
पावर स्टार पवन कल्याण ने ऐसा धमाका किया है जिसकी उम्मीद एक महीने पहले किसी को नहीं थी. इस साल 'हरि हर वीर मल्लू' जैसी डिजास्टर फिल्म देने के बाद, गुरुवार को उनकी नई फिल्म 'OG' थिएटर्स में लगी. पिछले कुछ सालों में पवन की फिल्मों का रिकॉर्ड थोड़ा डाउन रहा है और राजनीति में वो ज्यादा एक्टिव नजर आए हैं.
ऐसे में उनकी नई फिल्म का भविष्य किसी को साफ नहीं दिख रहा था. मगर अब जो दिख रहा है, वो बॉक्स ऑफिस पर पवन कल्याण का धमाका है. पावर स्टार की फिल्म 'OG' ने वर्ल्डवाइड 154 करोड़ रुपये का ओपनिंग ग्रॉस कलेक्शन किया है. ये 2025 में किसी भारतीय फिल्म की सबसे बड़ी फिल्म है. मगर ये पहली बार नहीं है जब पवन ने ऐसा कोई कमाल किया है. बल्कि उनका करियर इस बात का सबूत है कि वो फ्लॉप-प्रूफ हैं.
लगातार फ्लॉप फिल्में देने के बाद जहां स्टार्स को उनकी इंडस्ट्री में किनारे किया जाने लगता है, वहीं पवन पर मेकर्स का इतना भरोसा था है कि वो भले फ्लॉप होते रहें लेकिन खाते में नए प्रोजेक्ट रहते हैं. इतना ही नहीं, लाइन से फ्लॉप होने के बावजूद वो अचानक से ऐसा कमबैक करते हैं कि रिकॉर्ड्स फिर से लिखने पड़ जाते हैं. चलिए आपको दिखाते हैं उनके फ्लॉप प्रूफ होने का प्रूफ...
जब शानदार शुरुआत के बाद टूटी हिट्स की कड़ी
पवन कल्याण की डेब्यू तेलुगू फिल्म 'अक्कड़ा अम्माई इक्कड़ा अब्बायी' (1996) बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रही थी और इसमें उनकी मार्शल आर्ट्स स्किल देखकर युवा दर्शक उनके जबरदस्त फैन हो गए थे. लव स्टोरी, एक्शन और सोशल मैसेज के कॉम्बो में उनकी अगली फिल्म 'गोकुलमलो सीता' (1997) भी हिट रही. मगर 1998 में आई 'सुस्वागतम' ने धमाका कर दिया था. ये उस साल की सबसे कामयाब तेलुगू फिल्मों में से एक थी.

पवन के स्टाइल, फाइटिंग, नए फैशन और बाकी हीरोज से बहुत अलग डायलॉगबाजी के अंदाज ने उन्हें युवाओं में बहुत पॉपुलैरिटी दिलाई. इस पॉपुलैरिटी के दम पर उनकी अगली चार फिल्में- थोली प्रेमा, थम्मुडु, बद्री और कुशी; बैक टू बैक ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. इस कामयाबी पर सवार पवन ने 2003 में बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया और 'जॉनी' बनाई. मगर ये फिल्म बड़ी फ्लॉप बनी, उनके करियर की पहली फ्लॉप.
इस फ्लॉप फिल्म के बाद पवन ने करियर का पहला फीका दौर देखा. उनकी अगली दो फिल्में 'गुडुम्ब शंकर' (2004) और 'बालू' (2005) बस फ्लॉप होने से बाल-बाल बचीं. मगर 'बंगारम' (2006) इस कदर फ्लॉप हुई कि लगा अब पवन का करियर नहीं संभलेगा. रिपोर्ट्स बताती हैं कि पवन ने इस फिल्म के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स को पैसे लौटाए थे.
इस बीच उनका एक प्रोजेक्ट 'सत्याग्रही' भी बंद हुआ जिसे वो खुद डायरेक्ट करने वाले थे. मगर 2008 में आई उनकी फिल्म 'जलसा' ने अचानक ऐसा धमाका किया कि उनका करियर खत्म होने की भविष्वाणी कर रहे आलोचकों की आंखें चौंधिया गईं. ये फिल्म उस साल की सबसे कमाऊ तेलुगू फिल्म बनी. 5 ठंडी फिल्मों के बाद पवन का भौकाल फिर लौट आया.
