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मेरी मां को डायबिटीज थी तो क्या मुझे भी होगी? जान‍िए- नई रिसर्च क्या कहती है, एक्सपर्ट दे रहे ये सलाह

ये एक आम धारणा है कि अगर मां को डायबिटीज है तो बेटी को भी हो सकती है. टाइप 2 डायबिटीज को लेकर ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि पहले हुए तमाम शोधों में पाया गया है कि ये जेनेट‍ि‍क होती है. आइए जानते हैं इस नई रिसर्च ने क्या नई उम्मीद दी है. एक्सपर्ट से जानिए- कैसे कर सकते हैं बचाव. 

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If Mother is diabetic, daughter is prone to it (Representational Image by AI)
If Mother is diabetic, daughter is prone to it (Representational Image by AI)

अगर आपकी मां को टाइप 2 डायबिटीज है तो ये खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए. एक नई स्टडी ने फिर से इस बहस को हवा दी है कि क्या डायबिटीज माओं से बेटियों को विरासत में मिलती है? और जवाब है-हां, संभावना तो है लेकिन मामला सिर्फ जेनेटिक नहीं है, लाइफस्टाइल भी इसके पीछे बड़ा फैक्टर है. 

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के करीब 7.7 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और 2.5 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज की स्थिति में हैं. लेकिन हाल ही में यूके बायोबैंक की एक रिसर्च ने इस बीमारी को लेकर एक नया खुलासा किया है जो खासकर महिलाओं के लिए है. यह रिसर्च बताती है कि जिन महिलाओं की माताओं को टाइप 2 डायबिटीज है, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा पुरुषों की तुलना में 30% ज्यादा है, खासकर अगर उनकी मां को 45 साल की उम्र से पहले डायबिटीज डायग्नोस हुई हो. साथ ही इसमें ये उम्मीद भी दी गई है कि अगर लाइफस्टाइल को सही रखा जाए तो इसका खतरा कम हो सकता है. 

महिलाओं में ज्यादा खतरा लेकिन उम्मीद भी है

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यूके बायोबैंक दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेडिकल डेटाबेस है. इसने 4 लाख से ज्यादा लोगों के डेटा का विश्लेषण कर यह चौंकाने वाला निष्कर्ष निकाला. इस रिसर्च में पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास, खासकर मातृ डायबिटीज संतान में इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाता है. लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि यह जोखिम महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा देखा गया. 

रिसर्च के अनुसार, अगर मां को 45 साल की उम्र से पहले टाइप 2 डायबिटीज डायग्नोस हुई थी तो उनकी बेटियों में यह बीमारी होने की संभावना 30% तक अधिक होती है. यह जोखिम पुरुषों में भी मौजूद है लेकिन महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, गर्भावस्था और चयापचय (मेटाबॉलिक) अंतर इसे और बढ़ा देते हैं. 

डायबिटीज रोग‍ियों पर 20 साल से ज्यादा का अनुभव कर चुके केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ कौसर उस्मान कहते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज एक चयापचय विकार है, जिसमें शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता (इंसुलिन रेजिस्टेंस) या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता. यह बीमारी आनुवंशिक और जीवनशैली कारकों के संयोजन से होती है. ऐसे में जिन लोगों आनुवांश‍िक डायब‍िटीज का खतरा है वो अपनी जीवनशैली के जरिये इसे रोक सकते हैं. 

आनुवंशिक कारक:
रिसर्च बताती है कि टाइप 2 डायबिटीज में 36 से ज्यादा जीन शामिल हैं जो इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं. अगर मां को डायबिटीज है, तो TCF7L2 जैसे जीन का जोखिम 1.5 गुना बढ़ जाता है. यह जीन बीटा कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करता है, जो इंसुलिन बनाती हैं. 

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गर्भ में पर्यावरणीय प्रभाव:
अगर मां को गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज था तो गर्भ में बच्चे को उच्च ग्लूकोज का सामना करना पड़ता है. यह स्थिति बच्चे के पैनक्रियास और चयापचय को प्रभावित कर सकती है, जिससे बाद में टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है. यूके बायोबैंक के डेटा से पता चला कि जेस्टेशनल डायबिटीज वाली माताओं की संतान में यह जोखिम 20-30% अधिक होता है. 

हार्मोनल और अन्य अंतर:
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, जैसे गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकते हैं. यूके बायोबैंक की रिसर्च में ये पाया गया कि महिलाओं में मातृ डायबिटीज का प्रभाव पुरुषों की तुलना में अधिक है, इसके पीछे कई हार्मोन वजह हैं. 

मोटापा और बैली फैट:महिलाओं में पेट के आसपास जमा होने वाली चर्बी (बैली फैट) इंसुलिन रेजिस्टेंस का बड़ा कारण है. यूके बायोबैंक के एक अन्य अध्ययन (2024) में पाया गया कि महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस हर यूनिट बढ़ने पर मृत्यु का जोखिम 11% बढ़ जाता है. 

लाइफस्टाइल भी एक वजह: भारतीय महिलाएं अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों के कारण शारीरिक गतिविधि कम करती हैं, जिससे मोटापा और डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है. 

व‍िशेषज्ञ कहते हैं कि महिलाओं में डायबिटीज के लक्षणों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है. थकान, बार-बार पेशाब या त्वचा का काला पड़ना जैसे लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. 

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विशेषज्ञों की राय: रोकथाम और प्रबंधन
भले ही मां से डायबिटीज जैसे आनुवंशिक कारक जोखिम बढ़ाते हैं फिर भी टाइप 2 डायबिटीज को रोका जा सकता है या उसका प्रबंधन किया जा सकता है. अपनाएं ये सुझाव. 

जीवनशैली में बदलाव:  
स्वस्थ आहार: साबुत अनाज, फल, सब्जियां और हेल्दी फैट (जैसे नट्स, ऑलिव ऑयल) को डाइट में शामिल करें. चीनी और प्रोसेस्ड फूड से बचें. 
व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम एरोबिक व्यायाम (जैसे तेज चलना, योग) करें. 
वजन नियंत्रण: अगर आपका BMI 25 से ज्यादा है, तो 5-10% वजन कम करने से डायबिटीज का जोखिम 50% तक कम हो सकता है. 
नियमित स्क्रीनिंग: अगर आपकी मां को डायबिटीज थी तो 30 साल की उम्र से हर 1-3 साल में HbA1c या फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट करवाएं. 

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