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बिटकॉइन ट्रेडिंग में निवेश के नाम पर धोखाधड़ी, एक शख्स ने ऐसे गंवाए 1.12 करोड़ रुपए

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक शख्स के साथ साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है. यहां साइबर ठगों ने बिटकॉइन ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए ठाणे के 57 वर्षीय व्यक्ति को लालच दिया, जिसके बाद उसने 1.12 करोड़ रुपए गंवा दिए.

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ठाणे जिले में एक शख्स के साथ साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है.
ठाणे जिले में एक शख्स के साथ साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है.

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक शख्स के साथ साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है. यहां साइबर ठगों ने बिटकॉइन ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए ठाणे के 57 वर्षीय व्यक्ति को लालच दिया, जिसके बाद उसने 1.12 करोड़ रुपए गंवा दिए. इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है.

पुलिस के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों ने अप्रैल और जून के बीच फेसबुक लिंक के माध्यम से पीड़ित से संपर्क किया. उसे बिटकॉइन ट्रेडिंग की आड़ में निवेश करने का लालच दिया और अधिक रिटर्न का आश्वासन दिया. उनके झांसे में आकर पीड़ित ने 1 करोड़ 12 लाख 62 हजार 871 रुपए का भुगतान कर दिया.

कुछ समय बाद जब पीड़िता को अपने निवेश पर कोई रिटर्न नहीं मिला तो उसने आरोपियों को कॉल करना शुरू कर दिया. लेकिन उनके नंबर स्विच ऑफ हो गए. इसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया. उसकी शिकायत के आधार पर आईपीसी और आईटी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

पुलिस ने एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन और बैंक खातों के धारकों सहित अन्य लोगों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. नवी मुंबई और ठाणे के आसपास के इलाकों में साइबर ठगी के मामलों में बहुत तेजी आई है. आए दिन ऐसे केस सामने आते हैं.

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देश में बीते कुछ बरसों के दौरान फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी आई है. लोकलसर्किल्स के एक ताजा सर्वे में दावा किया गया है कि बीते 3 साल में 47 फीसदी भारतीयों ने एक या ज्यादा फाइनेंशियल फ्रॉड का अनुभव किया है. यानी कि देश की आधी आबादी इस वक्त साइबर ठगों की पहुंच में हैं.

किसी न किसी तरह से ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं. इस सर्वे में ये भी कहा गया कि इनमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी फाइनेंशियल फ्रॉड सबसे आम हैं. आधे से ज्यादा लोगों को क्रेडिट कार्ड पर अनऑथराइज्ड चार्ज लगाए जाने का सामना करना पड़ा है. सर्वे में पिछले 3 साल का डेटा शामिल है.

इस आधार पर लोकलसर्किल्स ने कहा है कि 10 में से 6 भारतीय फाइनेंशियल फ्रॉड की सूचना रेगुलेटर्स या लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को नहीं देते हैं. सर्वे में शामिल लोगों में से 43 फीसदी ने क्रेडिट कार्ड पर फ्रॉड वाले ट्रांजैक्शन की बात कही है. 36 फीसदी ने कहा कि उनके साथ फ्रॉड वाला ट्रांजैक्शन हुआ है. 

क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के बारे में 53 फीसदी लोगों ने अनऑथराइज्ड चार्ज के बारे में बात की है. वहीं आरबीआई के डेटा की बात करें तो 2023-24 में फ्रॉड के मामले 166 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 36 हजार से भी ज्यादा रहे हैं. इनमें शामिल रकम 2022-23 के मुकाबले आधी यानी 13 हजार 930 करोड़ रुपए रही है. 

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