'सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है. अकेले पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से ही उड़ान होती है'. इन पंक्तियों को साकार किया है मध्य प्रदेश के एक स्टूडेंट सैफी शाह ने. सैफी ने दुर्घटना में दोनों हाथ गवाने के बाद पैरों से लिखना सीखा और आज वह बोर्ड की परीक्षा दे रहा है.
उसने बिना किसी की मदद के दसवीं बोर्ड की वार्षिक परीक्षा का प्रश्न पत्र हल किया. सैफी ने पैरों से हाथ का काम लिया और पैरों से उत्तर लिखे.
पेंचवेहली उत्कृष्ट विद्यालय के परीक्षा केंद्र मैं शैफी ने परीक्षा दी. लगभग छह साल पहले सैफी एक दुर्घटना में हाथ गवां बैठा था. खेलते समय सैफी इलेक्ट्रिक लाइन से जा टकराया. बिजली के झटके से वह छत से नीचे जा गिरा. बाद में डाक्टरों को उसके दोनों हाथ काटने पडे. उस समय चौथी क्लास के स्टूडेंट शैफी ने हिम्मत नहीं हारी और आगे कदम बढ़ाने शुरू किए.
सैफी बताता है कि शुरुआती दौर में उसे काफी मुश्किलें आईं पर हिम्मत और मेहनत ने रंग दिखाया और आज वह अच्छे तरीके से पैरों से लिख लेता है. मध्यम वर्गीय परिवार के सैफी के पिता शमीम शाह एक बूट हाउस चलाते हैं.
आराधना कान्वेंट स्कूल के प्राचार्य मधु राय बताती है कि सैफी ने जिला स्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता में भाग भी लिया है. सैफी कैरम का भी अच्छा खिलाड़ी है और जिसका हौंसला देखकर लोग भी आश्चर्य में पड़ जाते हैं.
इनपुट भाषा से