हर किसी को सबसे पहले टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) यानी टर्म प्लान लेना चाहिए, अगर आपका भी यही सवाल है तो आज हम आपको टर्म प्लान से जुड़े हरेक पहलू के बारे में बताते हैं.
एक उदाहरण से समझते हैं, आप अभी जवान हैं, अच्छी-खासी नौकरी है, हर महीने मोटी सैलरी मिलती है, इन पैसे से आप परिवार की हर जरूरतों को पूरी करते हैं. पत्नी अगर कह दे कि घर या अपने लिए ये सामान लेना है, तो पति तुरंत डिमांड को पूरी करता है. अगर बेटा कहता है- पापा इस गर्मी में घूमने के लिए शिमला चलना है, बेटे को खुश करने के लिए आप परिवार के साथ शिमला चल देते हैं. यानी परिवार की हर डिमांड को आप पूरी करते हैं, क्योंकि आप घर का एकमात्र कमाऊ शख्स हैं, और हर किसी को आपसे ही उम्मीदें हैं.
परिवार के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए आप जीतोड़ मेहनत करते हैं. हर पति, पिता या अभिभावक भी यही चाहता है कि उसका परिवार हमेशा खुशहाल रहे, इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े तो उससे नहीं हिचकेंगे. अब जरा ठहरिए, और सोचिए बिना आपके इस परिवार का क्या होगा, जिसे आपने पलकों पर बिठाकर रखा है. सीधे शब्दों में कहें तो अगर किसी कारणवश आप इस दुनिया में नहीं रहते हैं तो फिर आपके परिवार की जरूरतों को कौन पूरी करेगा? कैसे उनका घर चलेगा? कैसे पत्नी और बच्चों की मांगें पूरी होंगी?
क्योंकि जब आप नहीं होंगे, तो फिर आपको मिलने वाली सैलरी भी नहीं होगी. परिवार पर दोहरी संकट होगा, एक दो आपके खोने का गम रहेगा, दूसरा हाथी खाली. घर के खर्चे कैसे चलेंगे, इसके लिए भी परिवार तरसेगा. क्या आप चाहते हैं कि आपके न रहने पर आपका परिवार पाई-पाई के लिए दर-दर भटकें. कोई पिता-पति ऐसा नहीं चाहता है. इसलिए अगर आप अपने माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी-बच्चों से बेइंतहा प्यार करते हैं और उन्हें हमेशा खुशहाल देखना चाहते हैं तो सबसे पहले उनकी वित्तीय सुरक्षा के लिए आप अपना टर्म इंश्योरेंस करवाएं. जो कि आपकी गैर-मौजूदगी में आपके परिवार का सबसे बड़ा सहारा बनेगा. आपने नहीं होने पर उन्हें आर्थिक तौर पर चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. परिवार का सही से भरण-पोषण हो जाएगा. इसलिए हर किसी को सबसे पहले, खासकर घर के अर्निंग मेंबर को टर्म इंश्योरेंस यानी टर्म बीमा करवाना चाहिए.
दरअसल, यह एक सिंपल लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट होता है. यह आपके नहीं रहने पर आपके परिवार की वित्तीय जरूरतों को प्रोटेक्ट करता है. अगर किसी व्यक्ति ने टर्म प्लान लिया है, तो उसकी दुर्भाग्यपूर्ण मौत होने की स्थिति में परिवार को एकमुश्त राशि मिल जाती है. कोई भी व्यक्ति 18 साल से 65 साल की आयु के बीच कभी भी टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) खरीद सकता है. कई मामलों में 75 साल तक के लिए कवरेज देने वाले टर्म प्लान भी उपलब्ध हैं. टर्म प्लान सुनिश्चित करता है कि आपके न रहने पर आपके परिवार को रोटी, कपड़ा, मकान वगैरह की आवश्यकता पूरी होती रहे. यानी बीमाधारक की मौत के बाद परिवार को एकमुश्त राशि मिलती है.
किस उम्र में लेना चाहिए टर्म प्लान?
