दक्षिण बंगाल का नंदीग्राम देश की सियासत के लिए सबसे चर्चित जगह है. वही नंदीग्राम जिसने 2011 में TMC प्रमुख ममता बनर्जी को कोलकाता की Writers Building तक पहुंचा दिया. 10 साल बाद एक फिर बंगाल की राजनीति निर्णायक मोड पर है. क्या सत्ता की लड़ाई में आगे का रास्ता नंदीग्राम से होकर गुजरेगा? क्या टीएमसी बनाम बीजेपी की सियासी जंग में बंगाल वही जीतेगा जिसकी मुट्ठी में नंदीग्राम होगा? आखिर ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान करके सबसे बडा सियासी दांव क्यों खेला? सवाल कई हैं. जुझारू छवि और स्थानीय पैठ के बलबूते ममता बनर्जी बंगाल में सियासी साम्राज्य स्थापित करने में कामयाब रहीं. बीते 3 दशक में ममता खुद कोई चुनाव नहीं हारीं लेकिन 42 लोकसभा सीट वाले राज्य में 2019 में बीजेपी अपनी नई जमीन तैयार करने में कामयाब रही. विस्तार का अगला चरण ममता बनर्जी को उनके गढ़ में पाला बदलकर आए सेनापति के दम पर घेरकर हराने हैं, बीजेपी ने जो चक्रव्यूह रचा, उसी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए ममता ने जोखिम भरा फैसला लेते हुए नंदीग्राम को सबसे बड़े दंगल के लिए चुना. क्या होगा इस चुनावी दंगल का नतीजा, देखें खास कार्यक्रम, चित्रा त्रिपाठी के साथ.