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दुनिया का ऐसा रेगिस्तान, जहां अपने आप खिसकते हैं पत्थर, ये है राज

जरा सोच कर देखिए, आप ऐसे रेगिस्तान में खड़े हैं जहां पत्थर अपने आप खिसक रहे हैं, आपको कैसा लगेगा? बता दें, दुनिया में एक ऐसा रेगिस्तान है जहां अपने आप खिसकते हैं पत्थर. जानिए ऐसा क्यों होता है, क्या है राज?

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 डेथ वैली (फोटो-फेसबुक)
डेथ वैली (फोटो-फेसबुक)

दुनिया में कई रोचक और खतरनाक रहस्य है, जिसे अब तक नहीं सुलझाया गया है. ऐसा ही एक रहस्य छिपा है पूर्वी कैलिफोर्निया में एक रेगिस्तान में जिसका नाम डेथ वैली है. यह एक रेगिस्तान है जहां पर तापमान सबसे ज्यादा रहता है. यह उत्तरी अमेरिका का सबसे गर्म, सूखा स्थान है.

ये एक ऐसी जगह है जहां वैज्ञानिकों को हमेशा कुछ न कुछ चौंकाने वाली चीज मिलता रहती है. इस जगह पर सबसे ज्यादा जो चीज चौंकाती है वह है यहां के अपने आप खिसकने वाले पत्थर. यहां इस रेगिस्तान के पत्थर बिना किसी की मदद के खिसकते हैं.

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बता दें, इन खिसकते पत्थरों को 'Sliding Stones' के नाम से जाना जाता है. खुद-ब-खुद खिसकसे हुए ये पत्थर वैज्ञानिकों के लिए एक ऐसी पहले बनी हुई जिसे अब तक सुलाझाया नहीं गया है. यहां के रेसट्रैक क्षेत्र में 320 किलोग्राम तक के पत्थरों को एक जगह से दूसरी जगह जाते हुए देखा गया है.


आपको बता दें, रेसट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है. लेकिन यहां बिखरे हुए पत्थर खुद-ब-खुद खिसकते हैं.

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किया गया अध्ययन

वैज्ञानिकों की टीम ने पत्थर के खुद-ब-खुद खिसकने के रहस्य को सुलाझाने के लिए अपनी एक टीम बनाकर यहां खोज शुरू की थी. टीम ने पत्थरों के एक ग्रुप का नामकरण कर उस पर सात साल अध्ययन किया.

वहीं इनमें से एक केरीन नाम का पत्थर लगभग 317 किलोग्राम का था जो अध्ययन के दौरान बिल्कुल भी नहीं हिला था, लेकिन जब वैज्ञानिक कुछ साल बाद वहां वापस लौटे, तो उन्होंने उस पत्थर को अपनी जगह से 1 किलोमीटर दूर पाया.

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हालांकि वैज्ञानिक अब तक कोई ठोस वजह का पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर ये पत्थर अपनी जगह से खुद-ब-खुद खिसकते कैसे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का यह मानना है कि किसी इंसान या जानवर के जरिए इन पत्थरों को घसीटने के सबूत नजर दिखाई नहीं देते क्योंकि वहां मौजूद मिट्टी बिना छेड़छाड़ दिखाई देती है. इसलिए संभावना जताई जाती है कि भौगोलिक बदलाव या तूफान के चलते पत्थर अपने आप खिसक जाते हैं. खैर पत्थर के खिसकने का रहस्य आज भी बना हुआ है.

 

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