टर्म इंश्योरेंस जितनी जल्दी ले लेंगे, उतना बेहतर होगा. 20 या 30 की उम्र में लेना सबसे अच्छा है, क्योंकि प्रीमियम कम होता है और कवरेज लंबे समय तक मिलता है. 40 से 50 की उम्र के बीच टर्म प्लान लेने पर प्रीमियम काफी बढ़ जाता है, और स्वास्थ्य जांच भी सख्त हो जाती है. फाइनेंशियल प्लानर हमेशा सबसे पहले टर्म प्लान (Term Plan) लेने की सलाह देते हैं. हर किसी को नौकरी की शुरुआत के साथ टर्म प्लान लेना चाहिए. असल में टर्म प्लान को ही लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी कहते हैं.
कितने अमाउंट का टर्म प्लान लेना चाहिए?
अगर आपके पास लोन या परिवार की जिम्मेदारियां हैं, तो कवरेज 10-15 गुना सालाना आय जितना होना चाहिए. टर्म इंश्योरेंस की सही अमाउंट आपकी व्यक्तिगत वित्तीय जरूरतों और परिस्थितियों पर निर्भर करती है. होम लोन, कार लोन, या अन्य ऋण जैसी आपकी देनदारियों को कवर करने के लिए, आपको एक पर्याप्त कवर की आवश्यकता होगी. अगर आपकी वार्षिक आय ₹10 लाख है, तो आपको कम से कम ₹1 करोड़ का टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए. बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी, या अन्य वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए भी आपको टर्म इंश्योरेंस में इंश्योर्ड अमाउंट को चुनना चाहिए. यही नहीं, टर्म इंश्योरेंस में आप क्रिटिकल इलनेस या एक्सीडेंटल डेथ बेनिफिट जैसे राइडर्स जोड़ सकते हैं, जिससे प्रीमियम भी थोड़ा बढ़ जाता है.
पति या पत्नी के नाम पर लें?
अब सवाल उठता है कि पति-पत्नी में से किसे पहले टर्म प्लान लेना चाहिए, या किसके लिए ज्यादा जरूरी है? फाइनेंशियल प्लानर की मानें तो अगर पति-पत्नी दोनों जॉब में हैं, फिर दोनों को टर्म इंश्योरेंस खरीदना चाहिए. लेकिन अगर दोनों में एक नौकरी यानी जॉब में है, तो फिर ऐसी स्थिति में जो जॉब में है, उसे पहले टर्म इंश्योरेंस लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि वे अक्सर ट्रैवल करते हैं. अगर पति काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं या रोजाना ट्रैवल (Travel) कर दफ्तर जाते हैं, तो उनके लिए टर्म प्लान ज्यादा जरूरी है. क्योंकि रोड पर निकलने से हादसों का खतरा बना रहता है. जबकि पत्नी घर में रहती हैं तो वो इस खतरे से सुरक्षित हैं. वहीं अगर पत्नी नौकरी में है तो उन्हें पहले टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए. महिलाओं के टर्म इंश्योरेंस प्लान सस्ते होते हैं.
ऐसे चयन करें बीमाधारक
इसके अलावा दूसरा पैमाना ये है कि जो घर में कमाऊ है, यानी जिसके ऊपर परिवार का पूरा बोझ है, उसे अवश्य टर्म प्लान लेना चाहिए. क्योंकि उन्ही की कमाई से पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है. ऐसे में उनके नहीं रहने पर टर्म प्लान परिवार की जरूरतों को पूरा करता है. यही नहीं, अगर आपके नाम होम लोन है तो उसे सुरक्षित करने के लिए सबसे पहले टर्म इंश्योरेंस लेना चाहिए.
अगर प्रीमियम की बात करें तो भारत में इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स हेल्दी आवेदकों को टर्म इंश्योरेंस प्लान ऑफर करना चाहते हैं. कम उम्र में आमतौर पर लोग स्वस्थ होते हैं और ऐसे में इंश्योरेंस प्रोवाइडर्स उन्हें कम प्रीमियम पर टर्म प्लान ऑफर करते हैं. अगर आपकी उम्र 30 साल के आसपास है, तो आपको 8,000 से 10,000 रुपये सालाना प्रीमियम पर एक करोड़ रुपये तक का कवर मिल जाएगा. एक बार टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदने के बाद पॉलिसी खत्म होने तक प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं होता है.
इस तरह बचा सकते हैं पैसेः टर्म प्लान खरीदते समय कुछ चीजों का ध्यान रखकर आप अच्छी-खासी सेविंग कर सकते हैं. इसमें सबसे पहली बात तो ये कि आपको सीधे इंश्योरेंस प्रोवाइडर से ऑनलाइन टर्म इंश्योरेंस प्लान खरीदना चाहिए. इससे आप ब्रोकरेज या ब्रोकर के कमीशन की बचत कर लेते हैं.
