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कॉलेज में हुआ फेल, इंग्लिश में मिला एक नंबर, फिर ऐसे बना आर्मी अफसर

अली शाह हमेशा से ही एक एवरेज स्टूडेंट रहे हैं. वह कक्षा नौंवी, कॉलेज और कई परीक्षाओं में फेल हो चुके हैं. परीक्षा में फेल होने के बाद वह डिप्रेशन में आ गए थे. वहीं उनकी टेंशन उस समय बहुत ज्यादा बढ़ जाती थी जब लोग उन्हें ताने मारते थे.

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मेजर मोहम्मद अली शाह
मेजर मोहम्मद अली शाह

ये कहानी है मेजर मोहम्मद अली शाह की. जिन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा. वह फौजी बनना चाहते थे, लेकिन अक्सर किस्मत उन्हें  हार का मुंह दिखा देती थी, फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका मानना था 'जिदंगी हर मोड़ पर हमें हराने की कोशिश करती है और जो लोग हार के बाद कोशिश करना छोड़ देते हैं वो हमेशा के लिए हार जाते हैं. वहीं जो लोग हार के बाद फिर से खड़े होते हैं वो विजेता बन जाते हैं.'

अली शाह हमेशा से ही एक एवरेज स्टूडेंट रहे हैं. वह कक्षा नौंवी, कॉलेज और कई परीक्षाओं में फेल हो चुके हैं. परीक्षा में फेल होने के बाद वह  डिप्रेशन में आ गए थे. वहीं उनकी टेंशन उस समय बहुत ज्यादा बढ़ जाती थी जब लोग उन्हें ताने मारते थे.

अली शाह ने एक इंटरव्यू में बताया था, जब मैं कक्षा 9वीं में फेल हुआ था तो मेरा डिप्रेशन में चला गया था. 12वीं में पास होने के बाद वह  यूपीएससी की ओर से आयोजित नेशनल डिफेंस अकेडमी (NDA) की परीक्षा दी, लेकिन इस परीक्षा में भी मैं फेल हो गया था.

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फेल होने के बाद लोगों ने मेरा काफी मजाक बनाया और कहा, 'तेरे बस की नहीं है. तू कहां आर्मी में जाएगा'. अली ने बताया- लोगों की ऐसी बातें सुनकर मुझे बहुत बुरा और खराब लगता था.'

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जिसके बाद मैंने जमकर पढ़ाई शुरू कर दी. मैंने पुणे के कॉलेज में पढ़ाई की, लेकिन कॉलेज में एक ऐसी परीक्षा में फेल हो गया था, जो किसी भी प्रतियोगिता के लिए बहुत जरूरी होता है. वो पेपर था इंग्लिश का.  मुझे इसमें 100 में से एक नंबर मिला था. अली ने बताया, ये नंबर मेरे उस समय आए थे जब मैं पूरे 100 नंबर का पेपर हल करके आया था.

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एक नंबर आने के बाद अली का आत्मविश्वास टूट चुका था.  वह हार मान चुके थे, लेकिन कुछ समय बाद वह फिर खड़े हुए और यूपीएससी की कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) की परीक्षा दी.

सीडीएस की परीक्षा देने के बाद वह दिल्ली आ गए और कॉल सेंटर में नौकरी करने लगे. वहीं जब सीडीएस का रिजल्ट आया था उस समय में वह यूपीएससी के ऑफिस जा रहे थे. उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि वह पास हो जाएंगे, क्योंकि  वह हर बार फेल ही होते थे.


जैसे ही अली ने सीडीएस परीक्षा की लिस्ट में अपना नाम देखा तो वह खुशी के मारे उछल पड़े और सबसे पहले अपने माता- पिता को कॉल कर कहा, 'हैलो, मैं लेफ्टिनेंट मोहम्मद अली शाह बोल रहा हूं'. 

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रिजल्ट के बाद अली का दाखिला ऑफिसर ट्रेनिंग अकेडमी (OTA) में हो गया. यहां आर्मी की सबसे कठिन 4 साल की ट्रेनिंग होती है. एक साल NDA में और 3 साल IMA में.

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अली ने बताया- मैंने छुट्टियों के दौरान भी ट्रेनिंग की. क्योंकि मैं ट्रेनिंग में  कमजोर था. उस दौरान घर की याद आती थी, लेकिन मेरे लिए देश पहले था.  ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वह असम राइफल के परेड कमांडर  बने थे.

26 जनवरी को मैंने परेड की और राष्ट्रपति का सलामी दी. उस समय मैंने दुनिया को दिखा दिया  कि ये वहीं लड़का जिसे कभी फेल- फेल बोलकर मजाक बनाया करते थे और वह फौज में शामिल हो गया है.

 

 

 

 

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