दिल्ली महिला आयोग (DCW) की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट के मामले में गिरफ्तार बिभव कुमार की न्यायिक हिरासत तीस हजारी कोर्ट ने 16 जुलाई तक बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी बिभव की न्यायिक हिरासत खत्म होने के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तीस हजारी कोर्ट में पेशी हुई थी.
बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था, इससे कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया था कि 13 मई को केजरीवाल के आवास पर उनके साथ मारपीट की गई थी. उनकी पहली जमानत याचिका 27 मई को खारिज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि मालीवाल की ओर से FIR दर्ज करवाने में कोई 'पूर्व-योजना' नहीं थी और उनके आरोपों को 'खारिज' नहीं किया जा सकता.
7 जून को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि उन पर 'गंभीर और गंभीर' आरोप हैं और ऐसी आशंका है कि वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. 1 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने बिभव कुमार की ओर से दायर याचिका को विचारणीय माना था, जिसमें उन्होंने मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और इस पर दिल्ली पुलिस का रुख पूछा था.
कुमार के खिलाफ 16 मई को IPC के विभिन्न प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की गई थी, जिसमें महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास करने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं. बिभव कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन और कानून के जनादेश के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश देने की मांग की है.
कुमार ने दावा किया कि उन्हें 'अप्रत्यक्ष उद्देश्य' से गिरफ्तार किया गया था, जबकि उनकी अग्रिम जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट में लंबित थी, जो उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कानून का भी उल्लंघन है. कुमार ने याचिका में अपनी 'अवैध' गिरफ्तारी के लिए 'उचित मुआवजा' और उनकी गिरफ्तारी के निर्णय लेने में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की है.