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'हक' पर रोक की मांग, कानूनी पचड़े में फंसी इमरान-यामी की फिल्म, शाह बानो के परिवार ने जताई आपत्ति

शाह बानो बेगम की फैमिली ने यामी गौतम और इमरान हाशमी स्टारर फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक लगाने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करती है और शरीयत कानून को गलत तरीके से दर्शाती है.

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हक फिल्म पर रोक की मांग (Photo: Screengrab)
हक फिल्म पर रोक की मांग (Photo: Screengrab)

इमरान हाशमी और यामी गौतम स्टारर हक फिल्म कानूनी पचड़े में फंसती नजर आ रही है. फेमस शाह बानो बेगम केस से इंस्पायर्ड इस फिल्म पर शाह बानो के कानूनी वारिसों ने रोक लगाने की मांग की है. इसके लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. यह फिल्म 7 नवंबर को रिलीज होने वाली है.

हक के खिलाफ याचिका दायर

शाह बानो के परिवार के सदस्यों ने अपने वकील तौसीफ वारसी के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करती है. साथ ही शरीयत कानून को महिलाओं के प्रति पक्षपाती रूप में दिखाती है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि फिल्म मेकर्स ने शाह बानो बेगम के वारिसों से कोई कानूनी अनुमति नहीं ली है.

इंदौर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जल्द ही होने की संभावना है. फिल्म मेकर्स की ओर से हितेश जैन, परीणाम लॉ, और अमीत नाइक (नाइक एंड नाइक लॉ फर्म) अदालत में पक्ष रख रहे हैं.

फिल्म में दिखाई गई शाह बानो की जिंदगी

इस बीच, फिल्म का ट्रेलर दर्शकों द्वारा सराहा गया है और फिल्म को लेकर लोगों में काफी रुचि है. इससे पहले इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया था कि फिल्म के मेकर्स को एक कानूनी नोटिस भेजा गया था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने शाह बानो की निजी जिंदगी को बिना अनुमति के दिखाया है, जिससे मानहानि और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन होता है.

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शाह बानो बेगम के वकील तौसीफ जेड वारसी ने इंडिया टुडे से कहा,“फिल्म में शाह बानो की निजी जिंदगी दिखाई गई है. क्योंकि यह दो घंटे से ज्यादा की फिल्म है, हमें नहीं पता कि इसमें क्या-क्या घटनाएं दिखाई गई हैं और उन्हें किस रूप में पेश किया गया है. इसलिए, फिल्म की कहानी और थीम पहले उनके कानूनी वारिसों को बताई जानी चाहिए.''

प्रेम कहानी से कानूनी बहस में बदलती फिल्म

मेकर्स की मानें तो, ‘हक’ की शुरुआत एक प्रेम कहानी से होती है, जो धीरे-धीरे पति-पत्नी के निजी विवाद से आगे बढ़कर एक महत्वपूर्ण सामाजिक और कानूनी बहस में बदल जाती है. फिल्म में कोर्टरूम के सीन संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आने वाले समान नागरिक संहिता जैसे बड़े नीति विषयों पर रोशनी डालते हैं.

मालूम हो कि, शाह बानो का 1992 में ब्रेन हैमरेज की वजह से निधन हो गया था. इसलिए उनके परिवार ने उनकी ओर से ये याचिका दायर की है. अब हक फिल्म विवादों में फंस कर रह जाएगी, या मेकर्स को बीच का रास्ता निकालकर इसे 7 नवंबर को ही रिलीज करेंगे, ये देखना तो दिलचस्प होगा. 

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