केवल टर्म प्लान (Term Plan) लेने से नहीं होता है, उसके नियमों को भी पालन करना पड़ता है. टर्म प्लान में हर तरह से मौत पर बीमा राशि नहीं मिलती है. इसलिए अगर आपने पॉलिसी ली है या लेने की सोच रहे हैं तो पहले इसकी पड़ताल कर लें, ताकि बाद में परिवार को आर्थिक संकट से जूझना न पड़े, उससे बेहतर है कि पहले ही पता कर लें कि कैसी स्थितियों में बीमा कंपनियां क्लेम रिजेक्ट कर सकती हैं.
1. नशे में दुर्घटना के दौरान मौत: नशे की हालत में ड्राइविंग के दौरान दुर्घटना में मौत पर क्लेम मिलने में दिक्कतें आ सकती हैं. अक्सर ड्रग्स या शराब के ओवरडोज से मौत के मामलों में क्लेम रिजेक्ट हो जाता है, इसका पहले से पॉलिसी में जिक्र होता है.
2. पॉलिसीधारक की खुदकुशी: टर्म प्लान लेने के एक साल के अंदर अगर पॉलिसीधारक खुदकुशी कर लेता है, तो लिंक्ड प्लान (यूलिप) मामले में नॉमिनी 100 फीसदी पॉलिसी फंड वैल्यू पाने का हकदार है. वहीं नॉन-लिंक्ड प्लान के मामले में नॉमिनी को भुगतान किए गए प्रीमियम की 80 फीसदी राशि दी जाती है. सीधे शब्दों में कहें तो अगर किसी की मौत आत्महत्या से हुई है, तो भी उसके घरवालों को कवर मिलता है. शर्त है कि पॉलिसीधारक की मृत्यु टर्म प्लान लेने के एक साल के बाद होनी चाहिए.
3. नॉमिनी द्वारा पॉलिसीधारक की हत्या: अगर पॉलिसीधारक की हत्या हो जाती है और हत्या का आरोप नॉमिनी के ऊपर हो, तो फिर बीमा कंपनियां क्लेम होल्ड पर डाल देती हैं. अगर आरोपी नॉमिनी दोषमुक्त हो जाता है कि फिर क्लेम की राशि मिल जाती है. लेकिन दोष साबित होने पर क्लेम का एक रुपया नहीं मिलता है.
4. आपराधिक गतिविधियों में हत्या: बीमा नियामक इरडा के नियम के मुताबिक पॉलिसीधारक किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त हो, और फिर उसकी हत्या किसी आपराधिक गतिविधि के दौरान हो जाती है तो फिर क्लेम की राशि नहीं मिल पाती है.
5. खतरनाक स्टंट के दौरान मौत: अगर पॉलिसीधारक की कोई खतरनाक स्टंट करते हुए मौत हो जाती है तो फिर बीमा कंपनियां टर्म प्लान के क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं. इसमें वाहन रेस, स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग, पैरा ग्लाइडिंग और बंजी जंपिंग शामिल है.
6. गंभीर बीमारी छुपाने पर: अगर टर्म पॉलिसी लेते वक्त पॉलिसीधारक ने अपनी कोई पुरानी गंभीर बीमारी को छुपाई, और फिर बाद में इसी बीमारी के चलते पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है तो फिर बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर सकती है. इसके अलावा HIV/AIDS से मौत पर भी क्लेम की राशि नहीं मिलती है.
7. प्राकृतिक आपदा में मौत: अगर पॉलिसीधारक की मौत प्राकृतिक आपदा की चपेट में आने से हो जाती है, तो फिर क्लेम की राशि नहीं मिलती है. बीमा कंपनियां प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, तूफान या साइक्लोन से मौत पर क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं.
8. प्रसव के दौरान मौत: इसके अलावा अगर किसी पॉलिसीधारक महिला की बच्चे के जन्म के दौरान मौत हो जाती है तो इस स्थिति में भी नॉमिनी को मुआवजा कई बार क्लेम की राशि नहीं मिलती. क्योंकि आम टर्म पॉलिसी में यह कवर नहीं होती. इसलिए जब टर्म इंश्योरेंस लें तो उसके सभी पहलुओं को विस्तार से पढ़ लें.