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मसूरी वन प्रभाग से 7,375 बाउंड्री पिलर गायब, IFS अफसर के खिलाफ जांच की सिफारिश

क्या आपने कभी सुना है कि सड़कों पर लगने वाले बाउंड्री पिलर हजारों की तादाद में गायब हो जाएं. अगर नहीं सुना तो अब सुन लीजिए. उत्तराखंड के मसूरी वन प्रभाग में 7375 बाउंड्री पिलर लापता हैं. अब इस मामले में एक IFS अफसर के खिलाफ ही जांच की सिफारिश की गई है.

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वन विभाग ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है (फोटो-ITG)
वन विभाग ने अपने ही अधिकारियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है (फोटो-ITG)

Mussoorie Forest Scam: उत्तराखंड के मसूरी वन प्रभाग से 7,375 बाउंड्री पिलर गायब होने का गंभीर मामला सामने आया है. इस पर हल्द्वानी स्थित मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने वन मुखिया समीर सिन्हा को पत्र लिखकर एसआईटी जांच की सिफारिश की है. पत्र में कहा गया है कि रायपुर रेंज क्षेत्र में लंबे समय से वन भूमि पर अतिक्रमण जारी है और यह सब स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से संभव हुआ है.

मुख्य वन संरक्षक (कार्ययोजना) संजीव चतुर्वेदी ने 20 अगस्त 2025 को लिखे पत्र में कहा है कि इस गंभीर मामले की जांच का आदेश दो महीने पहले दिया गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. पत्र में लिखा है, इतने गंभीर प्रकरण पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. ऐसा प्रतीत होता है कि दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

वन विभाग ने इस प्रकरण में विभागीय मिलीभगत की आशंका जताई है. पत्र में कहा गया है कि बिना अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता के इतने बड़े स्तर पर अतिक्रमण संभव नहीं है.

पत्र में मसूरी के DFO 2013 बैच के आईएफएस अधिकारी अमित कंवर का नाम भी सामने आया है. इसमें लिखा गया है की उनकी सम्पत्तियों की जांच CBI या ED से कराई जा सकती है. आरोप है कि कंवर के पास हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आधा दर्जन से अधिक सम्पत्तियां हैं.

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वन विभाग ने पत्र में यह भी सवाल उठाया है कि जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार और अवैध सम्पत्तियों के आरोप हैं, उन्हें लगातार Integrity Certificate और Outstanding Grading क्यों दी जाती रही? पत्र में साफ लिखा है कि यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ घोषित Zero Tolerance नीति बेकार साबित होगी.

वर्ष 2017-18 से 2023-24 के बीच मसूरी वन प्रभाग में अतिक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. 2017-18 में जहां 233 मामले दर्ज थे और 110.17 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा था, वहीं सात साल बाद यह घटकर 142 मामले और 49.34 हेक्टेयर रह गया. 

इस अवधि में विभाग ने बीच-बीच में कार्रवाई करते हुए कुल 101 अतिक्रमण हटाए और लगभग 60 हेक्टेयर जमीन मुक्त कराई, लेकिन अभी भी 142 मामले और दर्जनों हेक्टेयर भूमि अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है.

DFO अमित कंवर ने दिया जवाब 
मसूरी के डीएफओ अमित कंवर ने कहा कि इस मामले में तेजी से जांच की जा रही है और लगभग एक हफ्ते में पूरी रिपोर्ट तैयार कर अधिकारियों को भेज दी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. 

कंवर ने अपनी संपत्तियों पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध करा दिया है और मुख्य वन संरक्षक द्वारा जिन सम्पत्तियों का उल्लेख किया गया है, वे उनकी व्यक्तिगत बचत और लोन के माध्यम से खरीदी गई हैं.

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वन विभाग और विवाद
यह पहला मामला नहीं है जब वन विभाग विवादों में आया हो. इससे पहले आजतक की रिपोर्ट में पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में बने इको हट्स घोटाले का खुलासा हुआ था. जिसमे चतुर्वेदी ने तत्कालीन डीएफओ विनय भार्गव पर एफआईआर करने के लिए कहा था. राज्य सरकार द्वारा मामले को टालते देख केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि आरोपीयों पर शीघ्र कार्रवाई करें. 

मसूरी और देहरादून वन प्रभागों को मियावाकी फारेस्ट प्रोजेक्ट में अत्यधिक कीमत का प्रोपोजल देना भी भारी पड़ा था. आजतक के खुलासे के बाद वन मुखिया समीर सिन्हा ने मामले में जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद इनके प्रपोजल रद्द कर दिए गए थे. और जांच के लिए वन विभाग के मुखिया ने आदेश दिए थे. 

इससे पहले जंगलों को पुनः सींचने के लिए जारी हुए फंड में से काफी पैसा लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन में लगाने की बात सामने आई थी और आजतक की खबर के बाद इस मामले की जांच के आदेश दिए गए. 

इसी तरह कॉर्बेट में पेड़ गिराने और अतिक्रमण में जांच के बीच तत्कालीन डायरेक्टर आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी नेशनल पार्क के डायरेक्टर की नियुक्ति पर बड़ा विवाद हुआ था. और फिर आजतक की खबर के बाद उन्हें पद से हटाया गया था. 

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