scorecardresearch
 

कहीं लाइलाज ना बन जाए कोरोना, फिर इसी के साथ चलेगी दुनिया

5 महीने की तबाही के बाद कोरोना वायरस की वजह से दुनिया आज उस दोराहे पर खड़ी है, जहां एक तरफ मौत है तो दूसरी तरफ खाई है. हां मगर जिस तरफ खाई है. उस तरफ कम से कम ज़िंदगी की उम्मीद तो है. हालांकि सच तो ये है कि वैज्ञानिक अभी तक इस बहरुपिए वायरस को समझ ही नहीं पा रहे हैं.

Advertisement
X
कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए पूरी दुनिया के डॉक्टर और वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं
कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए पूरी दुनिया के डॉक्टर और वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वैक्सीन के बिना बढ़ेगा कोरोना का कहर
  • दुनिया के अधिकांश देशों में लागू है लॉकडाउन
  • अभी तक ले चुका है लाखों लोगों की जान

अगर कोरोना की वैक्सीन बनी ही नहीं तो क्या होगा. ये कोरी कल्पना नहीं बल्कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेश यानी डब्लूएचओ का डर है, जो बार बार निकलकर सामने आ रहा है. ये डर तब है जब दुनिया में 100 से ज़्यादा वैक्सीन पर ट्रायल जारी है. यानी कुछ तो है जो डब्लूएचओ को डरा रहा है. और डरा रहा है उस दुनिया को जो पहले से डर कर घरों में कैद है.

अगर वैक्सीन नहीं बनी तो? कोरोना का क़हर और बढ़ेगा. बेवजह लोग मारे जाएंगे. ज़िंदगी क़ैद में कट जाएगी. खाने-पीने के लाले पड़ जाएंगे. 'मौत' के साथ जीना सीखना होगा. अगर इस जानलेवा वायरस से बचने की दवा या टीका नहीं बना तो प्लान बी क्या है? ये सवाल इस वक्त लाजमी है.

5 महीने की तबाही के बाद कोरोना वायरस की वजह से दुनिया आज उस दोराहे पर खड़ी है, जहां एक तरफ मौत है तो दूसरी तरफ खाई है. हां मगर जिस तरफ खाई है. उस तरफ कम से कम ज़िंदगी की उम्मीद तो है. हालांकि सच तो ये है कि वैज्ञानिक अभी तक इस बहरुपिए वायरस को समझ ही नहीं पा रहे हैं. अब ऐसे में ज़रा सोचिए अगर कोरोना वायरस को बेअसर करने वाली वैक्सीन कभी बन ही नहीं पाई या उसे बनने में सालों गुज़र जाएं तो क्या होगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धरती पर अभी भी ऐसे कई वायरस हैं जिनकी आजतक वैक्सीन बन ही नहीं पाई है. मगर उन तमाम वायरस में कोई भी कोविड-19 के जैसा घातक और जानलेवा नहीं है.

Advertisement

कोरोना पर फुल कवरेज के लि‍ए यहां क्लिक करें

वैक्सीन को लेकर ऐसी कोई पेशेनगोई नहीं की जा सकती कि वो कब तक बनेगी. क्योंकि वैक्सीन बनने के लिए वायरस को समझना ज़रूरी है और हकीकत तो ये है कि अभी तक वैज्ञानिक कोरोना के इस वायरस को पूरी तरह से समझ ही नहीं पाए हैं. वो इस वायरस के एक कोड को डीकोड करते हैं. तो वो दूसरा तैयार कर लेता. दूसरा डीकोड किया जाता है तो ये तीसरा तैयार कर लेता है. इसलिए जो ये दावा करते हैं कि वो 6 महीने, साल भर या डेढ़ साल में कोरोना का टीका तैयार कर लेंगे. उसे आप सिर्फ दावा समझिए और दुआ कीजिए की ये दावे सही हों क्योंकि हकीकत ऐसी नहीं हैं.

लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के प्रोफेसर और WHO के कोरोना वायरस के ग्लोबल एक्सपर्ट डॉक्टर डेविड नेबारो के मुताबिक कई ऐसे वायरस हैं जिनकी हमारे पास कोई वैक्सीन नहीं है. हम ऐसा साफ तौर पर नहीं मानकर चल सकते कि कोरोना की कोई वैक्सीन आएगी ही और अगर आ भी जाती है तो ये पता नहीं है कि वो कितनी सुरक्षित और कामयाब होगी.

सबसे खराब हालात में ये हो सकता है कि इस महामारी की कोई वैक्सीन बने ही नहीं और हमें कोरोना वायरस के साथ समझौता कर के जीना सीखना पड़े. अब ये भी ज़रूरी हो गया है कि हर समाज इस बात के लिए तैयारी कर ले कि कोरोना वायरस के हमारे बीच रहते हुए. हम इससे कैसे बच सकते हैं और इस वायरस को दिमाग में रखते हुए हम अपनी सोशल लाइफ और आर्थिक गतिविधियों को कैसे जारी रख सकते हैं..

Advertisement

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...

अगर आपको डॉक्टर डेविड नेबारो की बातों पर शक़ है तो आपको बता दें कि HIV, मलेरिया, रायनोवायरस, एडिनोवायरस और डेंगू जैसे कई वायरसों की भी अब तक कोई वैक्सीन बन नहीं पाई है. HIV की वैक्सीन बनाने के लिए तो पिछले दो दशकों से रिसर्च ही चल रही है और उसकी वैक्सीन के इंतज़ार में अब तक पूरी दुनिया में तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं. लेकिन आजतक वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं. इसी तरह मलेरिया से आज भी हर साल 23 करोड़ लोग संक्रमित होते हैं और सालाना चार लाख लोग इससे मारे जाते हैं.

मगर फिर भी मलेरिया की कामयाब वैक्सीन आजतक नहीं बनी. डेंगू जिसे आज भी दुनिया में सबसे ज़्यादा संक्रमित बीमारी माना जाता है. उसकी भी आजतक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है. हालांकि ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं है. दुनिया में ऐसे कई और वायरस भी हैं, जिनकी कारगर वैक्सीन बन भी चुकी है. एक आंकड़े के मुताबिक हर साल दुनिया में करीब 25 लाख नवजात बच्चों की जान इन्हीं वैक्सीन की वजह से बचती है. इसलिए उम्मीद मत खोइए क्योंकि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement