महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं और उत्तर प्रदेश में उपचुनाव. दोनों ही राज्यों की दो सीटें बारामती और करहल चर्चा में हैं. महाराष्ट्र की बारामती सीट पर डिप्टी सीएम अजित पवार और उनके भतीजे युगेंद्र पवार के बीच सीधा मुकाबला होने जा रहा है. यहां चार महीने पहले ही लोकसभा चुनाव में ननद-भाभी के बीच राजनीतिक टकराव हुआ था. अजित की पत्नी सुनेत्रा पवार को उनकी ननद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने सीधे मुकाबले में हरा दिया था. अब एक बार फिर इस सीट पर पवार परिवार में लड़ाई है. शरद पवार ने युगेंद्र को टिकट दिया है. युगेंद्र, शरद पवार के पोते और अजित पवार के भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं.
महाराष्ट्र के बारामती में एक बार फिर रोचक जंग देखने को मिलेगी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने बारामती विधानसभा क्षेत्र से युगेंद्र पवार की उम्मीदवारी घोषित कर दी है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि युगेंद्र के मैदान में आने से अजित पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अजित बारामती से अब तक सात बार विधानसभा चुनाव जीते हैं, लेकिन अब आठवीं बार उनके लिए रास्ता कठिन हो गया है. क्योंकि एक तरफ अजित पवार हैं और दूसरी तरफ पूरी पवार फैमिली उनके खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठी है.
शरद पवार ने भतीजे अजित को घेरने के लिए चला फैमिली कार्ड
अजित ने जुलाई 2023 में अपने सगे चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत की थी और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए थे. पार्टी का बड़ा अजित गुट के साथ चला गया. नतीजन, शरद के हाथ से पार्टी का चुनाव चिह्न 'घड़ी' भी चला गया और इस पर अजित गुट का कब्जा हो गया. शरद पवार ने इस साल लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाई और अजित को उनके गढ़ बारामती में करारा झटका दिया. दरअसल, बारामती को पवार परिवार का गढ़ माना जाता है. यहां विधानसभा चुनाव में अजित और लोकसभा चुनाव में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले जीतती आ रही हैं. लेकिन, इस बार लोकसभा चुनाव में समीकरण बदल गए. शरद गुट से सुप्रिया सुले मैदान में उतरीं तो अजित ने अपनी बहन के सामने पत्नी सुनेत्रा को मैदान में उतार दिया.
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युगेंद्र को बारामती में मेहनत का इनाम मिला
आम चुनाव के प्रचार में श्रीनिवास पवार और उनके पूरे परिवार ने सगे भाई अजित का साथ छोड़ा और चचेरी बहन सुप्रिया का समर्थन किया था. श्रीनिवास के बेटे युगेंद्र ने अपनी बुआ सुप्रिया की जीत के लिए पूरा जोर लगा दिया था. नतीजे आए तो सुप्रिया ने चौथी बार बारामती से चुनाव जीत लिया और अजित को बड़ा झटका लगा था.
इस बार अजित की प्रतिष्ठा दांव पर
अब विधानसभा चुनाव में शरद पवार ने युगेंद्र को मेहनत का इनाम दिया और अजित से बगावत का बदला लेने का फुल प्रूफ प्लान जमीन पर उतार दिया है. बारामती विधानसभा सीट पर युगेंद्र पवार अपने सगे चाचा अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ते दिखाई देंगे. इस चुनाव में अजित की प्रतिष्ठा दांव पर है. अजित, 1993 से बारामती विधानसभा सीट से चुनाव जीत रहे हैं. अजित पवार ने 2019 में बारामती विधानसभा सीट पर बीजेपी कैंडिडेट को 165000 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हराया था.
यूपी में फूफा-भतीजे में चुनावी मुकाबला
इसी तरह, यूपी में भी करहल सीट पर सैफई के यादव परिवार के फूफा-भतीजे के बीच चुनावी जंग देखने को मिलेगी. यहां बीजेपी के टिकट पर अनुजेश प्रताप सिंह यादव मैदान में हैं. उनका मुकाबला सपा उम्मीदवार तेजप्रताप यादव से होगा.
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मैनपुरी में सैफई परिवार और रिश्तेदार के बीच मुकाबला
मैनपुरी जिले की करहल सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. अखिलेश अब कन्नौज से सांसद हैं. करहल इलाके को सपा का गढ़ माना जाता है और 1993 से यहां पार्टी का दबदबा है. एकमात्र अपवाद 2002 में देखने को मिला, जब यह सीट बीजेपी के सोबरन सिंह यादव के पास चली गई. हालांकि, बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने एक समय करहल में जैन इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं. यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से करहल की दूरी सिर्फ चार किमी दूर है और ये इलाका अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है.
मुलायम और लालू के दामाद मैदान में
बीजेपी उम्मीदवार अनुजेश यादव, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं. यानी अनुजेश, अखिलेश और धर्मेंद्र के बहनोई हैं और मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव के दामाद हैं. अनुजेश, फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं. जबकि तेजप्रताप यादव भी सैफई परिवार के ही सदस्य हैं. तेजप्रताप, मुलायम सिंह यादव के भाई रतन सिंह के नाती और दिवंगत रणवीर सिंह यादव के बेटे हैं. तेज प्रताप सांसद भी रहे हैं और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. यानी उपचुनाव में फूफा अनुजेश और भतीजे तेजप्रताप आमने-सामने हैं. इस लिहाज से करहल सीट पर सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है.
सपा के किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी का बड़ा दांव
अनुजेश की पत्नी और धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव की एक पहचान यह भी है कि यादव परिवार की ये पहली बेटी हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था. संध्या साल 2015 से 2020 तक मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. इसी दरम्यान अनुजेश फिरोजाबाद में जिला पंचायत सदस्य रहे. अनुजेश के राजनीतिक करियर में एक और बात यह है कि उनकी मां उर्मिला देवी मैनपुरी के घिरोर विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक रही हैं. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले संध्या यादव ने अपने पति अनुजेश के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया था.
करहल इलाके को यादव बहुल माना जाता है. यही वजह है कि ये इलाका सपा के लिए एक मजबूत किले के रूप में काम करता है. 2022 के चुनाव में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को अखिलेश यादव के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में करहल में सपा को घेरने के लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है और यादव परिवार से ही नाता रखने वाले सदस्य को चुनाव में खड़ा कर दिया है.