Shankh Benefits For Sleep Apnea: नींद का असर हमारे डेली रूटीन पर भी पड़ता है और इसी वजह से जब नींद पूरी नहीं होती है तो इंसान पूरे दिन चिड़चिड़ा रहता है. मगर आज के दौर में हर उम्र के इंसान में नींद की गंभीर बीमारी काफी ज्यादा देखने को मिल रही है. भारत में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं, जबकि केवल यूके में ही करीबन 80 लाख लोग इससे पीड़ित हैं. भारत में पूजा के दौरान शंख बजाने की मान्यता है और लोग इसका इस्तेमाल आम दिनों में भी अपने घरों में पूजा के समय करते हैं. लेकिन एक नई रिसर्च में सामने आया है कि शंख बजाने से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या स्लीप एपनिया एक नींद से जुड़ी गंभीर समस्या है, जिसमें सोते समय व्यक्ति की सांस बार-बार रुक जाती है. यह रुकावट कुछ सेकंड से लेकर एक मिनट तक हो सकती है और पूरी रात में कई बार ऐसा होता है, जिसकी वजह से इंसान की नींद पूरी नहीं होती है. OSA से प्रभावित शख्स को दिन के दौरान थकान महसूस होती है और इसकी वजह से उसका पूरी लाइफस्टाइल पर भी इफेक्ट पड़ता है. यह बीमारी अक्सर भारी और असुविधाजनक मशीनों से ही कंट्रोल होती है, जिस पक काफी खर्चा भी होता है.
तेज और खर्राटों वाली नींद
रात में सांस रुकने या घुटने की अनुभूति
सुबह सिरदर्द और थकान
दिन में नींद आना और ध्यान न लगना
ब्रिटेन के इटरनल हार्ट केयर सेंटर और जयपुर के टर्नल हार्ट केयर सेंटर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (EHCC) की नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि महज शंख बजाने से ही स्लीप एपनिया यानी OSA के मरीजों को राहत मिल सकती है और उनकी नींद की क्वालिटी (गुणवत्ता) में सुधार आ सकता है. इस ट्रायल में 19 से 65 साल की उम्र के 30 मरीज शामिल थे, इन लोगों को दो ग्रुप में बांट दिया गया था.
एक ग्रुप के 16 लोगों को शंख दिया गया है और उनको बजाने की ट्रेनिंग भी दी गई और इनके अलावा दूसरे ग्रुप को डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के लिए कहा. इन दोनों ही ग्रुप के लोगों को 1 हफ्ते में 15 मिनट कम से कम 5 दिन इसकी प्रैक्टिस करनी थी. इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि नियमित शंख बजाने वाले मरीजों में दोपहर के समय थकान की दिक्कत में भी 34 प्रतिशत तक कमी आई और उनके ब्लड ऑक्सीजन का लेवल भी ठीक हुआ. इन लोगों की नींद की गुणवत्ता में भी सुधार पाया गया.
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के मौजूदा इलाज की बात करें तो फिलहाल नींद की इस बीमारी का सबसे आम इलाज CPAP मशीन है, जिसमें मरीज को सोते समय नाक और गले में दबावयुक्त यानी प्रेशराइज्ड हवा पहुंचाने के लिए मास्क पहनना पड़ता है. लेकिन ये मशीने बहुत महंगी होती हैं और लोग इसे अनकंफर्टेबल भी मानते हैं. बता दें कि पहले एक रिसर्च में ये भी पाया गया है कि वुडविंड इंस्ट्रूमेंट(बांसुरी-शहनाई) बजाना भी OSA में मददगार हो सकता है.
रिसर्च के हेड शोधकर्ता डॉ. कृष्ण के. शर्मा ने कहा, 'CPAP मशीन के मुकाबले शंख बजाना एक आसान, सस्ता और नॉन-इनवेसिव ब्रीदिंग तकनीक है. जो बिना मशीन या दवाओं के नींद सुधारने और लक्षण कम करने में मदद कर सकती है. '
शंख बजाना एक पुराना योगिक अभ्यास है, जिसमें इंसान गहरी सांस लेकर अपनी पूरी ताकत के साथ मुंह को सिकोड़कर शंख में हवा छोड़ता है. इससे तेज कंपन और वायु प्रतिरोध पैदा होता है जो गले और सॉफ्ट पैलेट के साथ ऊपरी श्वसन मांसपेशियां को मजबूत कर सकता है. यही वो हिस्सा होता है जो OSA में नींद के दौरान ढह जाता हैं.
Asthma + Lung UK की रिसर्च एंड इनोवेशन हेड, डॉ. एरिका केनिंगटन ने कहा, रिसर्च के रिजल्ट से एक्साइटमेंट तो हुई है, लेकिन ट्रायल का साइज छोटा होने के कारण ये कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि शंख बजाना ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया को पूरी तरह से कंट्रोल कर सकता है. फिलहाल ये भी साफ नहीं हुआ है कि नियमित तौर पर शंख बजाना लक्षणों में सुधार क्यों लाता है.
बड़े लेवल पर और शराब कम पीना, एक्टिल रहना और अच्छी नींद की आदतें अपनाना जैसे अन्य चीजों के साथ तुलना करना भी अहम है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है, लेकिन सही इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसके लक्षणों में बड़ा सुधार लाया जा सकता है.