पटना में आयोजित 'पंचायत आजतक-बिहार' के मंच से जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि इस बार बिहार की जनता के पास एक विकल्प है. अगर जनता ने गलती की तो आने वाली पीढ़ी उन्हें माफ नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि पहली बार प्रत्याशियों की सूची में राज्य के सबसे बड़े वकील, डॉक्टर, शिक्षाविद, ईमानदार ब्यूरोक्रेट और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. जबकि उनके सामने बालू माफिया, शराब माफिया, भू माफिया, नरसंहार के आरोपी और दंगाई हैं.
प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता को तय करना है कि उन्हें कैसा राज्य चाहिए. अब तक लोग कहते थे कि विकल्प नहीं है, लेकिन अब है. उन्होंने कहा कि जनसुराज जीते ना जीते, बिहार जीतना चाहिए. अच्छे लोग जीतने चाहिए. उन्होंने कहा, 'प्रशांत किशोर को भूल जाइए. हर सीट पर तीनों प्रत्याशियों को देखिए. एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज. तीनों का मूल्यांकन करें. अगर जनसुराज का उम्मीदवार भी खराब लगे तो उसे भी वोट मत दीजिए लेकिन अच्छे आदमी को वोट दें. जनसुराज जीते ना जीते, बिहार जीतना चाहिए. अच्छे लोग जीतने चाहिए.'
‘उम्मीदवार चुनने में बहुत मुश्किल हुई’
प्रशांत किशोर ने बताया कि उम्मीदवार चुनने में बहुत मुश्किल हुई. उन्होंने तंज कसा कि सम्राट चौधरी 7वीं पास हैं या नहीं पता नहीं, लेकिन उन्होंने उस यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट किया है जो डिग्री ही नहीं देती. वो तारापुर से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके सामने एक डबल एमडी शिशुरोग विशेषज्ञ चुनाव लड़ रहा है. अब जनता को तय करना है कि किसे चुनना है.
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उन्होंने कहा कि जन सुराज के विचार के लिए बिहार में कोई जगह नहीं थी. तीन साल पहले जब हमने पैदल यात्रा शुरू की थी तो लोग कहते थे कि ऐसे प्रयास की बिहार में जगह नहीं है. फिर कहा गया कि ऐसे पार्टी नहीं बनती, लेकिन अब पार्टी बन गई, भीड़ आ रही है और उम्मीदवार भी मजबूत हैं. उन्होंने कहा कि या तो जन सुराज को 10 से कम सीटें मिलेंगी या 150 से ज्यादा. लोगों ने समझ लिया है कि हम एक विकल्प हैं.
'10 में चार लोगों को विश्वास इसका मतलब 40 परसेंट वोट'
पीके ने कहा कि अगर सर्वे में तीन-चार लोग भी यह कह रहे हैं कि इस बार जनसुराज से होगा, तो बिहार को बदलने के लिए इतने ही लोग तो चाहिए. 10 में से चार लोग मान गए तो मतलब 40 परसेंट वोट. त्रिकोणीय मुकाबले में इससे 150 से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं.
उन्होंने कहा कि आरजेडी का वोट शेयर 22 से 30 प्रतिशत के बीच है. अगर आरजेडी से 5 प्रतिशत वोट घटाकर जनसुराज को जोड़ दें तो तस्वीर बदल जाएगी. उन्होंने दावा किया कि जेडीयू को इस बार 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी. पिछली बार जेडीयू को 42 सीटें मिली थीं, अब वो और नीचे जाएंगे.
'आम आदमी पार्टी से तुलना गलत'
प्रशांत किशोर ने कहा कि जनसुराज आंदोलन से निकली पार्टी नहीं है. आंदोलन से सिर्फ विध्वंस होता है, सृजन नहीं. उन्होंने कहा कि हमारी तुलना टीएमसी, टीडीपी या डीएमके से की जा सकती है लेकिन AAP से इसलिए होती है क्योंकि वो आपकी मेमोरी में हाल फिलहाल की पार्टी है. दिल्ली और बिहार की भी कोई तुलना नहीं हो सकती. दिल्ली एक शहर है. बिहार 13 करोड़ की आबादी वाला राज्य है. देश का सबसे गरीब राज्य है. समाजवादी विचारधारा वाला राज्य है, जिसे आज तक बीजेपी पूरी तरह जीत नहीं पाई है.
'जाति फैक्टर है, लेकिन एकमात्र नहीं'
पीके ने कहा कि बिहार में जाति एक बड़ा फैक्टर है, लेकिन एकमात्र नहीं. अगर ऐसा होता तो 1984, 1989, 2010 या 2019 के चुनावों में समीकरण नहीं बदलते. उन्होंने कहा कि लालू यादव के MY समीकरण के बावजूद आज उनके पास 5 सांसद भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर लालू यादव और नीतीश कुमार जातीय समीकरण बना सकते हैं तो कोई भी बना सकता है. प्रशांत किशोर ने दावा किया कि नीतीश कुमार को 25 से कम सीटें आएंगी, बीजेपी को पिछली बार से कम सीटें मिलेंगी और तेजस्वी यादव 25 से 35 सीटों पर ही रहेंगे.