
नेटफ्लिक्स का शो 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' कई महीनों से खूब चर्चा बटोरने के बाद, आखिरकार रिलीज हो गया है. चर्चा की वजह ये थी कि सुपरस्टार शाहरुख खान के आर्यन खान ने ये शो डायरेक्ट किया है. और फिल्म इंडस्ट्री के आधे से ज्यादा बड़े नामों ने तो इसमें कैमियो कर ही दिया है!
शो आ चुका है, जनता ने बिंज वॉच करना शुरू कर दिया है. क्रिटिक्स के रिव्यूज भी आ चुके हैं और जनता के भी. दोनों का निचोड़ ये है कि 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' को अधिकतर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है. मिलना चाहिए भी, क्योंकि डायरेक्शन में डेब्यू करने जा रहे यंग आर्यन खान ने शो क्रिएट करने में जिस किस्म की मैच्योरिटी दिखाई है, वो कंटेंट में काफी हद तक दिख भी रही है. तमाम सपनों और दुनियाभर की कहानियों को कैमरे में कैद करने वाले बॉलीवुड की तरफ ही आर्यन ने कैमरे का मुंह कर दिया है.
बॉलीवुड के काम करने के तौर तरीकों पर स्पूफ करने वाला 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' कई जगह तो बहुत इम्प्रेस करता है. मगर कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें इस शो ने छुआ तो लेकिन छूकर निकल गया. अगर आर्यन इन चीजों को थोड़ा और टाइट तरीके से डील करते तो ये चीजें 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' को बेहतरीन शो बना देतीं. आइए बताते हैं वो 5 चीजें जिनका ट्रीटमेंट शो में और बेहतर हो सकता था...
गंभीर मामलों से बचकर निकल जाना
बॉलीवुड के एक पॉपुलर राउंड टेबल पर सिद्धांत चतुर्वेदी और अनन्या पांडे के बीच, स्टारकिड्स बनाम आउटसाइडर वाली बहस का मोमेंट 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' में रीक्रिएट किया गया है. मगर इसे ना तो वैसे का वैसा रीक्रिएट किया गया है और ना इसमें पैरोडी जैसा कुछ मजेदार एलिमेंट है. इसे बस कहानी आगे बढ़ाने के लिए दिखा दिया गया है. इसमें आर्यन का बतौर डायरेक्टर अपना ओपिनियन मिसिंग है इसलिए ये कम असरदार लगता है.

इसी तरह आर्यन ने अपने साथ हुई ड्रग्स मामले वाली पूरी कंट्रोवर्सी की भी पैरोडी की है, मगर उसमें मजाक उड़ा देने भर की कोशिश लगती है. डायरेक्टर का अपना कुछ टेक इसमें मिसिंग है. पेड फिल्म क्रिटिक्स वाले एंगल को भी आर्यन का शो बस उड़ता-उड़ता छूकर निकल जाता है. जबकि 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' जैसे शो में इसे पूरी डिटेल में, फनी तरीके से दिखाने का पूरा स्कोप था.
गैंगस्टर्स की खुरपेंच
बॉलीवुड ने गैंगस्टर्स की जिंदगी को पर्दे पर खूब दिखाया है. मगर 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के गैंगस्टर सबसे ठंडे और बेअसर गैंगस्टर हैं. शो का ये एंगल ना तो कहानी को फनी बना पाता है और ना गंभीरता से ट्रीट कर पाता है. 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' जिस मिजाज का शो है, उसमें सेल्फ अवेयर कॉमेडी की बहुत जरूरत होती है. मगर गैंगस्टर्स वाले सबप्लॉट में ये शो कुछ खास मजेदार नहीं कर पाता. जबकि गैंगस्टर्स के उस्ताद गफूर भाई के रोल में अरशद वारसी जैसा दमदार कलाकार आर्यन के पास था.
सुस्त लव स्टोरी
शो के लीड कपल आसमान सिंह (लक्ष्य) और करिश्मा तलवार (साहिर ) की लव स्टोरी में केमिस्ट्री कहीं भी ठीक से डेवलप नहीं हो पाती. दोनों एक्टर्स ने अपनी तरफ से अच्छी कोशिश की है मगर ये दिक्कत राइटिंग की है. शो की पेस फास्ट रखने के चक्कर में इस लव स्टोरी को सांस लेने का मौका ही नहीं मिलता.

