भारत ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला पाकिस्तान से ले लिया है. 6 और 7 मई की दरमियानी रात भारत की तीनों सेनाओं ने आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को खत्म कर दिया. इसे अब तक की सबसे बड़ी स्ट्राइक कहा जा रहा है, क्योंकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ था कि भारत ने कोई हमला सीधे पाकिस्तान के पंजाब पर किया हो. पीओके में स्ट्राइक्स होती ही रहती थीं.
भारत कहता था कि उसने आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों पर हमला किया. लेकिन ये पहली बार हुआ है कि भारत ने सीधे पंजाब में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वॉर्टर पर स्ट्राइक की हैं. इन स्ट्राइक्स में हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो ठिकानों पर भी हमला हुआ है. इन हमलों में आतंकियों के पूरे हेडक्वॉर्टर तबाह हो गए हैं. सबसे बड़ी बात है भारतीय वायुसेना के विमानों ने इस हमले के लिए अपनी वायुसीमा क्रॉस नहीं की है.
भारत की ही वायुसीमा में रहकर मिसाइल फायर की गईं और आतंकियों के ठिकाने तबाह हो गए. बताया जाता है कि रॉ की तरफ से 21 टारगेट की लिस्ट दी गई थी, जिसमें से 9 पर मिसाइल स्ट्राइक हुई है. ये पहले ही तय हो गया था कि इस बार हमला सीधे आतंकी संगठनों के हेडक्वॉर्टर पर होगा, इसलिए लश्कर का हेडक्वॉर्टर मुरीदके और जैश का हेडक्वॉर्टर बहावलपुर में टारगेट किया गया. 3 मई को हुई मीटिंग में इसकी योजना बनी थी.
वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ संदीप उन्नीथन ने साल 1971 में हुए युद्ध के बाद से अबतक का सबसे बड़ा हमला बताया है. उन्होंने कहा, "यह 1971 के बाद से पाकिस्तान पर भारत का सबसे बड़ा हमला है, जिसमें लक्ष्यों का भौगोलिक विस्तार, हमलों के स्थानों की संख्या और प्रमुख पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालयों को निशाना बनाया गया है. इन संगठनों ने पिछले दो दशकों में भारत पर कई बड़े आतंकवादी हमले किए हैं."
आइए समझते हैं कि पाकिस्तान पर ये अब तक का सबसे बड़ा हमला कैसे है...
1. पहली बार पाकिस्तान के पंजाब को बनाया निशाना
1971 के युद्ध के बाद पहली बार भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बड़ा हमला किया है. राजनीतिक और सेना के मद्देनजर पंजाब प्रांत को बहुत अहम माना जाता है. इससे पहले साल 2016 में उरी और साल 2019 में पुलवामा में किए गए आतंकी हमलों में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे खैबर-पख्तूनख्वा में आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. ऑपरेशन सिंदूर में 9 जगहों पर हमला किया गया, जिनमें से चार पंजाब के बहावलपुर, सियालकोट और शेखपुरा जिलों में थे.
इन आतंकी शिविरों को बनाया गया निशाना: मरकज सुभान अल्लाह कैंप (बहावलपुर), मरकज तैयबा कैंप (शेखपुरा), महमूना जोया कैंप (सियालकोट) और सरजाल कैंप (सियालकोट)
पाकिस्तान स्थित दोनों आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा पंजाब प्रांत से संचालित होते हैं. बहावलपुर में मरकज सुभान अल्लाह कैंप भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है. बहावलपुर, जो जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी मसूद अजहर का गढ़ है, में पाकिस्तानी सेना का एक रेजिमेंटल सेंटर भी है.

2. भौगोलिक रूप से फैले आतंकी संगठनों के हेडक्वॉर्टर किया तबाह
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने एक विशाल भौगोलिक क्षेत्र में आतंकी ढांचे को नष्ट कर दिया. इसमें पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के उन हिस्सों में 9 जगहों को निशाना बनाया गया, जिन पर इस्लामाबाद ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. इन जगहों में दक्षिण पंजाब में बहावलपुर, लाहौर के उत्तरी बाहरी इलाके में शेखपुरा जिले के मुरीदके, पीओके में मुजफ्फराबाद और कोटली का नाम शामिल है, जहां जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के हेडक्वॉर्टर हैं.
