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'हाथ में बाज'... भारतीय सेना की ड्रोन क्रांति, हर इन्फेंट्री बटालियन में एक प्लाटून

भारतीय सेना ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को तेजी से बढ़ा रही है. 'हाथ में बाज' अवधारणा हर सैनिक को ड्रोन चलाने में सक्षम बनाएगी. देहरादून, महू और चेन्नई में ड्रोन सेंटर शुरू हुए. सेना प्रमुख ने लिकाबाली में ड्रोन सुविधा देखी. हर बटालियन में ड्रोन प्लाटून और आर्टिलरी में काउंटर-ड्रोन सिस्टम होंगे. यह सेना को आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार करेगा.

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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली में एक ड्रोन सुविधा का दौरा किया. (Photo: ITG)
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली में एक ड्रोन सुविधा का दौरा किया. (Photo: ITG)

भारतीय सेना ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को तेजी से बढ़ा रही है. ड्रोन अब सेना का अहम हिस्सा बन रहे हैं. देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी, महू के इन्फेंट्री स्कूल और चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में ड्रोन सेंटर शुरू हो चुके हैं. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली में एक ड्रोन सुविधा का दौरा किया. सेना का लक्ष्य हर सैनिक को ड्रोन चलाने में सक्षम बनाना है.

'हाथ में बाज' अवधारणा क्या है?

सेना ने 'हाथ में बाज' (Eagle in the Arm) की अवधारणा अपनाई है. इसका मतलब है कि जैसे हर सैनिक बंदूक रखता है, वैसे ही उसे ड्रोन चलाना आना चाहिए. ड्रोन युद्ध, निगरानी, सामान पहुंचाने या मेडिकल निकासी के लिए इस्तेमाल होंगे. हर सैनिक का काम अलग हो सकता है, लेकिन ड्रोन उनकी ताकत बढ़ाएंगे. साथ ही, दुश्मन के ड्रोन रोकने के लिए काउंटर-ड्रोन सिस्टम भी तैयार किए जा रहे हैं.

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ड्रोन सेंटर और प्रशिक्षण

सेना ने ड्रोन को हर सैनिक की जरूरत बनाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. देहरादून, महू और चेन्नई जैसे प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों में ड्रोन सेंटर बनाए गए हैं. यहां सैनिकों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. लिकाबाली में सेना प्रमुख ने एक ड्रोन सुविधा देखी, जो दिखाता है कि सेना ड्रोन क्षमता को कितनी गंभीरता से ले रही है.

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कारगिल विजय दिवस पर ऐलान

26 जुलाई 2025 को कारगिल विजय दिवस पर द्रास में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ड्रोन क्रांति की बात की. उन्होंने कहा था कि हर इन्फेंट्री बटालियन में एक ड्रोन प्लाटून होगी.

  • आर्टिलरी रेजिमेंट्स को काउंटर-ड्रोन सिस्टम और लॉइटर म्यूनिशन्स (हवा में रुकने वाले हथियार) मिलेंगे.
  • 'दिव्यास्त्र' बैटरी बनाई जाएंगी, जो सटीकता और सुरक्षा बढ़ाएंगी.
  • उन्होंने कहा था कि हमारी मारक क्षमता अब कई गुना बढ़ जाएगी. यह दिखाता है कि सेना आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार हो रही है.

Eagle in the Arm

ड्रोन और काउंटर-ड्रोन: दोहरा दृष्टिकोण

सेना का दृष्टिकोण दोहरा है...

  • ड्रोन का इस्तेमाल: सैनिक ड्रोन से निगरानी, हमला, सामान ढोना और मेडिकल मदद जैसे काम करेंगे. इससे सैनिकों की नजर, पहुंच और ताकत बढ़ेगी.
  • काउंटर-ड्रोन सिस्टम: दुश्मन के ड्रोन को रोकने के लिए सिस्टम बनाए जा रहे हैं. यह एक लेयर्ड रक्षा होगी, जो ड्रोन के खतरे को खत्म करेगी.

ड्रोन अब युद्ध के मैदान का जरूरी हिस्सा हैं. पहले ये खास मौकों पर इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब हर सैनिक की जरूरत बन रहे हैं.

क्यों जरूरी है ड्रोन क्रांति?

आधुनिक युद्ध बदल रहा है. ड्रोन सस्ते, तेज और प्रभावी हैं. ये दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, सटीक हमले कर सकते हैं. सैनिकों की जान बचा सकते हैं. भारत जैसे देश, जिसकी सीमाएं चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से जुड़ी हैं के लिए ड्रोन बहुत जरूरी हैं. 2025 में लद्दाख और अरुणाचल में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा है. काउंटर-ड्रोन सिस्टम दुश्मन के ड्रोन को नाकाम करेंगे.

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सेना का आधुनिकीकरण

सेना ड्रोन को अपने ढांचे में शामिल कर रही है. ड्रोन प्लाटून, आर्टिलरी में लॉइटर म्यूनिशन्स और दिव्यास्त्र बैटरी से सटीक हमले और रक्षा मजबूत होगी. ड्रोन सेंटर सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, ताकि हर सैनिक ड्रोन विशेषज्ञ बने.

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