जिस सीक्वेंस में इमरान हाशमी इन दोनों को केमिस्ट्री की कोचिंग दे रहे हैं, वहां उस एक 'मैजिकल' मोमेंट की कमी बहुत खलती है,जो लव स्टोरीज की जान होता है. इस सीक्वेंस में भी इनकी सारी केमिस्ट्री बहुत मैन्युफैक्चर की हुई लगती है.
क्लाइमेक्स का तिकड़म
'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' क्लाइमेक्स में आकर एक अजीब सी उलझन में फंसा हुआ लगता है. पहले तो पूरा चेज सीक्वेंस लंबा खिंचता चला जाता है. जब सीक्वेंस एंड होता है तो आसमान और अजय तलवार (बॉबी देओल) के बीच एक ट्विस्ट आता है.
काबिल राइटिंग वो होती है, जो शुरू से इस तरह के ट्विस्ट का कुछ ना कुछ हिंट छुपाते चलती है. ताकि जब राज खुले तो अंदाजा लगाने वाले, सटीक अंदाजा लगाने पर खुश हों. और अंदाजा ना लगा पाने वाले इस बात से हैरान हों कि पहले इसका हिंट देखा तो था मगर गेस नहीं कर पाए थे.

अभी जिस तरह ये ट्विस्ट आता है, वो बॉलीवुड फिल्मों में अनजान लोगों के बीच अचानक खून का रिश्ता निकल आने वाले अंदाज की पैरोडी करने की कोशिश लगता है. लेकिन अगर ये पैरोडी है तो इसमें आपको हंसी नहीं आती. और अगर ये ट्विस्ट सीरियसली लिखा गया है तो ये एक जबरदस्ती घुसाया गया एंगल है, जिसका उस मोमेंट कोई सेन्स नहीं बनता.
शाहरुख-सलमान का कैमियो
'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' में कई बड़े सेलेब्स के कैमियो हैं. जहां रणवीर सिंह का कैमियो, परवेज (राघव जुयाल) के किरदार के साथ मजेदार मोमेंट क्रिएट करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. वहीं इमरान हाशमी का कैमियो बहुत दमदार है और कहानी के एक हिस्से की तरह ही लगता है.
शो में सलमान खान का कैमियो है, इसका अंदाजा खबरों से लग चुका था. और शाहरुख ने तो कैमियो करना ही था. आखिरकर उनके बेटे का ये डेब्यू प्रोजेक्ट है और प्रोड्यूसर भी उनकी ही कंपनी है. मगर सलमान और शाहरुख के कैमियो उतने दमदार नहीं हैं जितने हो सकते थे. सलमान का कैमियो तो पलक झपकते ही मिस भी हो सकता है.

शाहरुख का कैमियो उनसे लंबा होने के बावजूद, स्टोरी के साथ घुला हुआ नहीं नही. बात सिर्फ इतनी लगती है कि आर्यन की सीरीज में शाहरुख ने कैमियो किया है. वरना तो शाहरुख का कैमियो स्टोरी में एक ऐसा मोमेंट क्रिएट कर सकता था, जो यादगार बन जाता.
'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' वैसे तो एक ठीकठाक शो है जो बॉलीवुड के तामझाम पर हंसी भरे मजेदार सीन्स क्रिएट करता है. मगर कई बार इस शो में टोन का ये कन्फ्यूजन नजर आता है कि मामला पैरोडी रखा जाए या सीरियस. बस यही कन्फ्यूजन और हीरो की कहानी का साधारण ट्रीटमेंट इसे थोड़ा सा कमजोर करता है. आपको 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' कैसा लगा? कमेंट्स में हमें जरूर बताएं.