scorecardresearch
 

Smart Idea: बोनस मिलने वाला है... दिवाली शॉपिंग के अलावा कर सकते हैं ये 5 काम 

Festive Bonus: अधिकतर लोग बोनस में मिले पैसे को फेस्टिव शॉपिंग में ही खर्च कर देते हैं. लेकिन अगर आप चाहें तो इस रकम का एक हिस्सा आप अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल हेल्थ को बेहतर करने के लिए अलग रख सकते हैं. 

Advertisement
X
बोनस को सही से इस्तेमाल के टिप्स. (Photo: AI Generated)
बोनस को सही से इस्तेमाल के टिप्स. (Photo: AI Generated)

फेस्टिव सीज़न का आगाज हो गया है, दिवाली से पहले कर्मचारी अपने बोनस का बेसब्री से इंतजार करते हैं ताकि वे फेस्टिव शॉपिंग और खर्चों में इसका इस्तेमाल कर सकें. यूं तो बोनस का इस्तेमाल ऐसे खर्चों के लिए करना स्वाभाविक है. लेकिन आप चाहें तो इस रकम का एक हिस्सा आप अपने लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल हेल्थ को बेहतर करने के लिए अलग रख सकते हैं. 

इस हिस्से का रणनीतिक उपयोग आपके बकाया कर्ज को कम करने, वित्तीय सुरक्षा को मज़बूत करने और आपके लॉन्ग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को जल्द हासिल करने में मदद कर सकता है. Paisabazaar की CEO संतोष अग्रवाल ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं, जिनसे आप अपने फेस्टिव बोनस का उपयोग कर अपने भविष्य को संवार सकते हैं. 

1. इमरजेंसी फंड बनाएं या उसे टॉप-अप करें 
नौकरीपेशा लोगों को कम से कम 6 महीने तक के जरूरी खर्चों जैसे- बिजली-पानी के बिल, EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम, किराया और बच्चों की पढ़ाई वगैरह को पूरा करने जितना इमरजेंसी फंड बनाकर रखना चाहिए. साथ ही, समय के साथ बढ़ती महंगाई और खर्चों को ध्यान में रखते हुए इस फंड को समय-समय पर बढ़ाना या टॉप-अप करना चाहिए.
 
पर्याप्त इमरजेंसी फंड न होने पर आपको अधिक ब्याज दरों पर लोन लेने या महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों के लिए रखे गए निवेशों को तोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. इसलिए जिनके पास पर्याप्त इमरजेंसी फंड नहीं है, उन्हें अपने अतिरिक्त फेस्टिव बोनस का इस्तेमाल अपने इमरजेंसी फंड को बनाने या उसे बढ़ाने के लिए करना चाहिए.

Advertisement

2. लोन की ब्याज लागत कम करने के लिए प्रीपेमेंट करें 
अगर आपका कोई लोन चल रहा है, तो आप अपने बोनस का इस्तेमाल उस लोन के प्रीपेमेंट के लिए कर सकते हैं। यह ब्याज लागत घटाने का एक स्मार्ट तरीका है और खासकर लंबी अवधि वाले लोन के लिए यह अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है. प्रीपेमेंट करते समय लोन अवधि घटाने का विकल्प चुनें, क्योंकि इससे लंबे समय में ज़्यादा बचत होगी. हालांकि, आपकी EMI समान रहेगी. EMI कम करने का विकल्प तभी चुनें जब आप मासिक तौर पर अपनी डिस्पोज़ेबल इनकम (अतिरिक्त रकम) बढ़ाना चाहते हों.

3. लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस बीमा लें 
जीवन बीमा योजनाएं आपके आश्रितों को आपके जाने के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं. आदर्श रूप से, जीवन बीमा कवर आपकी वार्षिक आय के कम से कम 15 गुना होना चाहिए और इसके लिए टर्म इंश्योरेंस सबसे किफायती विकल्प है. इसलिए जिनके पास अपर्याप्त या कोई जीवन बीमा कवर नहीं है, वे अपने फेस्टिव बोनस या उसके एक हिस्से का उपयोग टर्म प्लान खरीदने में लगाने पर विचार कर सकते हैं.
इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि आपके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा और पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी हो, ताकि अस्पताल में भर्ती या दुर्घटना के दौरान होने वाले वित्तीय जोखिम से सुरक्षा मिल सके.

