दिल्ली-एनसीआर की हवा में इन दिनों जहर घुल चुका है. प्रदूषण का असर सिर्फ आंखों या गले पर नहीं बल्कि सबसे ज्यादा हमारे फेफड़ों पर हो रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि हर इंसान को ये समझना जरूरी है कि उसका लंग हेल्दी है या धीरे-धीरे प्रदूषण के असर में कमजोर हो रहा है.इसके लिए कुछ तरीके ऐसे भी हैं जिनसे आप इसका पता लगा सकते हैं.
मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम के थोरेसिक एंड लंग ट्रांसप्लांट सर्जन और सीनियर कंसल्टेंट डॉ हर्षवर्द्धन पुरी बताते हैं कि इस प्रदूषण से तीन तरह के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. पहले, वो जिनके फेफड़े अब तक स्वस्थ हैं, लेकिन हर दिन प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. दूसरे नंबर पर वो बच्चे और बुजुर्ग हैं जिनकी लंग कैपेसिटी उम्र के कारण पहले से कम है. तीसरे, वो मरीज जो पहले से किसी फेफड़े की बीमारी जैसे लंग कैंसर, COPD या कीमोथेरेपी से गुजर चुके हैं.
डॉ पुरी कहते हैं कि प्रदूषण का असर तीनों कैटेगरी के लोगों पर होता है. लेकिन बच्चों, बुजुर्गों और जिन लोगों को पहले से फेफड़ों की समस्या है, उन्हें ये सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. जिनकी लाइफस्टाइल ऐसी है कि उन्हें रोज बाहर निकलना पड़ता है वो इससे ज्यादा हिट होते हैं.
फेफड़ों पर असर हो रहा है? पहचानें शुरुआती लक्षण
सांस फूलना या भारीपन महसूस होना
हल्का बुखार या बार-बार वायरल संक्रमण होना
सीने में जकड़न या खांसी जो लगातार बनी रहे
थकान और कम एनर्जी महसूस होना
क्या पास कर पाएंगे डीप ब्रीदिंग एंड ब्रेथ होल्डिंग टेस्ट
डॉ पुरी बताते हैं कि बिना किसी महंगे टेस्ट के घर बैठे भी आप अपने फेफड़ों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं.
इस टेस्ट को करने के लिए एक लंबी सांस खींचिए और उसे रोककर रखिए. अगर आप 40 सेकेंड तक सांस रोक पाते हैं, तो आपके फेफड़े पूरी तरह फिट हैं. अगर 20-25 सेकेंड तक रोक पा रहे हैं, तो भी आपकी लंग कैपेसिटी ठीक है. अगर इससे कम हो रही है तो सावधान हो जाएं. ये संकेत है कि आपके फेफड़ों पर असर हो रहा है. डॉ पुरी के मुताबिक ये एक आसान सेल्फ-चेक है, जिसे हर किसी को इस मौसम में हफ्ते में एक बार जरूर करना चाहिए.
कब कराएं मेडिकल टेस्ट
अगर सांस लेने में भारीपन, लगातार खांसी या थकान महसूस हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें. आपकी जांच PFT (Pulmonary Function Test), Chest X-ray या CT Scan से की जा सकती है. इनसे फेफड़ों की क्षमता, संरचना और प्रदूषण से हुए नुकसान का पता चलता है.