धमाके के बाद की शांति
पवन की अगली तीन फिल्में 'पुली' (2010), 'तीन मार' (2011) और 'पंजा' (2011) फिर से बॉक्स ऑफिस पर कोई असर करने में नाकाम नहीं. मगर इसके बाद पवन ने बॉलीवुड फिल्म 'दबंग' के तेलुगू रीमेक 'गब्बर सिंह' (2012) से ऐसा कम बैक किया कि एक बार फिर से लोग उनकी पावर देखकर हैरान रह गए.

उनकी ये फिल्म अपने समय की सबसे बड़ी तेलुगू हिट बनी और इसने महेश बाबू की फिल्म 'डूकुडू' को पीछे छोड़ दिया, जो उस वक्त अपने पीक पर थे. उसी साल पवन की 'कैमरामैन गंगातो रामबाबू' भी हिट रही. अगली फिल्म 'अत्तारिंतिकी दरेदी' (2013) ने फिर कमाल किया और एसएस राजामौली की 'मगधीरा' को पछाड़ते (2009) हुए, उस दौर की सबसे कमाऊ फिल्म बनी.
जब बिगड़ा पॉलिटिक्स और फिल्मों का बैलेंस
पवन हमेशा से पॉलिटिकली एक्टिव रहे हैं और कई बड़े मुद्दों पर आन्दोलन भी करते रहे. मगर 2014 में उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जनसेना पार्टी. इसके बाद राजनीति की तरफ उनका जोर ज्यादा रहा जिसका नुकसान कई बार उनकी फिल्मों को हुआ.
2015 में 'गोपाला गोपाला' हिट तो हुई, मगर बॉक्स ऑफिस पर ये पवन के लेवल की फिल्म नहीं लगी. 'सरदार गब्बर सिंह' (2016) और 'कटामर्युदु' (2016) फ्लॉप हो गईं. 2017 में पवन ने ऑफिशियली अनाउंस किया कि अब वो पॉलिटिक्स पर ही फोकस करेंगे. मगर उससे पहले प्रोडक्शन में रही 'अज्ञातवासी' (2018) जब रिलीज हुई तो औंधे मुंह बॉक्स ऑफिस पर गिरी. लोगों को लगा कि पवन कल्याण का फिल्मी करियर अब खत्म और अब वो सिर्फ राजनीति के मंच पर दिखेंगे.
मगर फिर उन्होंने बॉलीवुड फिल्म 'पिंक' के तेलुगू रीमेक 'वकील साहब' (2021) से 3 साल बाद कमबैक किया. ये फिल्म तब रिलीज हुई जब लॉकडाउन के बाद, थिएटर्स पर अभी भी बंदिशें थीं. टिकटों के रेट भी कम थे और पॉलिटिक्स में एक्टिव होने की वजह से, सरकार की तरफ से भी उनकी इस फिल्म को लेकर पंगे हुए. मगर पवन की कमबैक फिल्म एक बार फिर से साल की सबसे बड़ी तेलुगू फिल्मों में से एक साबित हुई. अगले ही साल पवन की 'भीमला नायक' (2022) आंध्र प्रदेश-तेलंगाना में सबसे बड़ी ओपनिंग वाली तेलुगू फिल्म बनी. पवन के करियर में भी ये सबसे कमाऊ फिल्म बन गई.
2023 में अपने भांजे साईं धरम तेज के साथ उनकी फिल्म 'ब्रो' किसी तरह फ्लॉप होने से बची. मगर 2025 की शुरुआत में आई 'हरि हर वीर मल्लू', 200 करोड़ से ज्यादा बजट में बनी, 100 करोड़ कमाने वाली डिजास्टर फिल्म रही. इस बीच 2024 के चुनाव में पवन की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया और वो उपमुख्यमंत्री बन गए. लोगों को फिर लगा कि अब वो राजनीति पर ही ध्यान देंगे और फिल्में उनसे छूटती चली जाएंगी.
इसकी एक वजह ये भी है कि उन्होंने 'उस्ताद गब्बर सिंह' नाम की जो फिल्म अनाउंस की थी, वो लगातार लटकती चली गई. मगर अब पवन का रिकॉर्ड देखकर आप समझ ही गए होंगे कि उनका एक बड़ा धमाका आने ही वाला था. 'OG' यही धमाका है. एक दिन की कमाई और प्रीमियर शोज से ही ये पवन के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बन गई है. अब देखना है कि 'OG' आने वाले दिनों में क्या जलवे दिखाती है.