उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि नागरिक अपने फेफड़ों के साथ-साथ शहरों के फेफड़ों का भी ध्यान रखें. दिल्ली और इससे दूर भी पर्यावरण प्रदूषण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. ब्रोंकोन 2025 का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अथर्ववेद में भी कहा गया है कि तकनीक का सटीक प्रयोग जीवन को सरल और सार्थक बनाता है. श्वास से ही जीवन है लेकिन वो स्वच्छंद होनी चाहिए.
'हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा'
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हमारा ज्ञान और संस्कृति ही हमारी धरोहर और खजाना है. हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना ही होगा क्योंकि दुनिया उम्मीद भरी निगाहों से हमारी ओर ही देख रही है. दुनिया हमारे प्राचीन ज्ञान और तकनीक की ओर लौट रही है. योग, पाक कला और आयुर्वेद इनमें से एक है क्योंकि ये सब तार्किक और समाधान से भरे हैं.
'बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों की सोचिए'
उन्होंने कहा कि महानगरों को मेडिकल सुविधाओं से युक्त कर देना ही समाधान नहीं है, जिला स्तर पर सुविधाएं बढ़ानी होगी. आप औद्योगिक इलाकों में रहने वाले बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों की सोचिए. पराली जलने और औद्योगिक प्रदूषण से उनकी सांसें घुट रही हैं. समाधान सिस्टमेटिक विकास ही है, अंधाधुंध विकास नहीं.
'एयर प्यूरीफायर समाधान नहीं है'
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करना गर्व की बात होनी चाहिए, इगो आड़े ना आए. आज हमारे जल स्रोत बंद हो गए क्योंकि उपेक्षित हैं, कभी उनकी पूजा होती थी. एयर प्यूरीफायर समाधान नहीं बल्कि प्रकृति संरक्षण में ही कई समाधान हैं. लेकिन हम सिर्फ तकनीक पर निर्भर हो गए हैं. ये हमारे घर, दफ्तर, वर्क प्लेस में गहरे पैठ गई है. सब साफ हवा में आसानी से सांस लें, इसका इंतजाम होना चाहिए.