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'उस पल से डरने की जरूरत...' भारतीय साइंटिस्ट ने बताया कब इंसानी दिमाग पर भारी पड़ेगा AI

India Today Conclave: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2025 के दूसरे दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक सेशन में प्रोफेसर डॉक्टर पी. मुरली दोराईस्वामी ने बताया कि AI आने के बाद से किस तरह हेल्थ सेक्टर में बदलाव हो रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि AI कई मामलों में इंसानी दिमाग से काफी आगे है.

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कब AI इंसानी दिमाग को पीछे छोड़ देगा (Photo: ITG)
कब AI इंसानी दिमाग को पीछे छोड़ देगा (Photo: ITG)

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई 2025 के दूसरे राजनेता से लेकर सिनेमा जगत से जुड़ी कई हस्तियों ने शिरकत की. इस दौरान दुनिया भर में फैलते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर भी बातचीत की गई. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े एक सेशन ह्यूमन माइंड vs मशीन माइंड: द रेस ऑफ सुपरइंटेलिजेंस (Human Mind Vs Machine Mind: The Race for Superintelligence) में प्रोफेसर डॉक्टर पी. मुरली दोराईस्वामी भी शामिल हुए. पी मुरली एक भारतीय वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर हैं. 

क्या फ्यूजर बता सकता है AI

इस दौरान जब पी मुरली ने पूछा गया कि हमारे सामने जो AI है वो इससे जुड़ा है कि अतीत में इंसानों के साथ क्या हुआ. वो अतीत बताता और उसे समझता है और फिर उस पर काम करता है, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, हमारी जिंदगी अनिश्चित है और आप भविष्य का अनुमान नहीं लगा सकते. ऐसे में भविष्य की भविष्यवाणी करने में AI का क्या रोल हो सकता है.

इस सवाल के जवाब में पी मुरली ने कहा, 'आप सही कह रहे हैं लेकिन जिस तरह इंसान भविष्य की कल्पना कर सकते हैं, मुझे लगता है कि AI मॉडल भी भविष्य की कल्पना और उसका अनुमान लगा सकते हैं. उदाहरण के लिए AI मॉडल ने मेरी जिंदगी के बारे में अनुमान लगाया है. मैंने खुद को AI में डाला. इसके बाद इसने अगले 20 सालों के लिए अनुमान लगाकर मेरी मेडिकल हिस्ट्री बता दी. तो मुझे लगता है कि AI भविष्य का अनुमान लगाने और भविष्य में क्या होगा, इसका अनुमान लगाने में सक्षम है.' 

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इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि हम AI के लिए Hallucinate शब्द का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि वास्तव में फिलहाल ऐसा कोई भविष्य नहीं है जिसका हम अनुमान लगा सकें. इस पर पी मुरली कहते हैं, 'बिलकुल हमें यह पक्का करना होगा कि वो कुछ गलत न बनाए.' 

'उस पल से डरने की जरूरत...' 

तो वह समय कब आएगा जब आपको लगता है कि AI इंसानी दिमाग के बराबर हो जाएगा और उसे पीछे छोड़ देगा और फिर हम क्या होंगे. मास्टर और गुलाम, इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'AI कई क्षेत्रों में पहले ही इंसानी दिमाग को पीछे छोड़ चुका है. उदाहरण के लिए मैंने पहले भी बताया कि अल्फा फोल्ड (प्रोटीन स्ट्रक्चर को समझाने वाला AI model) जैसे कई क्षेत्रों में वो आगे है.'  

'अब सवाल यह है कि क्या यह जीरो शॉट लर्निंग से इंसानी दिमाग पर हावी हो सकता है. उदाहरण के लिए जब बच्चा टेबल से टकराता है तो वह तुरंत सीख जाता है कि मुझे ये दर्द दे रहा है और मुझे इस तरह की दूसरी चीजों से भी बचना है और वो इसे दूसरे ऑब्जेक्ट पर लागू करता है जिसे ट्रांसफर लर्निंग कहते हैं. मुझे नहीं लगता कि हम अभी वहां पहुंचे हैं. अगर वो (AI) जीरो शॉट लर्निंग और ट्रांसफर लर्निंग तक पहुंच गया तो हमें डरना होगा.'

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