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Shahabad Assembly Seat: अपनी सीट नहीं बचा पाई कोई महिला विधायक, रजनी रचेंगी इतिहास?

शाहाबाद विधानसभा सीट से कोई महिला विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सकी. आजादी के बाद यह केवल दूसरा मौका है जब इस विधानसभा सीट की नुमाइंदगी कोई महिला कर रही है.

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यूपी Assembly Election 2022 शाहाबाद विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 शाहाबाद विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शाहाबाद से विधायक हैं बीजेपी की रजनी तिवारी
  • शाहाबाद की दूसरी महिला विधायक हैं रजनी

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की शाहाबाद विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां आधी आबादी की अच्छी-खासी आबादी होने के बाद भी कोई महिला विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सकी. आजादी के बाद यह केवल दूसरा मौका है जब इस विधानसभा सीट की नुमाइंदगी कोई महिला कर रही है. विधायक रजनी तिवारी किसी महिला के लगातार दूसरी बार विधानसभा में नहीं पहुंच पाने का ये मिथक तोड़ पाएंगी या नहीं, ये भविष्य के गर्त में छिपा है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

शाहाबाद विधानसभा सीट कभी शाहाबाद वेस्ट और शाहाबाद (SC) के नाम से भी जानी जाती थी. साल 2012 के परिसीमन में इस विधानसभा क्षेत्र के सवायजपुर और भरखनी इलाके को हटाया गया और टोडरपुर विकासखंड और पिहानी विकासखंड के गांव जोड़े गए. शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र आजादी के बाद साल 1952 में शाहाबाद पश्चिम नाम से जाना जाता था. 1952 के चुनाव में कांग्रेस के सैयद एजाज रसूल 11759 वोट पाकर विधायक निर्वाचित हुए थे. 1957 के चुनाव में ये सीट शाहाबाद (SC) हो गई. 1957 के चुनाव में इस सीट से एक नहीं, दो विधायक निर्वाचित हुए. सामान्य जाति से कांग्रेस की महिला उम्मीदवार विद्यावती वाजपेयी और सुरक्षित से कन्हैया लाल वाल्मीकि विधायक निर्वाचित हुए.

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इस विधानसभा सीट से साल 1962 में जनसंघ के डॉक्टर प्यारे लाल, 1969 में कांग्रेस के हरिहर बख्श सिंह, 1974 में जनसंघ के दधीच सिंह, 1977 में निर्दलीय बृज बल्लभ सिंह विजयी रहे. 1980, 1985 और 1989 में शाहाबाद सीट से कांग्रेस के रामावतार दीक्षित निर्वाचित हुए. कांग्रेस की सरकार में रामावतार दीक्षित राज्यमंत्री भी रहे. साल 1991 में बाबू खान निर्दलीय विधायक बने तो साल 1993, 1996 और 2012 में वे समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर निर्वाचित हुए. 2002 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापक सदस्यों में रहे गंगा भक्त सिंह, 2007 में बसपा के आसिफ खां बब्बू विधायक रहे.

2017 का जनादेश

शाहाबाद विधानसभा सीट से साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने रजनी तिवारी को चुनाव मैदान में उतारा. बीजेपी की रजनी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के आसिफ खान बब्बू को करीब चार हजार वोट के अंतर से हराया. 2017 के चुनाव में शाहाबाद सीट पर करीब 63.96 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

सामाजिक ताना-बाना

शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के लोग निवास करते हैं. साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 48 हजार 620 मतदाता हैं जिनमें 1 लाख 86 हजार 549 पुरुष और 1 लाख 62 हजार 58 महिलाएं हैं. अनुमानों के मुताबिक करीब 13 फीसदी ब्राह्मण, 11 फीसदी क्षत्रिय,  सात फीसदी यादव, चार फीसदी वैश्य, 21 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड 

शाहाबाद से विधायक रजनी तिवारी का जन्म 27 जुलाई 1973 को हुआ था. आर्य कन्या डिग्री कॉलेज से स्नातक रजनी का विवाह उपेंद्र तिवारी के साथ हुआ था जो 2007 में बसपा के टिकट पर बिलग्राम विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए थे. बीमारी के कारण उपेंद्र तिवारी के असमय निधन के बाद रजनी तिवारी राजनीति में आईं. 2008 में बिलग्राम विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में बसपा ने रजनी तिवारी को मैदान में उतारा और वो चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहीं.

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रजनी तिवारी को 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने सवायजपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया और उन्होंने सपा के दिग्गज अशोक वाजपेयी जैसे दिग्गज नेता को हरा दिया. साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले रजनी तिवारी बीजेपी में शामिल हो गईं. बीजेपी ने रजनी तिवारी को शाहाबाद विधानसभा सीट से टिकट दिया और वो जीत की हैट्रिक लगाने में सफल रहीं. रजनी 2022 में जीत का चौका लगाने की कोशिश में हैं.

 

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