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'बच्चों की सांसों से कोई समझौता नहीं...', दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लगेंगे 10 हजार एयर प्यूरीफायर

दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बड़े कदमों का ऐलान किया है, जिसके तहत पहले चरण में 10 हजार सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे और बाद में सभी क्लास रूम को इसके दायरे में लाया जाएगा. साथ ही सितंबर 2026 तक भलस्वा लैंडफिल साइट खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.

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दिल्ली सरकार ने राजधानी के 10 हजार सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने का फैसला किया है. (Photo: ITG)
दिल्ली सरकार ने राजधानी के 10 हजार सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने का फैसला किया है. (Photo: ITG)

दिल्ली सरकार राजधानी के सरकारी स्कूलों में बच्चों को साफ हवा देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में 10 हजार सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे, जिसके लिए आज टेंडर जारी किया जाएगा. अगले चरण में सभी सरकारी स्कूलों के क्लास रूम में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे और अंततः हर क्लास को इसके दायरे में लाया जाएगा.

सरकार का कहना है कि वह बच्चों की सांसों से कोई समझौता नहीं करेगी और न ही ऐसा होने देगी. इसके साथ ही सितंबर 2026 तक भलस्वा लैंडफिल साइट को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य भी रखा गया है. 

‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ अभियान का दिखा असर

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए शुरू किए गए ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ अभियान का पहले ही दिन बड़ा असर देखने को मिला है. महज 24 घंटों में 61 हजार से ज्यादा प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी किए गए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 17 दिसंबर को करीब 29,900 और 18 दिसंबर को शाम तक लगभग 32,000 प्रमाण पत्र जारी हुए. इस दौरान वैध प्रमाण पत्र न होने पर 3,700 से ज्यादा वाहनों के चालान किए गए.

पेट्रोल पंपों पर सख्ती, सीमाओं पर जांच तेज

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पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने दिल्ली की सीमाओं और प्रमुख पेट्रोल पंपों पर औचक निरीक्षण कर अभियान की स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने कर्मचारियों को निर्देश दिए कि बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र किसी भी वाहन को ईंधन न दिया जाए. साथ ही कहा कि नियमों को सख्ती के साथ लेकिन शालीनता से लागू किया जाए, क्योंकि यह अभियान चालान से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य और साफ हवा से जुड़ा है.

पहले दिन दिल्ली की सीमाओं पर करीब 5 हजार वाहनों की जांच की गई. इनमें से 568 गैर नियमों का पालन करने वाले या गैर गंतव्य वाहनों को वापस लौटाया गया, जबकि 217 गैर गंतव्य ट्रकों को वैकल्पिक मार्गों की ओर मोड़ा गया.

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