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छठी क्लास तक के 47% स्टूडेंट्स को 10 तक का पहाड़ा नहीं आता... शिक्षा मंत्रालय के सर्वे में गजब खुलासे

शिक्षा मंत्रालय के सर्वे के अनुसार, कक्षा 6 में सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र ही जोड़, घटाव जैसी गणित की बुनियादी बातों को समझ पाते हैं. वे 10 तक के जोड़ और गुणा के पहाड़े जानते हैं और रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए संख्याओं पर चार मुख्य गणितीय क्रियाओं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) का सही इस्तेमाल कर पाते हैं.

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Ministry of Education (MoE) On School Education
Ministry of Education (MoE) On School Education

Education Survey 2025: शिक्षा मंत्रालय (MoE) द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 3 के सिर्फ 55 प्रतिशत छात्र ही 99 तक की संख्याओं को सही तरीके से आरोही (Ascending) या अवरोही (Descending) क्रम में रख पाते हैं.

समग्र विकास के लिए छात्रों के ज्ञान का आकलन करने वाला राष्ट्रीय सर्वेक्षण, जिसे पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) कहा जाता था पिछले साल 4 दिसंबर को आयोजित किया गया था, जिसमें 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों के कक्षा 3, 6 और 9 के सरकारी और निजी स्कूलों के 21,15,022 छात्रों को शामिल किया गया था.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि तीनों कक्षाओं के 1,15,022 बच्चों का मूल्यांकन किया गया और 2,70,424 शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों ने प्रश्नावली के माध्यम से उत्तर दिए. रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 3 के केवल 55 प्रतिशत छात्र ही 99 तक की संख्याओं को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर सकते हैं, जबकि 58 प्रतिशत छात्र दो अंकों की संख्याओं का जोड़ और घटाव कर सकते हैं.

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सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र ही सॉल्व कर पाते हैं बेसिक मैथ्स

कक्षा 6 में सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र ही जोड़, घटाव जैसी गणित की बुनियादी बातों को समझ पाते हैं. वे 10 तक के जोड़ और गुणा के पहाड़े जानते हैं और रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने के लिए संख्याओं पर चार मुख्य गणितीय क्रियाओं (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) का सही इस्तेमाल कर पाते हैं.

गणित में पीछे रहे छठी क्लास के बच्चे

कक्षा 6 में, भाषा और गणित के साथ-साथ एक अतिरिक्त विषय 'The World Around Us', जो पर्यावरण और समाज को कवर करता है, शुरू किया गया. छात्रों ने गणित में सबसे कम अंक (46 प्रतिशत) प्राप्त किए, जबकि भाषा में औसतन 57 प्रतिशत और हमारे आसपास की दुनिया में राष्ट्रीय स्तर पर 49 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, ऐसे उदाहरण जहां 50 प्रतिशत से कम छात्र सही उत्तर दे पाए, सीखने में कमियों को दर्शाते हैं.

एक अधिकारी ने कहा, "सीखने में ये कमियां छात्रों के कौशल को मज़बूत करने, शिक्षण रणनीतियों को परिष्कृत करने और अतिरिक्त शिक्षण सहायता प्रदान करने के लिए केंद्रित हस्तक्षेपों की आवश्यकता को उजागर करती हैं. इन क्षेत्रों पर प्रभावी ढंग से ध्यान देने से देश में छात्रों के समग्र शिक्षण परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी." कक्षा 3 के मामले में, केंद्र सरकार के स्कूलों ने गणित में सबसे कम प्रदर्शन किया.

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कक्षा 9वीं के छात्रों का बेहतर प्रदशर्न

इसी प्रकार, कक्षा 6 के मामले में, सरकारी सहायता प्राप्त और राज्य सरकार के स्कूलों ने, विशेष रूप से गणित में, खराब प्रदर्शन किया. कक्षा 9 में, केंद्र सरकार के स्कूलों के छात्रों ने सभी विषयों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, भाषा में स्पष्ट रूप से आगे रहे. निजी स्कूल विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन गणित में उनके अंक कम रहे.

भाषा विषय में अच्छा कर रहे छात्र

राज्य सरकार और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों ने समान परिणाम दर्ज किए, जहां गणित में सबसे कम प्रदर्शन देखा गया. सभी प्रकार के स्कूलों में भाषा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला विषय रहा, जबकि गणित लगातार सबसे कमज़ोर रहा. ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में भी एक महत्वपूर्ण अंतर देखा गया. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 के छात्रों ने गणित और भाषा दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं शहरी क्षेत्रों में कक्षा 6 और 9 के बच्चों ने सभी विषयों में अपने ग्रामीण समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया.

स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि अब सिर्फ मूल्यांकन करना ही नहीं, बल्कि उसके आधार पर आगे की ठोस कार्रवाई करना ज़रूरी है. इसके लिए परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के नतीजों को उपयोगी कदमों में बदलने की एक विस्तृत और कई स्तरों वाली योजना तैयार की गई है.

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उन्होंने आगे कहा कि इस योजना के तहत राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और क्षेत्रीय स्तर पर कार्यशालाएं होंगी, जिनमें सर्वे के आंकड़े धीरे-धीरे साझा किए जाएंगे. इन कार्यशालाओं का मकसद सिर्फ नतीजों को समझना ही नहीं होगा, बल्कि हर ज़िले के लिए एक खास योजना बनाना भी होगा, जिसमें सभी की जिम्मेदारियाँ साफ तौर पर तय की जाएंगी.

हर तीन साल में होता है सर्वे

परख को सभी बोर्डों के लिए मूल्यांकन दिशानिर्देश तैयार करने का काम सौंपा गया है ताकि विभिन्न राज्य बोर्डों में नामांकित छात्रों के अंकों में असमानताओं को दूर करने में मदद मिल सके. तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों द्वारा विकसित क्षमताओं का आकलन करने वाला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) हर तीन साल में आयोजित किया जाता है. पिछला एनएएस 2021 में आयोजित किया गया था.

भाषा में कक्षा तीन की लड़कियों का बेहतर प्रदर्शन

भाषा में, कक्षा 3 में लड़कियों ने लड़कों की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया. लड़कियों को औसतन 65 प्रतिशत अंक मिले जबकि लड़कों को 63 प्रतिशत अंक मिले. गणित में लड़कियों और लड़कों दोनों ने समान 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए.

विशेष रूप से, एनईपी 2020 के चरणों के साथ संरेखण के कारण, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (अब परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण) के 2017, 2021 और 2024 के तीन चक्रों में केवल कक्षा 3 के अंक ही तुलनीय रह गए हैं क्योंकि यह तीनों चक्रों में मूल्यांकन किया जाने वाला एक ही ग्रेड है.

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2024 में राष्ट्रीय औसत 2017 के स्तर से थोड़ा पीछे है, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2024 में अपने पिछले प्रदर्शन को पार कर लिया है, जो मजबूत रिकवरी और सफल शिक्षण हस्तक्षेप का प्रदर्शन करता है. इनमें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश शामिल हैं.

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