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ChatGPT को लोग बना रहे अपना डॉक्टर, जानें AI से हेल्थ एडवाइस लेना कितना सही?

आजकल लोग हेल्थ से जुड़ी सलाह के लिए ChatGPT और Gemini जैसे AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या AI से मिली स्वास्थ्य जानकारी भरोसेमंद है और क्या इससे इलाज में मदद मिल सकती है? ऐसे में आज हम जानेंगे कि AI से हेल्थ एडवाइस लेने के क्या फायदे और नुकसान हैं और इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स का क्या कहना है.

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 हेल्थ से जुड़ी सलाह के लिए AI कितना सही है? (Photo-AI Generated)
हेल्थ से जुड़ी सलाह के लिए AI कितना सही है? (Photo-AI Generated)

आजकल लोग छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए डॉक्टरों के पास जाने के बजाय लोग ChatGPT जैसे AI टूल्स की मदद ले रहे हैं. लोग अपने लक्षण एआई को बता रहे हैं और फिर एआई जो भी दवाई या मेडिसिन बता रहा है लोग उसे बेहिचक फॉलो भी कर रहे हैं. पिछले कुछ समय में वो मामले भी आए हैं जिनमें एआई से हेल्थ एडवाइज लेना लोगों को काफी भारी पढ़ा है. अब ऐसे में दुनियाभर में यह बहस तेजी से छिड़ गई है कि AI से मिली जानकारी कितना सुरक्षित है और सटीक है और इसका मेडिकल प्रोफेशनल पर क्या असर पड़ेगा? ऐसे में आज हम जानेंगे कि AI से हेल्थ एडवाइस लेने के क्या फायदे हैं, इससे जुड़े खतरे क्या हैं और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बारे में क्या सोचते हैं. साथ ही यह भी जानेंगे कि AI का इस्तेमाल मरीजों के इलाज में कैसे किया जा सकता है.

AI से होने वाले फायदे

AI से हेल्थ एडवाइस लेने के कुछ फायदे हैं, लेकिन इससे जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हैं. ऑस्ट्रेलिया में 2024 की एक स्टडी के मुताबिक, 9.9% लोगों ने ChatGPT से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली. इसमें वे लोग ज्यादा शामिल थे जिन्हें हेल्थ की कम जानकारी थी या जिनकी पहली भाषा इंग्लिश नहीं थी. कुछ लोगों को ChatGPT से जानकारी लेकर मेंटल सेटिस्फेक्शन मिलता है.

2023 की एक स्टडी में पाया गया कि AI से जटिल मेडिकल जानकारी को आसान भाषा में समझाया जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें मेडिकल नॉलेज कम है. AI टूल्स जल्दी जानकारी दे सकते हैं, डॉक्टर्स का बोझ कम कर सकते हैं और कम पढ़े-लिखे लोगों को आसान भाषा में हेल्थ से जुड़ी जानकारी समझा सकते हैं. AI चैटबॉट्स जैसे ChatGPT से लोग काफी तेजी से मेडिकल एडवाइस ले रहे हैं लेकिन इससे जुड़े कई खतरे भी हैं जिन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता.

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मेडिकल क्षेत्र में AI को लेकर क्या चुनौतियां हैं?

PLOS ONE में छपी 2024 की एक स्टडी में पाया गया कि ChatGPT-3.5 ने केवल 49% मामलों में सही डायग्नोसिस दिया और कुल मिलाकर 74% सही जानकारी दी.  साथ ही, यह लैब रिपोर्ट और स्कैन जैसे डाटा को ठीक से समझने में कमजोर पाया गया. स्टडी के अनुसार, ChatGPT अभी इतना सही नहीं है कि इसे अकेले डायग्नोसिस टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाए, हालांकि यह स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी देने में मददगार हो सकता है.

दिल्ली की डॉ. गीता प्रकाश मानती हैं कि AI टूल्स का इस्तेमाल आम लोगों में बढ़ा है, लेकिन ये इंसानी जांच की जगह नहीं ले सकते. उनके मुताबिक, AI मरीज के पिछले बीमारियों के बारे में नहीं जानता और न ही वह दर्द की गंभीरता या स्ट्रेस को महसूस कर सकता है. उनका कहना है कि गलत या अधूरी जानकारी से AI गलत नतीजे दे सकता है. बिना डॉक्टर की निगरानी के उस पर भरोसा करना नुकसानदायक हो सकता है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि AI मरीजों के इलाज में मदद कर सकता है, लेकिन इसे डॉक्टरों की निगरानी में ही इस्तेमाल करना चाहिए. 2023 की एक रिपोर्ट (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) में कहा गया है कि हेल्थकेयर में AI के इस्तेमाल से पहले साफ नियम, ट्रांसपेरेंसी और डॉक्टरों को सही ट्रेनिंग देना जरूरी है.

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AI चैटबॉट हेल्थकेयर में मददगार हो सकते हैं, अगर इन्हें सोच-समझकर एक सपोर्ट टूल की तरह इस्तेमाल किया जाए. लेकिन सही नियम, निगरानी और ट्रेनिंग के बिना ये गलत जानकारी का एक और जरिया बन सकते हैं. यह आपके कुछ सवालों का जवाब तो दे सकता है, लेकिन यह डॉक्टर की जगह नहीं ले सकता. अब भी मरीजों के लिए डॉक्टर ही बेस्ट ऑप्शन है.

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