आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने बिजनेस स्कूल में लड़कियों की भागीदारी कम होने के लिए प्रवेश परीक्षाओं में जरूरत से ज्यादा परिणामात्मक या गणितीय अभिक्षमता परीक्षण पर बल दिए जाने को जिम्मेदार ठहराया है.
चंदा का कहना है कि ऐसी परीक्षाओं में सभी पहलुओं पर संतुलित ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. निजी क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी चंदा ने कहा, ' एमबीए की प्रवेश परीक्षा में मात्रात्मक अभिक्षमता के परीक्षण पर ज्यादा जोर देने से लड़कियां इन पाठ्यक्रमों से दूर हो जाती हैं. अगर प्रवेश परीक्षाओं में सभी पहलुओं पर जोर दिया जाए तो लड़कियों की भागीदारी अधिक हो सकती है.'
उन्होंने कहा कि बी-स्कूल के छात्रों में लड़कियों का प्रतिशत केवल 10 से 15 प्रतिशत है. वह बैंक से जुड़ने से पहले स्वयं बी-स्कूल की छात्र रही हैं. चंदा ने क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड या मात्रात्मक अभिक्षमता परीक्षा पर विशेष जोर को लेकर सवाल उठाया और कहा कि सामान्य प्रबंधकीय योग्यताओं को विकसित करने में इतना जोर दिए जाने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, 'अगर पाठ्यक्रम मात्रात्मक उन्मुख है, आपको उस पर जोर दिए जाने की जरूरत है लेकिन अगर पाठ्यक्रम प्रबंधन उन्मुख है तो आपको ऐसे प्रवेश परीक्षा की जरूरत है जिसमें सभी पहलुओं पर जोर हो.'
आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख ने कार्यस्थल को ज्यादा विविध बनाने की जरूरत पर भी बल दिया और कहा कि महिलाओं का प्रतिशत अधिक होने से कारोबार से अच्छा परिणाम निकल सकता है. उन्होंने कहा कि आधी ग्राहक महिलाएं होने के साथ कंपनियों को ग्राहकों को बेहतर तरीके से समझने के लिए ज्यादा महिला कर्मचारी रखने की जरूरत है.
इनपुट: भाषा