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पी. चिदम्बरमः वित्त जगत का एक महारथी जिसे रास नहीं आया पारिवारिक कारोबार

Chidambaram Congress Finance Minister तमिलनाडु में शि‍वगंगा जिले के एक संपन्न कारोबारी परिवार में जन्मे पी. चिदम्बरम को पारिवारिक कारोबार रास नहीं आया. उन्होंने वकालत शुरू की और युवा अवस्था में ही राजनीति से जुड़ गए. उन्होंने कई बार केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाला.

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यूपीए सरकार के दौरान कई साल तक वित्त मंत्री रहे थे पी. चिदम्बरम (फोटो: पीटीआई)
यूपीए सरकार के दौरान कई साल तक वित्त मंत्री रहे थे पी. चिदम्बरम (फोटो: पीटीआई)

पलनीअप्पम चिदम्बरम यानी पी. चिदम्बरम फिलहाल महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हैं. वह यूपीए सरकार के दौरान सिर्फ करीब साढ़े तीन साल को छोड़कर दोनों बार वित्त मंत्री रहे. शि‍वगंगा जिले के एक संपन्न कारोबारी परिवार से जुड़े पी. चिदम्बरम को पारिवारिक कारोबार रास नहीं आया. उन्होंने वकालत शुरू की और युवा अवस्था में ही राजनीति से जुड़ गए. हालांकि, कांग्रेस से जुड़ने से पहले वह वामपंथी रुझान रखते थे.

वह 31 जुलाई, 2012 से 26 मई 2014 तक भारत के वित्त मंत्री रहे. नवंबर 2008 में वह देश के गृह मंत्री बने, उनके कार्यकाल के दौरान ही 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ. जुलाई, 2012 में वह फिर देश के वित्त मंत्री बने थे, जब प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति चुने गए.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पी. चिदम्बरम का जन्म 16 सितंबर 1945 को तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कनडुकथन में पी.चेट्टियार और लक्ष्मी अची के परिवार में हुआ था. उनके नाना राजा सर अन्नामलाई चेट्टियार एक धनी व्यापारी और चेट्टिनाड के एक बैंकर थे. अन्नामलाई चेट्टियार को ब्रिटिश राज ने राजा की उपाधि दी थी. चिदम्बरम के नाना और अन्य परिजन यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, इंडियन बैंक, अन्नामलाई यूनिवर्सिटी और इंडियन ओवरसीज बैंक जैसी कई महत्वपूर्ण संस्थाओं के संस्थापक रहे. चिदम्बरम ने मद्रास क्रिश्चियन काॅलेज हायर सेकंडरी स्कूल और चेन्नई के लायोला काॅलेज से पढ़ाई की. उन्होंने चेन्नई के ही प्रेसिडेंसी काॅलेज से बीएसी और मद्रास लाॅ काॅलेज से एलएलबी किया. उन्होंने 1968 में हाॅर्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया.

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वामपंथी रुझान था शुरुआत में

राजनीति की शुरुआत में वह वामपंथी रुझान रखते थे और 1969 में उन्होंने एन राम (जो बाद में द हिंदू के संपादक बने) और वुमन एक्टिविस्ट मैथिली शिवरमन के साथ एक पत्रिका रेडिकल रीव्यू की शुरुआत की.

उनके दो भाई और एक बहन हैं. उनके पिता टेक्सटाइल से लेकर प्लांटेशन तक के कई कारोबार करते थे. लेकिन उन्हें वकालत रास आई और वह अपने पारिवारिक कारोबार से दूर रहे. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट से वकालत शुरू की और बाद में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे.

उनकी शादी नलिनी चिदम्बरम से हुई जो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस (रिटायर्ड) पी.एस. कैलासम और प्रख्यात तमिल कवयित्री एवं लेखिका श्रीमती सुंदरा कैलासम की बेटी हैं. उनके बेटे कार्ति चिदम्बरम भी कांग्रेस के सदस्य हैं और तमिलनाडु की राजनीति में सक्रिय हैं. उनके बेटे कार्ति चिदम्बरम  को तमिलनाडु के शिवकाशी से कांग्रेस का टिकट दिया गया है.

