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'इंग्ल‍िश' के क्रेज से पिछड़ गए बनारस के सरकारी इंटर कॉलेज, कभी यहां पढ़कर बनते थे अफसर

डीआईओएस डॉ विजय प्रकाश सिंह ने बताया कि मूल वजह छात्र छात्राओं का सीबीएसई और अंग्रेजी स्कूलों के तरफ आकर्षण है. भले ही उनके स्कूलों में भी ऐसी सुविधाएं उपलब्ध है.

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GIC Varanasi
GIC Varanasi
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 8 गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में से 3 ब्वायज और 5 गर्ल्स के लिए
  • तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर सरकारी इंटर कॉलेजों से पढ़े

वाराणसी में वर्तमान में कुल 9 गवर्नमेंट इंटर कॉलेज हैं. इसमें से एक अभिनव विद्यालय भी है जिसमें 100 छात्रों के लिए आवासीय व्यवस्था है. वहीं अन्य 8 गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में से 3 ब्वायज और 5 गर्ल्स के लिए हैं. गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं की गिरती संख्या और बाहर निकलते कम प्रतिभावान छात्र-छात्राओं के बारे में वजह बताते हुए डीआईओएस डॉ विजय प्रकाश सिंह ने कहा कि मूल वजह छात्र छात्राओं का सीबीएसई और अंग्रेजी स्कूलों की तरफ आकर्षण है. हालांकि उनके स्कूलों में भी ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा पिछले 2 वर्षों में अध्यापकों की भी कमी का होना भी वह बड़ी वजह मानते हैं. 

उन्होंने गवर्नमेंट इंटर कॉलेज की पुरानी इमारतों के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि खर्च के नाम पर प्रत्येक विद्यालय को सालाना 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये मेंटेनेंस के नाम पर मिलता है और सारी सैलरी सरकार की ओर से दी जाती है. उन्होंने जानकारी दी कि अभी वाराणसी में वर्तमान में सभी 9 गवर्नमेंट इंटर कॉलेज को मिलाकर 11000 से 12000 छात्र-छात्राएं हैं. अध्यापकों की कमी अब दूर हो गई है और विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए प्रत्येक विद्यालय के लिए 4 से 5 लाख रुपये का स्टीमेट भी सरकार को भेजा गया है. 

वही वाराणसी के प्रसिद्ध गवर्नमेंट इंटर कॉलेजों में से एक क्वींस इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ राजेश यादव ने aajtak.in को बताया कि उनके इंटर कॉलेज में लगातार छात्रों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती चली जा रही है. वर्तमान में कोरोना काल के दौरान भी लगभग 2800 छात्रों की संख्या है. उनके विद्यालय से प्रतिभावान छात्र भी साल दर साल देश और समाज की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी होने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही अविनाश यादव नाम के उनके पूर्व छात्र की एसडीएम के पद पर नियुक्ति हुई है तो वही आनंद त्रिपाठी पीसीएस बने हैं. इसके अलावा तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर तक उनके इंटर कॉलेज से पढ़े हुए छात्र हैं और अभी भी बनारस और पूरे पूर्वांचल में 80% तक चिकित्सकीय सेवा देने वाले उन्हीं के कैंपस के छात्र हैं.

 

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