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CM की रेस से पीछे हटने को तैयार नहीं डीके शिवकुमार, क्या CBI-ED-IT जांच उम्मीदों पर लगाएगी ग्रहण?

कर्नाटक में नए सीएम को लेकर रेस तेजी होती जा रही है. कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार और दिग्गज नेता सिद्धारमैया के बीच मुकाबला है. इसमें डीके अगले मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि, उनके खिलाफ आपराधिक मामले सबसे बड़ी समस्या बन सकते हैं. इतना ही नहीं, सीएम बनने की संभावनाओं पर ब्रेक तक लगा सकते हैं.

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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार कर्नाटक सीएम के दावेदारों में से एक हैं. (फोटो- पीटीआई)
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार कर्नाटक सीएम के दावेदारों में से एक हैं. (फोटो- पीटीआई)

कर्नाटक में नए सीएम को लेकर सस्पेंस बरकरार है. लगातार चार दिन से मंथन कर रहा कांग्रेस आलाकमान अब तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना सका है. पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच स्पर्धा लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, माना जा रहा है कि इस रेस में पार्टी के संकटमोचक माने जाने वाले डीके शिवकुमार सबसे आगे हैं. डीके ने पिछले कुछ महीनों में खुले तौर पर मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षाओं को स्वीकार किया है और वे दावेदारों में से एक हैं. हालांकि, पार्टी आलाकमान को अभी यह तय करना है कि डीके शिवकुमार कर्नाटक के अगले सीएम बनेंगे या नहीं.

सूत्रों के अनुसार, डीके शिवकुमार के खिलाफ आपराधिक मामले उनके अगले मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं में बाधा बन सकते हैं. डीके के खिलाफ 19 मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई केसों की जांच केंद्रीय एजेंसियां- आयकर विभाग, सीबीआई और ईडी कर रही है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान नफा-नुकसान के बारे में गहनता से विचार कर रहा है. यहां तक कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं के मत भी अलग-अलग हैं. 

डीके शिवकुमार के पक्ष में सोनिया गांधी?

सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने सिद्धारमैया का समर्थन किया है तो पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे किसी एक निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं. वहीं डीके शिवकुमार के साथ सोनिया गांधी के अच्छे संबंध हैं. अधिकांश विधायक सिद्धारमैया के साथ माने जा रहे हैं. इसके अलावा रणदीप सुरजेवाला भी दोनों ही नेताओं को लेकर न्यूट्रल हैं.

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टैक्स चोरी की जांच कर रहा आयकर विभाग

डीके शिवकुमार के ठिकानों पर आयकर विभाग ने 2017 में छापा मारा था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, नई दिल्ली में चार परिसरों में छापे के दौरान 8.5 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे, जो सीधे शिवकुमार से जुड़े थे. IT विभाग को नई दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव में खरीदे गए तीन फ्लैट भी मिले, जो कथित तौर पर शिवकुमार से जुड़े थे. आयकर विभाग ने 429 करोड़ रुपये से ज्यादा के बेहिसाब धन का पता लगाने का दावा किया था.

आईटी विभाग ने नई दिल्ली में कर्नाटक भवन में कर्मचारी और कथित रूप से करीबी सहयोगी शिवकुमार, हौमनथैया और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की है.

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ईडी ने दर्ज किया है मनी लॉन्ड्रिंग का केस

आयकर विभाग द्वारा दायर चार्जशीट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय एक्शन में आया है और उसने डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. ईडी ने 200 करोड़ रुपये के बेहिसाब धन का पता लगाने का दावा किया है. ये पैसा कथित रूप से डीके शिवकुमार का बताया गया है. जांच एजेंसी के मुताबिक, उनके पास 20 बैंकों में डीके शिवकुमार के 317 खातों का ब्योरा है. एजेंसी ने कहा था कि इन खातों में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है.

