त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हो गए हैं और 3 तारीख को चुनाव के रिजल्ट जारी किए जाएंगे. आपने त्रिपुरा के चुनावी इतिहास के बारे में तो जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर त्रिपुरा का इतिहास क्या है?
वीकिपीडिया के अनुसार त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी. हालांकि 1808 में इसे ब्रिटिश साम्राज्य ने जीता और यह स्व-शासित शाही राज्य बना. आजादी के बाद यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ.
भारत के आजाद होने के बाद 15 अक्टूबर 1949 को सी कैटेगरी स्टेट बनाया गया और बाद में 1956 में यह केंद्र शासित प्रदेश बना. उसके बाद जुलाई 1963 में इस यहां मंत्रालय बने और 1972 में त्रिपुरा को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल हुआ.
राजमाला के अलग अलग एपिसोड के अनुसार इस राज्य पर मणिक्य वंश के 180 के करीब राजाओं ने राज किया था. साल 1947 में भारत के विभाजन और उस वक्त हुई राजनीतिक उथल-पुथल ने त्रिपुरा में माणिक्य वंश खत्म किया.
कहा जाता है कि त्रिपुरा का नाम एक राजा त्रिपुर के नाम पर पड़ा था. हालांकि त्रिपुरा टूरिज्म की वेबसाइट के अनुसार इतिहास को लेकर कई तर्क दिए जाते हैं.
दूसरी ओर कहा जाता है कि त्रिपुरा शब्द स्थानीय कोकबोरोक भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है - त्वि और प्रा. त्वि का अर्थ होता है पानी और प्रा का अर्थ निकट. साथ ही बंगाल की खाड़ी के पास होने की वजह से यह नाम रखा गया था.
त्रिपुरा का उल्लेख महाभारत, पुराणों और अशोक के शिलालेखों में भी मिलता है. पहले उदयपुर इसकी राजधानी थी, जिसे अठारहवीं सदी में पुराने अगरतला में लाया गया और उन्नीसवीं सदी में नए अगरतला में शामिल किया गया.
त्रिपुरा का बड़ा पुराना और लंबा इतिहास है. इसकी अपनी अनोखी जनजातीय संस्कृति तथा दिलचस्प लोकगाथाएं है. कई लड़ाइयों में त्रिपुरा के शासकों ने बंगाल के सुल्तानों कों हराया था.