भारतीय सेना ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को तेजी से बढ़ा रही है. ड्रोन अब सेना का अहम हिस्सा बन रहे हैं. देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी, महू के इन्फेंट्री स्कूल और चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में ड्रोन सेंटर शुरू हो चुके हैं. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली में एक ड्रोन सुविधा का दौरा किया. सेना का लक्ष्य हर सैनिक को ड्रोन चलाने में सक्षम बनाना है.
सेना ने 'हाथ में बाज' (Eagle in the Arm) की अवधारणा अपनाई है. इसका मतलब है कि जैसे हर सैनिक बंदूक रखता है, वैसे ही उसे ड्रोन चलाना आना चाहिए. ड्रोन युद्ध, निगरानी, सामान पहुंचाने या मेडिकल निकासी के लिए इस्तेमाल होंगे. हर सैनिक का काम अलग हो सकता है, लेकिन ड्रोन उनकी ताकत बढ़ाएंगे. साथ ही, दुश्मन के ड्रोन रोकने के लिए काउंटर-ड्रोन सिस्टम भी तैयार किए जा रहे हैं.
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सेना ने ड्रोन को हर सैनिक की जरूरत बनाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. देहरादून, महू और चेन्नई जैसे प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों में ड्रोन सेंटर बनाए गए हैं. यहां सैनिकों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. लिकाबाली में सेना प्रमुख ने एक ड्रोन सुविधा देखी, जो दिखाता है कि सेना ड्रोन क्षमता को कितनी गंभीरता से ले रही है.
26 जुलाई 2025 को कारगिल विजय दिवस पर द्रास में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ड्रोन क्रांति की बात की. उन्होंने कहा था कि हर इन्फेंट्री बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून होगी.

सेना का दृष्टिकोण दोहरा है...
ड्रोन अब युद्ध के मैदान का जरूरी हिस्सा हैं. पहले ये खास मौकों पर इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब हर सैनिक की जरूरत बन रहे हैं.
आधुनिक युद्ध बदल रहा है. ड्रोन सस्ते, तेज और प्रभावी हैं. ये दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, सटीक हमले कर सकते हैं. सैनिकों की जान बचा सकते हैं. भारत जैसे देश, जिसकी सीमाएं चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से जुड़ी हैं के लिए ड्रोन बहुत जरूरी हैं. 2025 में लद्दाख और अरुणाचल में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा है. काउंटर-ड्रोन सिस्टम दुश्मन के ड्रोन को नाकाम करेंगे.
सेना ड्रोन को अपने ढांचे में शामिल कर रही है. ड्रोन प्लाटून, आर्टिलरी में लॉइटर म्यूनिशन्स और दिव्यास्त्र बैटरी से सटीक हमले और रक्षा मजबूत होगी. ड्रोन सेंटर सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि हर सैनिक ड्रोन विशेषज्ञ बने.