
सनी देओल की 'गदर 2' आखिरकार थिएटर्स में रिलीज होने जा रही है और इसकी एडवांस बुकिंग सारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा जोरदार चल रही है. आने वाला शुक्रवार थिएटर्स में जोरदार धमाका करने वाला है इसका अंदाजा तो अब सभी को लगने लगा है. अब चर्चा का पॉइंट इस तरफ शिफ्ट हो गया है कि ये धमाका कितना बड़ा होने वाला है?
रिपोर्ट्स बताती हैं क रिलीज से दो दिन पहले ही, फिल्म के दो लाख से ज्यादा टिकट एडवांस में बुक हो चुके हैं. इन दो दिनों में एडवांस बुकिंग और भी जोरदार होगी. सिंगल स्क्रीन्स पर सनी देओल का जादू हमेशा से चलता आया है. ऊपर से ये एक ऐसी फिल्म का सीक्वल है जिसने नाम इंडियन सिनेमा के कई बड़े-बड़े रिकॉर्ड हैं. 'गदर 2' के लिए एक्साइटेड होने के जनता के पास भरपूर कारण हैं. और इसी एक्साइटमेंट में माहौल ऐसा हो गया है कि लोगों को लगने लगा है जैसे 'गदर 2' उस तरह का कमल करने वाली है, जैसा 'गदर' ने 2001 में किया था.

'गदर 2' का माहौल यकीनन बहुत जोरदार है, लेकिन 22 साल पहले आई 'गदर' की कामयाबी ऐसी थी जिसकी बराबरी शायद अब खुद सनी देओल के लिए भी संभव नहीं है. 'गदर' की कामयाबी में कई ऐसे फैक्टर थे, जिन्होंने सनी की फिल्म को अल्टीमेट ब्लॉकबस्टर बना दिया था.
पाकिस्तान को सबक सिखाने वाला हीरो
सनी देओल की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'बॉर्डर' 1997 में रिलीज हुई थी. मेजर कुलदीप सिंह के रोल में सनी ने ऐसी परफॉरमेंस दी, जो आजतक लोगों के दिमाग पर छपी हुई है. 2001 में जब 'गदर' रिलीज हुई, तब ये इमेज जनता में दिमाग में बहुत ताजा थी. दोनों फिल्मों के बीच देश पाकिस्तान के साथ एक और जंग लड़ चुका था. 1999 में कारगिल युद्ध में भारत की जीत हुई और एंटी-पाकिस्तान सेंटिमेंट अगले कुछ साल चरम पर था. इस मूड में जनता को मिला 'गदर' का तारा सिंह, जो अपनी प्रेमिका के लिए पाकिस्तान तक घुस गया और अकेला ही तबाही मचा आया. ये समझना बहुत आसान है कि उस समय थिएटर्स में फिल्म देख रहे दर्शकों की एक्साइटमेंट का क्या लेवल रहा होगा.

