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बिहार के 17 और यूपी के 86 दल अब नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, इलेक्शन कमीशन का बड़ा फैसला

बिहार में चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए निर्वाचन आयोग ने 17 पंजीकृत लेकिन निष्क्रिय गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को विधानसभा समेत किसी भी चुनाव में भाग लेने से रोक दिया है. जांच में पाया गया कि ये दल पिछले छह वर्षों से चुनावी प्रक्रिया से बाहर हैं और इनका कोई सक्रिय कार्यालय भी नहीं है.

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बिहार में 17 राजनीतिक दल चुनाव से बाहर (Photo: ITG)
बिहार में 17 राजनीतिक दल चुनाव से बाहर (Photo: ITG)

बिहार में चुनाव सुधार के तहत निर्वाचन आयोग ने 17 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP) को चुनाव लड़ने से रोक दिया है. जांच में पाया गया कि ये दल पिछले छह सालों से किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में शामिल नहीं हुए हैं और न ही इनका कोई स्थायी कार्यालय मौजूद है.

निष्क्रिय दलों को सूची से हटाने का फैसला

निर्वाचन आयोग ने इन दलों को गैर सूचीबद्ध कर दिया है. अब ये भविष्य में किसी भी प्रकार का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. यह फैसला चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाने के मकसद से लिया गया है.

बिहार के ये 17 दल अब नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

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इन दलों में भारतीय बैकवर्ड पार्टी, राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, लोकतांत्रिक समता दल, गांधी प्रकाश पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, हमदर्दी जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी, जैसे नाम शामिल हैं. आयोग ने इन दलों को अपनी बात रखने का मौका भी दिया है.

आयकर छूट और अन्य सुविधाओं का गलत इस्तेमाल

आयोग के अनुसार, ये दल लंबे समय से चुनाव नहीं लड़ रहे थे, फिर भी पंजीकरण का फायदा उठाकर आयकर अधिनियम के तहत टैक्स छूट जैसी सुविधाएं ले रहे थे. इसके अलावा चुनाव के दौरान प्रचार सामग्री, गाड़ियां और अन्य संसाधन देने के नाम पर भी लाभ उठा रहे थे.

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पूरे देश में चल रहा सफाई अभियान

इस अभियान के तहत देशभर के 2,800 से अधिक RUPP की सूची बनाई गई है. पहले चरण में 345 दलों को निष्क्रिय मानते हुए सूची से हटाया जा रहा है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी 86 दलों को नोटिस भेजा गया है और उन्हें भी सूची से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

निष्क्रिय लेकिन प्रभावी?

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भले ही ये दल खुद चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन ये दूसरे दलों या प्रत्याशियों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाते हैं. ये कागज पर मौजूद दल चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए आयोग ने यह सख्त कदम उठाया है.

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