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योगी सरकार के 4 साल बनाम अखिलेश सरकार के 4 साल, जानें यूपी में कम हुआ या बढ़ा अपराध

योगी की सरकार बनते ही यूपी में महिलाओं से संबंधित अपराधों पर गंभीरता से कार्रवाई की गई. इसकी शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही उत्तर प्रदेश में शातिर लुटेरों-डकैतों के खिलाफ एनकाउंटर का दौर शुरू हुआ और सफेदपोश हो चुके माफियाओं के घरों पर बुलडोजर भी चलने लगा.

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योगी सरकार ने अखिलेश सरकार से बेहतर शासन देने का दावा किया है
योगी सरकार ने अखिलेश सरकार से बेहतर शासन देने का दावा किया है

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 19 मार्च 2021 को अपने 4 साल पूरे करने जा रही है. मार्च 2017 को जब योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाली तो प्रदेश में गुंडे और माफियाओं के लिए उनका संदेश साफ था कि वो या तो प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध. वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें. योगी सरकार ने इसकी शुरुआत सड़क छाप मजनुओं के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड से की थी.

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महिला संबंधी अपराध पर गंभीरता दिखाते हुए की गई इस शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही उत्तर प्रदेश में शातिर लुटेरों-डकैतों के खिलाफ एनकाउंटर का दौर शुरू हुआ और सफेदपोश हो चुके माफियाओं के घरों पर बुलडोजर भी चलने लगा. इस दौरान दंगाइयों और बलवाइयों से निपटने के लिए नुकसान की भरपाई के लिए कानून भी लाया गया तो वहीं भ्रष्ट पुलिसकर्मी और अफसरों पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई भी हुई. लेकिन इन तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद कई ऐसी घटनाएं भी हुईं जिसने खाकी को शर्मसार किया, पुलिस को दागदार बनाया और सरकार की किरकिरी भी हुई.

5 लाख से 5000 रुपये तक के इनामी किए यूपी पुलिस ने ढेर
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो ऐलान कर दिया गया कि सूबे में गुंडे और माफियाओं के दिन पूरे हो गए. उनके लिए एक ही जगह है, जेल की सलाखें और उनकी गोली का जवाब भी पुलिस गोली से ही देगी. नतीजा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में पुलिस ने अपराधियों का एनकाउंटर करना शुरू कर दिया.

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20 मार्च 2017 से 15 मार्च 2021 यानी पूरे 4 साल तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इन 4 सालों में पुलिस और बदमाशों के बीच 7500 से ज्यादा मुठभेड़ हुई जिसमें 5 लाख के इनामी विकास दुबे से लेकर 5 हजार के इनामी शामली के शातिर लुटेरे इकराम उर्फ टोला तक को मुठभेड़ में मार गिराया गया. कुल 135 अपराधी मारे गए जिनमें 111 इनामी बदमाश थे और 24 गैर इनामी बदमाश.

सालवार आंकड़ों को देखें तो 2017 में 28, 2018 में 41, 2019 में 34, 2020 में 26 और 2021 में अब तक 6 अपराधी मारे जा चुके हैं. इनामी अपराधियों में सबसे ज्यादा 50 हजार के 46, 25 हजार के 20, 1 लाख के 18 अपराधी मारे गए. मारे गए अपराधियों के साथ 2900 अपराधी घायल भी हुए. और इस मुठभेड़ में 14 पुलिसकर्मी शहीद भी हुए.

कई बार हुई यूपी पुलिस की किरकिरी
उत्तर प्रदेश में शुरू हुए एनकाउंटर की मुहिम ने सरकार और खाकी की किरकिरी भी खूब कराई. पुलिस कहीं अपराधी से निपटने के लिए गोली चलाने के बजाय मुंह से ठांय-ठांय करती नजर आई तो कही अधकचरी योजना के साथ अपराधी को ललकारने पर 8 पुलिसकर्मियों की जान लेने वाला बिकरु कांड जैसा काला दिन भी सामने आया. तो कई बार एनकाउंटर के सहारे थानेदार से लेकर कप्तान और डीजीपी तक ने अपनी कुर्सी बचाई. नोएडा में पुलिस एनकाउंटर में घायल हुआ बदमाश गोली लगने के बाद बाथरूम की खिड़की तोड़कर भाग गया तो वहीं कई जिलों में घायल बदमाश गोली लगने के बाद खुद ही पैदल चलते नजर आए.