राजनीतिक करियर

वह 1972 में कांग्रेस के सदस्य बने और 1973 से 1976 तक तमिलनाडु यूथ कांग्रेस के प्रेसिडेंट रहे. पी. चिदम्बरम पहली बार 1984 के आम चुनाव में तमिलनाडु के शिवगंगा क्षेत्र से सांसद चुने गए. वह तमिलनाडु युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और बाद में तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव चुने गए थे. वह राजीव गांधी की सरकार में 21 सितंबर 1985 को वाणिज्य मंत्रालय में उप मंत्री बनाए गए और बाद में कार्मिक मंत्रालय में चले गए. अपने कार्यकाल में वह चाय की कीमतों पर नियंत्रण के लिए काफी प्रसिद्ध हुए.

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1991 में चिदम्बरम पीवी नरसिम्हाराव की सरकार में वाणिज्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने. यहां वह जुलाई 1992 तक रहे. बाद में फरवरी 1995 से अप्रैल 1996 तक वह फिर इस पद पर रहे. वाणिज्य मंत्रालय में रहने के दौरान उन्होंने भारत की आयात-निर्यात नीति में कई जबर्दस्त बदलाव किए.

जब छोड़ दिया था कांग्रेस

चिदम्बरम कुछ समय के लिए कांग्रेस छोड़कर बाहर भी रह चुके हैं. उन्होंने 1996 में कांग्रेस छोड़ दिया और कांग्रेस के तमिलनाडु में विभाजन से बनी पार्टी तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए. 1996 में जब केंद्र में गठबंधन की सरकार बनी तो उसमें तमिल मनिला कांग्रेस भी शामिल हुई और चिदम्बरम के लिए यह बड़ा ब्रेक साबित हुआ. उन्हें वित्त मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण कैबिनेट मंत्रालय मिला. साल 1997 के बजट को आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था के ड्रीम बजट की तरह देखा जाता है. साल 2004 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो चिदम्बर को फिर से वित्त मंत्री बनाए गए. साल 2001 में वह टीएमसी छोड़कर अपनी पार्टी कांग्रेस जननायक पेरावाई नामक अपना राजनीतिक दल बनाया. लेकिन 2004 के चुनाव के पहले उन्होंने अपने राजनीतिक दल का कांग्रेस में विलय कर दिया.

26 नवंबर, 2008 को मुंबई हमले के बाद जब काफी दबाव के बाद शिवराज पाटील को इस्तीफा देना पड़ा, तब पी. चिदम्बरम को गृह मंत्री बनाया गया.

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विवाद और घोटाले

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2006 में यह आरोप लगाया कि पी. चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम को संचार कंपनी एयरसेल की पांच फीसदी हिस्सेदारी दी गई है. स्वामी के मुताबिक, यह शेयर उन्हें एयरेसल में 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के मैक्सिस कम्युनिकेशन के डील को मंजूरी दिलाने के लिए दिए जाने वाले घूस का हिस्सा है. इस मसले पर संसद में खूब हंगामा हुआ. कई मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि चिदम्बर ने इस डील की मंजूरी को सात महीने तक लटका कर रखा. प्रवर्तन निदेशालय इस मसले की जांच कर रहा है.

साल 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार में उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान चलाई गई स्वैच्छिक घोषित आय योजना (वीडीआइएस) की भी इस बात के लिए आलोचना की जाती है कि इसमें अनियमितता का रास्ता मिला.

सुब्रमण्यम स्वामी ने 2जी स्पेेक्ट्रम घोटाले में पी. चिदम्बरम के शामिल होने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को इस मामले को स्पेशल सीबीआई सेशन कोर्ट को सौंप दिया. लेकिन सबूतों के अभाव में सीबीआई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें क्लीन चिट दे दी.

बाबा रामदेव और उनके समर्थक जब जून 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण धरने पर बैठे थे, तब आधी रात को पुलिस ने लाठी चार्ज किया. उस समय चिदम्बरम ही गृह मंत्री थे और उनकी इस मामले में काफी आलोचना हुई.

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