
ऋषभ शेट्टी की 'कांतारा' ने 2022 में जो धमाका किया था, उसे शायद ही फिल्म प्रेमी कभी भूलें. अब 'कांतारा चैप्टर 1' का ट्रेलर आ गया है. जनता फिल्म के लिए थिएटर्स पहुंचने के लिए तैयार है. मगर इस फिल्म के लिए इतनी एक्साइटमेंट है क्यों? चलिए बताते हैं...
ऋषभ शेट्टी की फिल्म 'कांतारा चैप्टर 1' का इंतजार जनता तभी से टकटकी लगाए कर रही है, जब 2023 में इसका पहला अनाउंसमेंट वीडियो सामने आया था. ये फिल्म 2 अक्टूबर को रिलीज होनी है. यानी बस 10 दिन बाद ये बड़े पर्दे पर होगी.
रिलीज में इतने कम दिन बचे होने के बाद भी प्रमोशन ना शुरू होने पर फैन्स को एक शंका ये भी हुई कि कहीं फिल्म टलने तो नहीं वाली. मगर जैसे ही मेकर्स ने अनाउंस किया कि सोमवार को 'कांतारा चैप्टर 1' का ट्रेलर आ रहा है, सिनेमा लवर्स की एक्साइटमेंट ही बढ़ गई. इस फिल्म का क्रेज और जनता में इसकी एक्साइटमेंट अपने आप में एक दिलचस्प चीज है.
ऋषभ शेट्टी, देश के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में नहीं गिने जाते. देश तो दूर, अपनी ही घरेलू इंडस्ट्री, कन्नड़ इंडस्ट्री में भी नहीं. ना ही बतौर डायरेक्टर उनका नाम इतना बड़ा रहा है कि उनके नाम पर ही जनता टिकट खरीदने दौड़ जाए. तो फिर 'कांतारा चैप्टर 1' का इंतजार जनता को इतनी बेसब्री से है क्यों? चलिए, आज इसी पर चर्चा करते हैं...
ऋषभ शेट्टी का धमाकेदार सरप्राइज
लॉकडाउन के बाद से सिनेमा दर्शकों की चॉइस बहुत बदली है. लॉकडाउन में घर पर बैठे ओटीटी पर लोगों ने दुनिया भर का इतना कंटेंट खपाया है कि अब उन्हें किसी भी एक पैटर्न का सिनेमा नहीं भाता. दर्शकों को हर बार कुछ नया चाहिए, पहले से अलग, बिल्कुल सरप्राइज कर देने वाली कहानी.

दो साल पहले कन्नड़ इंडस्ट्री से निकली छोटी सी फिल्म 'कांतारा' ने यही सरप्राइज दिया था. चंद गिने-चुने फिलमचियों को छोड़ दें, तो कन्नड़ सिनेमा पर बराबर नजर रखने वालों के अलावा, ऋषभ शेट्टी का नाम शायद ही किसी ने सुना था. जबकि वो बतौर एक्टर और डायरेक्टर काफी समय से सॉलिड काम कर रहे थे. 'कांतारा' का कन्नड़ ट्रेलर आया और सिनेमा फैन्स में चर्चा का मुद्दा बन गया. लोगों ने इसमें जो देखा, वो पहले देखा ही नहीं था.
अनदेखी-अनसुनी माइथोलॉजी
ऋषभ शेट्टी दक्षिण कर्नाटक क्षेत्र से आते हैं. इस तटीय इलाके की संस्कृति और वहां की लोककथाओं को पर्दे पर बहुत बड़ी जगह नहीं मिली है. खुद कन्नड़ सिनेमा में भी नहीं. 'कांतारा' में ऋषभ ने अपने इलाके में होने वाले भूत-कोला और पंजुरली देव की कहानी को पर्दे पर उतारा. ये ऐसी माइथोलॉजी है जिसके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी इंटरनेट पर भी नहीं पाई जाती. ऐसे में दर्शकों के लिए पंजुरली देव, जंगल के रक्षक की भूमिका में उनकी भक्ति करने वाली लोककथाएं बहुत नई चीज थीं.
अबतक माइथोलॉजी के नाम पर फिल्में रामायण-महाभारत से बहुत आगे बढ़ नहीं रही थीं. ऐसे में 'कांतारा' एक नई माइथोलॉजी लेकर आई. लोगों के पास इस माइथोलॉजी का कोई रेफरेंस भी नहीं था और वो सिर्फ चकित होकर इस फिल्म को देख रहे थे. दर्शकों के इस आश्चर्य को 'कांतारा चैप्टर 1' और आगे ले जाने का वादा कर रही है. इस बार कहानी, पंजुरली देव की कथा को करीब 1500 साल पीछे जाकर, कदंब साम्राज्य के समय से दिखाने वाली है.