इस हमले में भारत के खिलाफ आतंकी वारदातों साजिश रचने और अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आतंकी शिविरों को भी निशाना बनाया गया. इसमें मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल कैंप जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को भेजने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख ट्रांजिट हब के रूप में काम कर रहा था. लश्कर-ए-तैयबा का 200 एकड़ में फैला मुरीदके सेंटर मुख्य प्रशिक्षण केंद्र है. यहां आतंकियों हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनको कट्टर बनाने के लिए धार्मिक भाषण दिए जाते हैं.
यहां सालाना करीब एक हजार छात्रों की भर्ती की जाती है. ओसामा बिन लादेन ने यहां एक मस्जिद और गेस्टहाउस के निर्माण में आर्थिक मदद की थी. यहां 26/11 के मुंबई हमलावरों को प्रशिक्षित किया गया था. इसमें अजमल कसाब भी शामिल था. इसके साथ ही अन्य ठिकानों का इस्तेमाल भी जम्मू और कश्मीर सहित पूरे भारत में आतंकी हमलों के लिए किया जाता रहा है. ऐसे में इनको एक साथ नष्ट करना ऑपरेशन सिंदूर के अभूतपूर्व पैमाने और सटीकता को दर्शाता है.
3. सीमा से 970 किलोमीटर दूर 25 मिनट तक लगातार हमला
25 मिनट की छोटी सी अवधि में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला, ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सैन्य अभियानों में अलग पहचान दिलाता है. इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय), मुरीदके (लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय), सियालकोट (आतंकी अड्डा) और चक अमरू (आतंकी शिविर) को तबाह कर दिया. पीओके के अंदर नष्ट किए गए आतंकी शिविरों में मुजफ्फराबाद में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के शिविर, कोटली, भीमबर, बाग और गुलपुर में आतंकी ठिकाने शामिल हैं, जहां से हिजबुल सक्रिय है.
इस ऑपरेशन में कई आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं का समन्वय शामिल था. यह 2019 के बालाकोट हवाई हमलों के बाद से पाकिस्तानी आतंकवाद पर सबसे व्यापक हमला था. विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, इन आतंकी ठिकानों का चयन विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर किया गया था, ताकि पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाए बिना आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया जा सके. भारतीय सेना ने स्कैल्प क्रूज मिसाइलों और हैमर स्मार्ट बम जैसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल किया है.

4. ऑपरेशन सिंदूर में 80 आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना
ऑपरेशन सिंदूर में 80 आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना है. यह उन आतंकी संगठनों के लिए एक बड़ा झटका है, जो भारत के खिलाफ लगातार आतंकी हमले करते रहते हैं. बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, बहावलपुर में भारतीय हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और उसके चार सहयोगी भी मारे गए. पीओके के मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल कैंप को तहस नहस कर दिया गया. इसमें जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी रहते थे, जिन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के गुर्गों के साथ मिलकर पहलगाम में हमले की योजना बनाई थी.
5. भारत में आतंक फैलाने वाले आतंकी संगठनों को बनाया निशाना
पिछले आर्मी ऑपरेशनों के विपरीत ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पहलगाम नरसंहार का बदला लिया बल्कि भारत पर हुए कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार कई आतंकवादी संगठनों के शिविरों को निशाना बनाया गया. भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर मुख्यालय, लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके ठिकाने और हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया. ये साल 2008 के मुंबई हमलों और साल 2019 के पुलवामा हमलों में शामिल रहे हैं.
साल 2008 के मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए थे. साल 2019 के पुलवामा हमले में 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मारे गए थे. पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों को अपना निशाना बनाते हुए भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा संदेश दिया है. इससे पाकिस्तान की छद्म युद्ध रणनीति को रणनीतिक झटका लगा है. ऑपरेशन सिंदूर से मिले जख्म पाकिस्तान स्थित आतंवादी संगठनों को लंबे समय तक दर्द देने वाले हैं.