करियर के शिखर पर सनी
'गदर' से थोड़ा पीछे चलते हैं. 1996 में सनी 4 फिल्मों में नजर आए- हिम्मत, जीत, घातक और अजय. चारों फिल्मों ने थिएटर्स में जमकर कमाई की. बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड के साथ-साथ सनी को बेस्ट एक्टर के अवार्ड भी मिले. 1997 में 'जिद्दी' और 'बॉर्डर' ने सनी को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया. 1998 में 'सलाखें' बड़ी हिट बनी.
अगले दो साल सनी की फिल्में बड़ी हिट तो नहीं रहीं, पर उनके 'अर्जुन पंडित' जैसे किरदारों की अपनी अलग फॉलोइंग बनी रही. 2001 में 'फर्ज' ने फिर सनी को बड़ी बॉक्स ऑफिस कामयाबी दिलाई. और इसी साल आई 'गदर'. मतलब, वो सनी के करियर का एकदम टॉप दौर था. सनी के एक्शन का अपना तगड़ा फैनबेस था, जो उनकी फ्लॉप फिल्मों में भी, उनके किरदार से इम्प्रेस होकर लौटता था.
पहले ही स्क्रीन पर गुस्से में तबाही मचाने वाले हीरो बन चुके सनी का, पाकिस्तान में जाकर हैंडपम्प उखाड़ना और उससे एक पूरी भीड़ की हड्डियों का चूरा बना देना अल्टीमेट हाई-पॉइंट था. 'गदर 2' के पीछे सनी की वो फॉलोइंग नहीं है. बल्कि अब यंग जेनरेशन में इस तरह का एक्शन वैसा पॉपुलर नहीं है. और इस पूरी जेनरेशन ने सनी का वो भौकाल बड़ी स्क्रीन पर नहीं फील किया है.
'गदर' की रिकॉर्ड तोड़ कामयाबी
तारा सिंह और सकीना की लव स्टोरी को 5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने थिएटर्स में देखा था. 90s से देखने पर, 'हम आपके हैं कौन' के बाद 'गदर' दूसरी सबसे ज्यादा देखी गई ऑरिजिनल हिंदी फिल्म है. 2001 में 'गदर' के 5 करोड़ फुटफॉल का ये आंकड़ा, बॉलीवुड आजतक पार नहीं पर पाया है. पिछले कई साल की सबसे बड़ी हिंदी फिल्मों 'पठान' 'बजरंगी भाईजान' वगैरह का फुटफॉल 3.5 करोड़ की रेंज में रहा.
उस दौर में सबसे बड़ी हिंदी फिल्मों का कलेक्शन 40 करोड़ रुपये की रेंज में होता था. 1994 में आई 'हम आपके हैं कौन' 72 करोड़ के कलेक्शन के साथ तब तक की सबसे बड़ी हिंदी फिल्म थी. 'गदर' इसके 7 साल बाद आई और 76 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर डाला. ये उन पहली फिल्मों में से थी जिन्होंने सबसे पहले बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ का ग्रॉस कलेक्शन किया था. आज के वक्त में ये आंकड़े इतने बड़े हो चुके हैं कि इन्हें मैच कर पाना लिटरली असंभव हो गया है.
'गदर 2' को सिर्फ नॉस्टैल्जिया का सहारा
बाद के सालों में जब बॉलीवुड में सीक्वल्स का ट्रेंड चला तो लोगों ने सनी से खूब सवाल किया कि 'गदर' का सीक्वल कब बनेगा. 22 साल बाद 'गदर 2' आ तो रही है, लेकिन इसका ट्रेलर, गाने और सारा प्रमोशनल कंटेंट एक ही चीज पर फोकस कर रहा है- 'गदर' की यादें.
'गदर 2' के गानों में से दो 'मैं निकला गड्डी लेके' और 'घर आजा परदेसी' पिछली फिल्म से हैं. ट्रेलर में बहुत सारी चीजें पिछली फिल्म के बेस्ट मोमेंट्स का एक कॉल बैक हैं. ट्रेलर में तारा सिंह खुद और उसका बेटा, उन्हीं बातों को एक बार फिर से याद दिला रहे हैं जो 'गदर' में हुई थीं. बार-बार उस कहानी को रेफर किया जा रहा है कि पिछली बार अपनी पत्नी को लाने पाकिस्तान गया तारा सिंह क्या गदर मचा कर आया था. और इस बार वो अपने बेटे को छुड़ाने जा रहा है. ट्रेलर जहां ख़त्म होता है, सनी देओल एक हैंडपंप की तरफ देख रहे हैं. 'गदर' में उनका हैंडपंप उखाड़ना, हिंदी फिल्मों के सबसे मजेदार हीरोइक मोमेंट्स में से एक था, जो लोगों को आजतक याद है.

पिछली फिल्म के कॉल बैक्स हटा दें तो 'गदर 2' के ट्रेलर में तारा के बेटे 'जीते' (उत्कर्ष शर्मा) की लव स्टोरी और उसके पाकिस्तान जाने पर फोकस बहुत कम है. नई फिल्म की कहानी में कुछ ऐसा नहीं है जो बहुत एक्साइटिंग हो. ऐसे में 'गदर 2', एक शानदार किरदार तारा सिंह की यादें ताजा करने का मामला ज्यादा लग रही है. 'गदर' और तारा सिंह इतने आइकॉनिक हैं कि सिर्फ नॉस्टैल्जिया ही फिल्म को एक हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर उठाए रखेगा. लेकिन स्क्रीन पर कुछ नया और कुछ दिलचस्प देखने वालों के लिए फिल्म में कुछ खास नहीं दिख रहा. ट्रेलर में दिख रहे एक्शन सीन और सिनेमेटोग्राफी भी बहुत मजबूत नहीं लग रहे. फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यूज उतनी तगड़ी नहीं हैं, जितनी अपने समय में 'गदर' की थीं.
डायरेक्टर अनिल शर्मा ने 'गदर' पर अच्छा खासा बजट खर्च किया था. 2001 में 19 करोड़ रुपये खर्च करके फिल्म बनाना एक बड़ी बात थी. उस दौर में बहुत सारी हिट फिल्मों का कलेक्शन 20 करोड़ की रेंज में होता था. 'गदर' को आइकॉनिक फिल्म बनाने में बहुत सारी चीजों का योगदान था. जबकि 'गदर 2' के लिए एक दर्शक को थिएटर्स में खींचने वाला फैक्टर सिर्फ एक है- तारा सिंह और सनी देओल की भौकाली स्क्रीन प्रेजेंस का सेलेब्रेशन. ये सेलेब्रेशन ही फिल्म की जोरदार एडवांस बुकिंग की वजह है और कम से कम पहले वीकेंड में ये 'गदर 2' को बॉक्स ऑफिस पर बहुत मजबूत बनाएगा.