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योगी सरकार के कार्यकाल में पुलिस के दामन पर दाग भी कम नहीं लगे. पहली बार जिलों में कप्तान की पोस्टिंग में पैसे के लेनदेन का आरोप लगाया गया और वह भी  एक आईपीएस के द्वारा. सपा सरकार को थाना बेचने के मुद्दे पर घेरने वाली बीजेपी जब खुद सत्ता में आई तो जिले में आईपीएस की पोस्टिंग के नाम पर घूसखोरी के निकले बवंडर में खुद फंस गई और विपक्षी दल आज भी गाहे-बगाहे सरकार को निशाने पर लेते रहते हैं.

इतना ही नहीं पशुधन घोटाले में सिपाही से लेकर 2 आईपीएस का नाम हो या महोबा में कप्तान रहे आईपीएस मणिलाल पाटीदार की फरारी आज भी सरकार के लिए गले की फांस बनी हुई है. हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में भी पहली बार हुआ जब पुलिस अपने ही तीन-तीन अधिकारियों की तलाश में छापेमारी करने लगी. 3 आईपीएस अफसरों पर इनाम घोषित करने की कार्यवाही करने लगी.

हालांकि इन तमाम आरोपों के बीच सरकार अपनी कार्रवाइयों का आंकड़ा पेश करते हुए दावा करती है कि कानून-व्यवस्था पहले से दुरुस्त हुई है. अपराधियों पर नकेल कसी जा रही है. 

अब जरा एक नजर उत्तर प्रदेश में हुए अपराधों पर भी डालते चलें...

साल 2017 में हुए अपराध

हत्या -   4324
अपहरण- 19921
बलात्कार- 4246
बलात्कार का प्रयास- 601
बलवा- 8990
लूट- 4089
डकैती- 263
गंभीर वारदातें- 64,450

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साल 2018 में हुए अपराध

हत्या-      4018
अपहरण-  21711
बलात्कार- 3946
बलात्कार का प्रयास- 661
बलवा- 8908
लूट- 3218
डकैती- 144
गंभीर वारदातें- 65,155

साल 2019 में हुए अपराध

हत्या-      3806
अपहरण- 16590
बलात्कार- 3065
बलात्कार का प्रयास- 358
बलवा- 5714
लूट- 2241
डकैती- 124
गंभीर वारदातें- 55,519

(उपरोक्त सभी NCRB के आंकड़े)

वहीं 2020 में 

हत्या-      3468
बलात्कार- 2317
बलवा- 5376
लूट- 1384
डकैती- 85
कुल दर्ज एफआईआर- 3,52,651

बात अगर योगी सरकार में हुए अपराध पर की जा रही तो तुलना के लिए अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुए अपराध पर भी एक नजर डालते हैं-

साल 2016 में हुए अपराध

हत्या-      4889
अपहरण- 15898
बलात्कार- 4816
बलात्कार का प्रयास- 1958
बलवा- 8018
लूट- 4502
डकैती- 284
गंभीर वारदातें- 65090

साल 2015 में हुए अपराध

हत्या-      4732
अपहरण- 11999
बलात्कार- 3025
बलात्कार का प्रयास- 422
बलवा- 6813
लूट- 3637
डकैती- 277
गंभीर वारदातें- 40,613

साल 2014 में हुए अपराध

हत्या-      5150
अपहरण- 12361
बलात्कार- 3467
बलवा- 6438
लूट- 3920
डकैती- 294
गंभीर वारदातें- 41889

साल 2013 में हुए अपराध

हत्या-      5047
अपहरण- 11183
बलात्कार- 3050
बलवा- 6089
लूट- 3591
डकैती- 596
गंभीर वारदातें- 38779

 

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