दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन में डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा और सामाजिक न्याय के मूल्यों को समर्पित सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर शिक्षा, साहित्य, पत्रकारिता, समाजसेवा और महिला कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली 30 हस्तियों को 'डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय सम्मान-2025' से सम्मानित किया गया.
इस वर्ष का पहला डॉ. अंबेडकर नेशनल अवार्ड दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. बाला राम पाणि को प्रदान किया गया. सम्मान स्वरूप उन्हें 11 हजार रुपये की राशि, शॉल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया. कार्यक्रम का आयोजन फोरम ऑफ एकेडमिक्स फॉर सोशल जस्टिस और संत शेर सिंह रिसर्च एंड एजुकेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.
'बाबा साहब सामाजिक न्याय के सबसे बड़े योद्धा'
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन संघर्षों से भरा रहा और उसी संघर्ष से एक महान विचारक का जन्म हुआ. उन्होंने कहा कि बाबा साहब न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में सामाजिक न्याय के सबसे बड़े योद्धा थे और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही. प्रो. सुरेश ने पत्रकारिता के क्षेत्र में डॉ. अंबेडकर के योगदान के बारे में बताया.
आज भी जातिगत भेदभाव एक सच्चाई
दिल्ली विश्वविद्यालय की संयुक्त कुलानुशासक प्रो. गीता सहारे ने कहा कि आज भी देश के कई गांवों में जातिगत भेदभाव मौजूद है. उन्होंने कहा कि बाबा साहब द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों के कारण ही आज महिलाएं शिक्षा और समाज में आगे बढ़ पा रही हैं. पूर्व कुलपति प्रो. राजबीर सोलंकी ने कहा कि भेदभाव से मुक्त, समरस और समानता आधारित समाज बनाना ही बाबा साहब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
'बाबा साहब किसी दायरे में नहीं बंधते'
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर जैसे महापुरुषों को किसी सीमित दायरे में बांधना एक तरह का अपराध है. उन्होंने कहा कि बाबा साहब राष्ट्रवादी थे और भारत के सच्चे सपूत थे, जिनकी तुलना किसी अन्य महापुरुष से नहीं की जा सकती.
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. बाला राम पाणि ने कहा कि ऐसे आयोजन समाज में चेतना और जागरूकता फैलाते हैं. उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर सिर्फ एक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि एक विचार हैं, जो ज्ञान के माध्यम से समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने डॉ. अंबेडकर को पाठ्यक्रम में शामिल किया है और नई शिक्षा नीति के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा में समाज के सभी वर्गों के महान नायकों को छात्रों तक पहुंचाया जा रहा है.
शिक्षा और पत्रकारिता से जुड़ी हस्तियां सम्मानित
सम्मान पाने वालों में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मनोज वर्मा (संसद टीवी), विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकार शामिल रहे. ट्रस्ट के चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि ये सम्मान हर साल उन लोगों को दिया जाता है, जो अपने काम के जरिए समाज में जागरूकता और सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट वंचित वर्गों के बच्चों को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है. कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद् डॉ. के. योगेश ने किया.