राजकुमार पांडियन के खिलाफ विशेषाधिकार भंग करने के मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीनियर आईपीएस राजकुमार पांडियन ने मोबाइल बाहर रखने जैसी सामान्य बात के लिए विधायक के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया. मेवाणी ने कहा कि राज्य में दलितों पर हो रहे अन्याय को लेकर हम सीनियर आईपीएस के पास पहुंचे थे जो कि एससी-एसटी सेल के एडीशनल डीजी भी हैं.
'मोबाइल रखने की बात पर भड़के IPS ऑफिसर'
उन्होंने कहा कि वह विधायक के पास मोबाइल होने की वजह से भड़क गए और मोबाइल बाहर रखने को कहा, जिस पर विधायक ने उनसे पूछा कि ऐसा कहां लिखा है कि पुलिस अधिकारी को मिलने के वक्त पर मोबाइल नहीं रख सकते, जिसके बाद उन्होंने अपने स्टाफ को विधायक और उनके साथियों के मोबाइल ले जाने को कहा. जिसके बाद मेवाणी ने कहा कि हम दलितों के सवालों और समस्या पर बात करने आए हैं. आप चाहते है तो मोबाइल बाहर रखवा देते हैं, पर आप जिस भाषा में बात कर रहे हैं, वह योग्य नहीं है. विधायक के साथ बातचीत के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने को लेकर भी जिग्नेश ने विरोध जताया.
मेवाणी ने कहा कि टी-शर्ट पहनी थी उस बात पर भी सीनियर पुलिस अधिकारी ने कमेंट किया, जो योग्य नहीं था. जिस तरह से सीनियर पुलिस अधिकारी ने विधायक और उनके साथियों के साथ व्यवहार किया, वह ठीक नहीं है. और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है. अधिकारी ने नियमों का पालन नहीं किया, जिसके लिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार भंग की कारवाई की मांग कर रहे हैं. इस दौरान उनके (जिग्नेश मेवाणी) साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता अमित छावडा और वरिष्ठ विधायक डॉ तुषार चौधरी भी मौजूद थे.