केरल के तिरुवनंतपुरम में 18 महीने की मासूम बच्ची का अपहण कर उसके साथ दरिंदगी के मामले में एक अपराधी को 22 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के जज एम. पी. शिबू ने 41 वर्षीय हसन कुट्टी उर्फ कबीर को बच्ची के अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामले में सजा सुनाते हुए आरोपी पर 72 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
जानकारी के मुताबिक, हसन कुट्टी अयिरूर के पास एडवा का रहने वाला है. उसके खिलाफ पहले से ही आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं. अदालत ने पॉक्सो अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में दोषी ठहराया था. आरोपी पहले भी कई संगीन वारदातों में शामिल रह चुका है. साल 2022 में अयिरूर पुलिस स्टेशन में उस पर एक और बाल शोषण का मामला दर्ज किया गया था.
लोक अभियोजक जे. के. अजित प्रसाद ने बताया कि अदालत ने बलात्कार और हत्या की कोशिश के लिए 22-22 साल की कैद, अपहरण और हत्या के प्रयास में 10-10 साल की कैद और बच्ची की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए 1 साल की कैद की सजा सुनाई है. यह खौफनाक वारदात 19 फरवरी 2024 की रात घटी थी. बच्ची अपने माता-पिता के साथ तिरुवनंतपुरम के चक्का में सड़क किनारे सो रही थी.
बच्ची के माता-पिता हैदराबाद से आए खानाबदोश थे और सड़क के किनारे रहकर अपना जीवनयापन करते थे. उसी वक्त आरोपी हसन कुट्टी वहां पहुंचा और मासूम को उठाकर ले गया. उसने बच्ची को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पीछे रेलवे ट्रैक के पास सुनसान इलाके में ले गया. वहीं उसने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसे यह मानकर झाड़ियों में छोड़ दिया कि बच्ची मर चुकी है.
बच्ची जब गायब हुई तो उसके माता-पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई. अगले दिन शाम तक की गई तलाश के बाद बच्ची को झाड़ियों में अचेत अवस्था में पाया गया. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के बाद उसकी जान बच गई. इस केस की जांच बेहद चुनौतीपूर्ण रही. पुलिस ने आरोपी की पहचान और मूवमेंट ट्रेस करने के लिए 100 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पास लगे सीसीटीवी कैमरों और वैज्ञानिक सबूतों ने ही अदालत में अभियोजन पक्ष को मजबूत बनाया और आरोपी को सजा दिलाई. चार महीने चले इस मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 41 गवाह पेश किए. इसके अलावा 62 दस्तावेज और 11 भौतिक सबूत भी अदालत में रखे गए. पुलिस के मुताबिक, अपराध के बाद कुट्टी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कई जगहों पर गया.
उसने कोल्लम, अलुवा और तमिलनाडु के पलानी तक शरण ली. उसने अपना सिर तक मुंडवा लिया, ताकि पहचान छिपाई जा सके. लेकिन पुलिस ने करीब दो हफ्ते बाद कोल्लम के चिन्नाक्कड़ा इलाके से उसे धर दबोचा.