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ईडी ने 2019 में डीके को अरेस्ट किया था

ईडी ने डीके शिवकुमार की 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की कथित बेनामी संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज बरामद करने का भी दावा किया है. ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि जब डीके शिवकुमार से बेनामी संपत्तियों और बैंक खातों में बेहिसाब धन के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया. हालांकि, बेहिसाब धन के संबंध में चार गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. 100 घंटे से ज्यादा पूछताछ के बाद 3 सितंबर, 2019 को ईडी ने डीके शिवकुमार को गिरफ्तार किया था.

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नेशनल हेराल्ड केस में भी पूछताछ कर चुकी ईडी

डीके शिवकुमार नेशनल हेराल्ड मामले में भी जांच के दायरे में हैं, जिसमें वित्तीय जांच एजेंसी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी से भी पूछताछ की थी. ईडी ने यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में डीके के वित्तीय योगदान से संबंधित जांच के सिलसिले में समन जारी किया था. आरोप है कि डीके शिवकुमार ने भी राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के लिए कुछ पेमेंट किए थे. जांच एजेंसी की पूछताछ के बाद डीके शिवकुमार ने कहा था- 'उन्होंने मुझे और मेरे भाई से एक ट्रस्ट- यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को किए गए कुछ भुगतान के बारे में जानकारी मांगी है. मुझे पैसे देना याद है, क्योंकि यह एक धर्मार्थ ट्रस्ट है, लेकिन डिटेल याद नहीं है.'

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सीबीआई जांच के दायरे में भी उलझे डीके

ईडी और आईटी की सूचना के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2020 में डीके शिवकुमार और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में केस दर्ज किया था. कई स्थानों पर तलाशी भी ली गई थी. इनमें कर्नाटक में 9, दिल्ली में 4 और मुंबई में एक जगह पर छापा मारा गया था. इससे पहले, कर्नाटक की तत्कालीन भाजपा सरकार ने सीबीआई को डीके के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने की अनुमति दी थी. फिलहाल, इस मामले में अभी सीबीआई ने डीके शिवकुमार से पूछताछ नहीं की है.

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पार्टी के लिए सबसे ज्यादा वफादार, फंड भी जुटा सकते

डीके शिवकुमार के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक ठोस आधार बनाया है. वो कांग्रेस पार्टी में सबसे ज्यादा वफादार हैं. दक्षिणी कर्नाटक में पार्टी का बड़ा चेहरा हैं. सिद्धारमैया की सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे हैं. कांग्रेस के सबसे अमीर नेताओं में उनका नाम आता है. वे 840 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. कांग्रेस नेतृत्व जानता है कि शिवकुमार पर दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने और आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए धन जुटाने के लिए भरोसा किया जा सकता है. 

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कानूनी दायरों में उलझे, संगठन के फैसले पर निर्भर

हालांकि, डीके शिवकुमार कानूनी दायरे में भी उलझे हैं. डीके इस वक्त सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग की जांच के दायरे में हैं. उन्हें 104 दिन जेल में भी बिताने पड़े. फिलहाल, वो जमानत पर बाहर हैं. चूंकि कई मामले पेंडिंग हैं. कांग्रेस नेतृत्व को डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के सभी पहलुओं पर विचार करना पड़ रहा है. क्योंकि केंद्र संभावित रूप से पार्टी को शर्मिंदा करने के लिए पेंडिंग केसों की जांच और कार्रवाई में तेजी ला सकता है.

वोक्कालिगा समुदाय के सबसे बड़े चेहरे

डीके वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. कर्नाटक की सियासत में वोक्कालिगा समुदाय को लिंगायत के बाद दूसरी किंगमेकर मानी जाती है. जेडीएस प्रमुख देवगौड़ा इसी समुदाय से आते हैं. कर्नाटक में अब तक 6 मुख्यमंत्री वोक्कालिगा समुदाय के बने हैं. वोक्कालिगा समुदाय को कांग्रेस के खेमे में लाने की जिम्मेदारी डीके शिवकुमार पर रही है. वे 2008 में रामनगरम जिले के कनकपुरा विधानसभा सीट से पहली बार कांग्रेस विधायक बने थे. उसके बाद 2013 में उन्होंने इसी सीट से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. वे अब तक लगातार 8 बार इस सीट से विधायक चुने गए.

 

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