राजस्थान (Rajasthan) में 13 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. इसमें झुंझुनू विधानसभा की सीट भी शामिल है. झुंझुनू से कांग्रेस के बृजेंद्र ओला के सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हो गई थी. साल 1957 में जब से शीशराम ओला चुनावी जीते थे, तब से महज दो बार ही ओला परिवार के बाहर का व्यक्ति इस सीट से जीता है. झुंझुनू विधानसभा में 1952 के बाद दो बार गैर-कांग्रेसी जीते हैं. विधायक बृजेंद्र ओला के झुंझुनू से सांसद बनने के बाद यहां उपचुनाव हो रहे हैं. ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी से अमित ओला पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, अमित ओला की पत्नी आकांक्षा ओला दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं. ओला परिवार का दबदबा खत्म करने के लिए इस बार बीजेपी ने पूरी ताकत लगा रखी है, मगर पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा निर्दलीय ताल ठोककर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. बीजेपी ने भी जाट उम्मीदवार राजेंद्र भांबू को प्रत्याशी बनाया है.
क्या है झुंझुनू का समीकरण?
सबसे पहले अगर वोटर्स की बात करें, तो इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 274533 वोटर्स हैं, जिनमें 142708 पुरुष मतदाता और 131820 महिला मतदाता हैं. जबकि थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 05 मतदाता हैं और 3343 सेवा नियोजित मतदाता हैं. अब अगर इस सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो झुंझुनू जाट बहुल सीट है, यहां जाटों की संख्या सबसे ज्यादा है. यहां चुनाव का सारा दारोमदार इस बार मुस्लिम मतदाता पर है.
क्या रहे हैं पिछले चुनाव के रिजल्ट?
ओला अपने परंपरागत जाट, मुस्लिम और एससी वोटों पर निर्भर हैं, तो भांबू जाट और मूल ओबीसी सहित स्वर्ण वोट पर दांव खेल रहे हैं. गुढ़ा राजपूत, मुस्लिम और एससी वोटों को अपनी तरफ करने में लगे हैं. दो चुनाव से बीजेपी के बागी पार्टी का खेल बिगाड़ रहे थे, मगर इस बार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बगावत नहीं होने दी. इसके पहले 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बबलू चौधरी को 57 हजार तो बागी राजेन्द्र भांबू को 22 हजार वोट मिल थे. इससे पहले 2018 में बीजेपी के उम्मीदवार राजेन्द्र भांबू को 35 हजार तो बागी बबलू चौधरी को 29 हजार वोट मिले थे. कांग्रेस में ओला परिवार के बाहर किसी को टिकट नहीं मिलता है.
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झुंझुनू विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रही हैं. पिछले 4 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से ओला परिवार का दबदबा रहा है. 1996 के उपचुनाव में ही डॉ. मूलसिंह शेखावत ने बीजेपी का खाता खोला था. फिर इसी सीट पर 2003 में बीजेपी की सुमित्रा सिंह ने जीत दर्ज की थी.