नया कल्चर, नए लोग
'कांतारा' की माइथोलॉजी को अगर एक तरफ रख भी दें तो इसके हीरो शिवा और उसके गांव की कहानी ने ही पहले जनता को बांधना शुरू कर दिया था. ये जंगल के बीच बसा गांव था और यहां के लोगों का प्रकृति से सीधा रिश्ता था. इस कहानी में प्रकृति खुद एक किरदार थी.
मुख्यधारा की हिंदी फिल्मों ने कभी इस तरह की कहानी गहराई से दिखाई ही नहीं. इसलिए हिंदी दर्शक कन्नड़ ट्रेलर देखकर ही, भाषा अलग होने के बावजूद, ये कहानी देखने के लिए तैयार होने लगे. इस कहानी में लोगों की अपनी संस्कृति थी, अपने रीति-रिवाज थे जो जनता के लिए नए और अनोखे थे. फिल्म में बैलों की दौड़ वो पहला मोमेंट थी जिसे देखते हुए दर्शकों के मुंह खुले रह गए थे. अब 'कांतारा चैप्टर 1' कदंब साम्राज्य से शुरू होगी. ये एक ऐसा साम्राज्य है जिसे फिल्मों और टीवी शोज ने कुछ खास एक्सप्लोर नहीं किया है. इसलिए ये फिल्म अभी से एक्साइटमेंट बढ़ा रही है.
अद्भुत म्यूजिक
किसी भी तरह के म्यूजिक की पॉपुलैरिटी का सबसे बड़ा सबूत क्या है? ये लोगों की इंस्टाग्राम रील्स पर छा जाए, लोगों के मोबाइल की रिंगटोन बन जाए. और इस पैमाने पर 'कांतारा' का म्यूजिक कितना पॉपुलर था, ये याद दिलाने की जरूरत शायद ही हो. इसकी सबसे बड़ी वजह थी म्यूजिक का रीजनल एलिमेंट. ये इलेक्ट्रॉनिक बीट्स से निकला, कम्यूटर पर तैयार किया गया रेगुलर फिल्मी म्यूजिक नहीं था.

इस म्यूजिक की जड़ें दक्षिण कर्नाटक की उस संस्कृति से जुड़ी थीं, जहां से 'कांतारा' की कहानी निकली थी. ये वहां का लोक संगीत था. ऑडियंस इस म्यूजिक के लिए क्रेजी हो गई थी और 'कांतारा चैप्टर 1' से नई धुनें, देशज वाद्ययंत्रों पर बने नए संगीत की उम्मीद है.
बजट कम, ऑथेंटिसिटी ज्यादा
'कांतारा' उन फिल्मों में से नहीं है, जिन्हें आप उनके ग्रैंड बजट के लिए याद रखते हैं. ये उन फिल्मों में से है जिन्हें आप अद्भुत एक्सपीरियंस के लिए याद रखते हैं. खुद दक्षिण कर्नाटक से आने वाले ऋषभ शेट्टी ने अपने घर, अपने गांव अपने खेतों में फिल्म का सेट लगाया था. लोकल जगहों पर अपनी पहचान का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने इसी जगहों पर शूट किया जहां अभी तक कैमरा पहुंचा ही नहीं.
ऋषभ ने बड़े-बड़े सेट्स बनाने और बड़े हीरोज को कास्ट करने में पैसा नहीं खर्च किया. उन्होंने पैसा लगाया मजबूत टेक्निकल टीम जुटाने में, विजुअल को दमदार बनाने में. ग्राफिक्स का इस्तेमाल कम हुआ, मगर जितना हुआ वो बेहतरीन था. 'कांतारा' ठेठ फिल्ममेकिंग का अद्भुत प्रयोग थी और इस फिल्म के विजुअल्स देखकर आज भी शायद ही किसी को यकीन हो कि ये 16 करोड़ के बजट में बनी फिल्म हो. इतने लिमिटेड बजट में बनी 'कांतारा', ऑलमोस्ट 400 करोड़ वर्ल्डवाइड कलेक्शन के साथ 2022 की टॉप 5 भारतीय फिल्मों में से एक थी.
रिपोर्ट्स बता रही हैं कि 'कांतारा चैप्टर 1' को भी ऋषभ ने दक्षिण कर्नाटक के जंगलों, झीलों, पहाड़ों में खूब शूट किया है. इस बार भी वो ऐसे इलाकों और जगहों पर पहुंचे हैं जो कैमरे के लेंस से अनछुए हैं. ऊपर से इस बार फिल्म का बजट 100 करोड़ से ज्यादा बताया जा रहा है. ये सवाल ही फिल्म देखने की एक्साइटमेंट बढ़ाने के लिए काफी है कि जब लिमिटेड रिसोर्स में ऋषभ ने आंखें चौंधियाने वाले विजुअल्स दिए थे, तो इस बार वो क्या करने वाले हैं?!
'कांतारा चैप्टर 1' के लिए टकटकी लगाए इंतजार करने की एक वजह और है. जब 16 करोड़ के बजट में बनी 'कांतारा' 400 करोड़ कमा सकती है, तो 125 करोड़ के साथ नई फिल्म ना जाने कितना बड़ा धमाका कर दे. इस साल एक भी भारतीय फिल्म ने 1000 करोड़ का आंकड़ा पार नहीं किया है.
जनता की एक्साइटमेंट देखते हुए अब आस 'कांतारा चैप्टर 1' से है. उम्मीदें ऋषभ शेट्टी से भी हैं, जो ना सिर्फ एक जबरदस्त एक्टर हैं, बल्कि बहुत दमदार फिल्ममेकर भी. 'कांतारा चैप्टर 1' के ट्रेलर से ये फैसला हो जाएगा कि जनता की एक्साइटमेंट किस लेवल तक जाने वाली है.