बॉलीवुड के दो टैलेंटेड एक्टर्स इमरान हाशमी और यामी गौतम एकसाथ बड़े पर्दे पर आने वाले हैं. उनकी फिल्म 'हक' 7 नवंबर के दिन थिएटर्स में रिलीज होने वाली है. कुछ दिनों पहले इसका ट्रेलर सामने आया था, जिसे कई लोगों ने पसंद किया. हर कोई ये भी जानना चाहता है कि फिल्म की कहानी आखिर क्या होने वाली है.
इमरान-यामी की फिल्म 'हक' की क्यों हो रही इतनी चर्चा?
फिल्म 'हक' में यामी एक ऐसी मुसलमान औरत का किरदार निभाएंगी, जो अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए अपने समाज के नियमों के खिलाफ कोर्ट जाएगी. इमरान-यामी की फिल्म दरअसल इंदौर की बेगम शाह बानो पर आधारित है, जिन्होंने 1985 में एक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने अपने समाज के खिलाफ जाकर अपने जैसी मुसलमान औरतों के लिए एलिमनी की मांग रखी, जो अपने बच्चों और परिवार का पालन-पोषण का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थीं.
शाह बानो मोहम्मद अहमद खान की पत्नी थीं, जो अपने वक्त के सबसे बड़े वकील में से एक थे. दोनों की शादी करीब 40 सालों तक चली जिस दौरान उनके पांच बच्चे भी हुए. इसी दौरान अहमद खान ने दूसरी शादी भी की, जिसे इस्लामिक पर्सनल लॉ के तहत मंजूरी मिली. उनकी दोनों पत्नियां खुशी से रह रही थीं. लेकिन एक रोज 1978 में अहमद खान ने शाह बानो को तलाक दे दिया, जिसमें उन्होंने शाह बानो को तीन महीने तक पैसे भेजने का वादा किया.
तीन महीने बाद, अहमद खान ने पैसे भेजने बंद किए जिसके बाद शाह बानो अकेली पड़ गईं और अपने परिवार को संभालने में सक्षम नहीं रह पाईं. ऐसे में उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शाह बानो ने इंदौर के एक कोर्ट में अपने एक्स हसबैंड के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 125 के तहत पेटीशन फाइल की. जो समाज की उन महिलाओं को मेंटेनेंस या एलिमनी मांगने का हक देती है, जो अपने आप को फाइनेंशियली सपोर्ट नहीं कर सकतीं.
क्या है शाह बानो केस?
हालांकि कोर्ट में अहमद खान ने अपने जवाब में साफ किया कि इस्लाम कानून के तहत, इद्दत अवधि (तलाक के 90 दिन बाद) के बाद शाह बानो को फाइनेंशियल सपोर्ट देने की उसकी जिम्मेदारी खत्म हो गई और उसने धार्मिक नियमों के अनुसार पहले ही 5,400 रुपये का भुगतान कर दिया था.
शाह बानो और अहमद खान के बीच एलिमनी की लड़ाई करीब सात सालों तक चली. साल 1978 में चालू हुआ ये केस, 1985 तक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां पांच जज की बेंच ने शाह बानो के हित में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने साफ किया कि भारत की कोई भी महिला, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, अगर कोई तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपना भरण-पोषण खुद नहीं कर सकती तो वो एलिमनी पाने की हकदार है.
कैसे ये केस बना ऐतिहासिक?
कोर्ट के इस फैसला का पूरे देश में कई लोगों ने स्वागत किया था. लेकिन कई मुस्लिम समुदाय ने इसके खिलाफ विरोध भी किया. उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा था कि ये उनके मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल है. शाह बानो का केस आज के समय में भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. कई औरतों पर आरोप लगते हैं कि वो अपना भरण-पोषण खुद करने में सक्षम होने के बावजूद, अपने पति से एलिमनी लेती हैं. कई फिल्मी स्टार्स के बारे में ऐसी बातें भी कही जाती हैं.
शाह बानो के केस ने मुसलमान औरतों के हित में जो किया, उसे आज भी याद रखा जाता है. क्योंकि इसके कई सालों बाद, साल 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक कानून को भी असंवैधानिक घोषित किया था. इससे कई मुसलमान औरतों को अनुचित तलाक प्रथाओं से बचाव मिला. बात करें फिल्म 'हक' की, तो इसमें वर्तिका सिंह, शीबा चड्ढा, दानिश हुसैन जैसे एक्टर्स भी शामिल हैं.