Advertisement

4. शॉर्ट-टर्म के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड और हाई-यील्ड बैंक FDs में करें निवेश
तीन साल के भीतर मैच्योर होने वाले फाइनेंशियल गोल्स को आमतौर पर शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल गोल्स कहा जाता है. इतनी अवधि के निवेश बाज़ार के उतार-चढ़ाव या करेक्शन से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए अक्सर पर्याप्त नहीं होते. इसलिए शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल गोल्स के लिए निवेशकों को उच्च रिटर्न की तुलना में कैपिटल प्रोटेक्शन और आय निश्चितता को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके लिए फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स जैसे- बैंक एफडी और बॉन्ड अधिक उपयुक्त हैं.

इस साल रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती होने से बैंक FD दरों में काफी गिरावट आई है. आगे अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो यह दरें और भी नीचे जा सकती हैं. ऐसे में, स्थिर और सुनिश्चित रिटर्न चाहने वाले कर्मचारी अपने बोनस का उपयोग हाई-यील्ड FDs में निवेश करने के लिए कर सकते हैं. कुछ स्मॉल फाइनेंस बैंक अभी भी पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSU) और बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंकों की तुलना में 100–150 बेसिस प्वाइंट ज़्यादा दरें देते हैं.

इसके अलावा PSU और प्राइवेट सेक्टर बैंकों की तरह, स्मॉल फाइनेंस बैंक को भी RBI ने शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा दिया है और इन बैंकों में खोली गई एफडी DICGC (RBI की सहायक संस्था) के डिपॉज़िट इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत इंश्योर्ड हैं. यह इंश्योरेंस प्रोग्राम प्रत्येक शेड्यूल्ड बैंक में प्रत्येक डिपॉज़िटर द्वारा रखी गई जमा राशि (सेविंग्स, फिक्स्ड, रिकरिंग और करंट अकाउंट) को ₹5 लाख तक सुरक्षित करता है.

Advertisement

जो निवेशक थोड़ा अधिक जोखिम ले सकते हैं, उनके लिए कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना उच्च फिक्स्ड इंटरेस्ट इनकम कमाने का अच्छा विकल्प हो सकता है. ये बॉन्ड्स आमतौर पर बैंक FDs, स्मॉल सेविंग्स स्कीम या सरकारी बॉन्ड्स की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं. ब्याज भुगतान (कूपन पेमेंट) मासिक, तीमाही या अर्धवार्षिक हो सकता है, जो बॉन्ड पर निर्भर करता है. इन बॉन्ड्स द्वारा दिए जाने वाले कूपन रेट (ब्याज दरें) मुख्यतः क्रेडिट रेटिंग्स पर आधारित होते हैं. कम रेटेड बॉन्ड्स अधिक रिटर्न देते हैं ताकि निवेशक द्वारा उठाए गए उच्च जोखिम की भरपाई हो सके. 
ऐसे में, मार्केट रिस्क को कम करने के लिए, ऐसे बॉन्ड्स चुनें जिनकी मैच्योरिटी डेट आपके वित्तीय लक्ष्यों की समयावधि से मेल खाती हो. ऐसा करने से ब्याज दर चक्र, क्रेडिट रेटिंग्स या मार्केट की परिस्थितियों में असामयिक बदलाव के कारण अपने बॉन्ड्स को कम मूल्य पर बेचने का जोखिम कम हो जाएगा. 

5. अपने लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल गोल्स के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनें 
लंबी अवधि में, इक्विटी ने आमतौर पर महंगाई और फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है. यही वजह है कि इक्विटी को लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन के लिए सबसे प्रभावी एसेट क्लास माना जाता है. इसलिए, अगर आपके पास अपनी शॉर्ट-टर्म ज़रूरतों के लिए पहले से पर्याप्त कॉर्पस है, तो अपने बोनस की अतिरिक्त राशि को आपने लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के लिए इक्विटी में, विशेषकर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने पर विचार करें. निवेश के लिए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का तरीका अपनाएं, क्योंकि यह मार्केट में उतार-चढ़ाव के दौरान आपको रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ देगा और मार्केट टाइमिंग की जटिलताओं से भी बचाएगा.
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement