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कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें, भविष्य के बारे में अनिश्चितता, Monkey Pox पर WHO की जानकारी

मंकीपॉक्स के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि इस वायरस की वजह से कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें देखने को मिल रही हैं.

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Monkey Pox पर WHO की जानकारी
Monkey Pox पर WHO की जानकारी

मंकीपॉक्स को लेकर दुनिया में खतरे की घंटी बज चुकी है. जिस तेजी से यूरोपीय देशों में इस वायरस ने अपनी दस्तक दी है, उस वजह से भविष्य को लेकर तमाम तरह की अनिश्चितताएं दिख रही हैं. अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस खतरे पर अपनी तरफ से विस्तृत बयान जारी किया है. बताया गया है कि इस वायरस की वजह से कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें देखने को मिल रही हैं.

मंकीपॉक्स से कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें

WHO की माने तो मंकीपॉक्स कम्युनिटी में फैल सकता है, लेकिन किस स्तर तक फैलेगा, ये पता लगाना काफी मुश्किल है. इस वायरस का मृत्यु दर 3-6 % दर्ज किया गया है. WHO ने इस बात पर भी जोर दिया है कि मंकीपॉक्स की तुलना कोरोना से नहीं की जा सकती है. कुछ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के खिलाफ भी किया जा सकता है. इस पर WHO मानता है कि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि देशों के पास स्मॉल पॉक्स की कितनी वैक्सीन मौजूद हैं. ऐसे में जब तक सभी देश अपनी तरफ से आंकड़े जारी नहीं कर देते, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.

कितने देशों तक फैला वायरस?

वैसे जो आंकड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक मंकीपॉक्स अभी तक 21 देशों तक फैल चुका है और इसके 330 मामलों की पुष्टि हो गई है. 99 ऐसे भी संभावित मामले माने जा रहे हैं जिनके सैंपल की जांच अभी जारी है. चिंता वाला ट्रेंड ये भी है कि मंकीपॉक्स पहले सिर्फ अफ्रीकी देशों तक सीमित था, लेकिन पहली बार अब इसके मामले यूरोपीय देशों में भी सामने आने लगे हैं. कुछ दूसरे और देशों में भी मंकीपॉक्स के केस दर्ज हो गए हैं. 

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भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

अभी तक भारत में मंकीपॉक्स के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है. इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी तक कोई मामला तो सामने नहीं आया है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है. जो लोग पश्चिमी या फिर सेंट्रल अफ्रीका से आ रहे हैं, उन पर नजर रखना ज्यादा जरूरी है. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और Molecular Biology Unit के हेड डॉक्टर सुनित के सिंह बताते हैं कि मंकीपॉक्स ज्यादा तेजी से नहीं फैलता है. जब तक कोई संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में ना आ जाए, इस वायरस का फैलना मुमकिन नहीं है.

डॉक्टर सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया है कि मंकीपॉक्स को फैलने से आसानी से रोका जा सकता है. इसके जितने भी मामले सामने आते हैं, सभी में कोई ना कोई लक्षण प्रमुखता से दिख जाता है. लेकिन कोरोना वायरस में कई बार बिना लक्षण के भी दूसरों तक संक्रमण पहुंचाया जा सकता है, इसी वजह से मंकीपॉक्स को कंट्रोल में करना ज्यादा आसान है. इसके मामले बिना किसी चुनौती के ट्रेस भी किए जा सकते हैं.

कितना घातक है मंकीपॉक्स?

वहीं डॉक्टर स्वपनिल तो ये भी मानते हैं कि मंकीपॉक्स के असल में दो स्ट्रेन हैं, एक जो घातक है तो दूसरा कम खतरनाक रहता है. इस समय कम खतरनाक वाला स्ट्रेन कुछ देशों में फैला है. वहीं क्योंकि कई लोगों को स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगी हुई है, ऐसे में मंकीपॉक्स को रोकना ज्यादा मुश्किल नहीं है.

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अभी के लिए रिसर्च भी ये बता रही है कि स्मॉलपाक्स के खिलाफ इस्तेमाल में लाए जाने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी असरदार है. 85 फीसदी तक उस वैक्सीन को असरदार माना गया है. अस्पताल में भी जो मरीज भर्ती हो रहे हैं, किसी भी कोई गंभीर लक्ष्ण नहीं है.

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?

मंकीपॉक्स के लक्षण की बात करें तो संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है. बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं. 
 

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