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तेजस्वी का संजय... जिसके चलते भाइयों में आई दरार, क्या वही रणनीतिकार हार का जिम्मेदार

Sanjay Yadav RJD Controversy: संजय यादव की 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका रही, वे तेजस्वी यादव के मुख्य सलाहकार हैं और तेजस्वी उनपर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. इस चुनाव में वे हर जगह तेजस्वी के साथ नजर आए, चाहे वो चुनावी रैली हो या यात्रा.

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संजय यादव को लेकर परिवार और पार्टी में नाराजगी. (Photo: ITG)
संजय यादव को लेकर परिवार और पार्टी में नाराजगी. (Photo: ITG)

बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) के नतीजे आ चुके हैं. फिर एक बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है, जबकि आरजेडी तीसरे नंबर पर खिसक गई है. अब महागठबंधन के नेता इस करारी हार के कारण तलाशेंगे, बैठकें होंगी. वैसे इस चुनाव के बाद आरजेडी को नए सिरे से सोचने और रणनीति बनाने की सबसे ज्यादा जरूरत है. 

यह विधानसभा चुनाव महागठबंधन ने तेजस्वी की अगुवाई में लड़ा, लेकिन परिणाम इतने खराब रहे कि इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी. इससे पहले साल 2015 में 80 सीटों पर RJD को जीत मिली थी, 2020 में पार्टी 75 सीटें जीतने में कामयाबी रही थीं, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता दल 50 सीट तक नहीं पहुंच पाया है. हार के सभी कारण तलाशे जाएंगे, उसमें से एक बड़े कारण संजय यादव हो सकते हैं. 
 
दरअसल, संजय यादव की 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में भूमिका काफी बड़ी और महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि तेजस्वी के वे मुख्य सलाहकार हैं, और तेजस्वी उनपर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. इस चुनाव में हर जगह तेजस्वी के साथ नजर आए, चाहे वो चुनावी रैली हो, यात्रा हो, या फिर बड़े कॉन्‍क्‍लेव. पार्टी में तेजस्वी के बाद दूसरे नंबर पर कहीं कोई नजर आ रहे थे तो वो संजय यादव ही थे. 

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इस विधानसभा चुनाव में पार्टी के ल‍िए सीट बंटवारे से लेकर चुनावे मुद्दे गढ़ने में संजय यादव का गहरा दखल रहा. अब हार के बाद संजय यादव की भूम‍िका और योगदान को लेकर चर्चा भी जरूर होगी, क्या संजय यादव RJD के लिए कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं? आइए सबसे पहले संजय यादव के बारे में जान लेते हैं, वो कौन हैं और कैसे तेजस्वी के इतने करीबी बन गए? 

संजय यादव कौन हैं?
संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं. जब वे धाराप्रवाह बोलते हैं तो उसमें हरियाणवी भाषा की झलक दि‍खती है. उन्होंने कंप्यूटर साइंस में M.Sc और उसके बाद MBA की पढ़ाई की है. यानी उन्हें मैनेजमेंट का ज्ञान है. डेटा एनालिसिस और मैनेजमेंट में माहिर संजय पहले एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. 

कैसे तेजस्वी यादव से हुई दोस्ती?
संजय और तेजस्वी की दोस्ती बहुत पुरानी है. दोनों की दिल्ली में पहली मुलाकात हुई थी. कहा तो ये भी जाता है कि दोनों पहले साथ में क्रिकेट खेला करते थे. साल 2012 से संजय यादव की धीरे-धीरे आरजेडी में सक्रियता बढ़ती गई. क्योंकि उसी समय से तेजस्वी ने उनसे राजनीतिक मामलों पर सलाह लेनी शुरू कर दी थी. फिर तेजस्वी ने उन्हें 'फुल-टाइम' पार्टी से जुड़कर काम करने का ऑफर दिया और संजय यादव पूरी तैयारी के साथ पटना पहुंच गए. 2024 से संजय यादव RJD की तरफ से राज्यसभा सांसद हैं.

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2015 के विधानसभा चुनाव से ही संजय यादव पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. उन्हें तेजस्वी का 'मास्टरमाइंड' सलाहकार भी कहा जाता है, जो उनके विचारों, भाषणों और मीडिया रणनीति में बहुत योगदान देते हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में संजय यादव ने रणनीति के तौर पर आरएसएस प्रमुख की आरक्षण समीक्षा वाली टिप्पणी को जोर-शोर से उठाने, और पार्टी एजेंडा में शामिल करने को लेकर भूमिका निभाई थी. उसके बाद जब लालू यादव रांची की जेल में थे, उस दौरान संजय यादव ने पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत कर ली. 

2025 में संजय यादव का रोल 
विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी ने चुनावी बैठकों और गठबंधन से बातचीत के दौरान कई जगहों पर संजय यादव को अपने साथ रखा. यह साफ दर्शाता है कि रणनीतिक फैसलों में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही. वैसे तो संजय यादव का खास फोकस चुनावी रणनीति तैयार करना, पार्टी की इमेज बदलने में मदद करना और सोशल मीडिया/IT सेल को मजबूत करने पर रहा है. 

संजय ने पार्टी की रणनीति को जातीय समीकरण से ऊपर उठने की सोच देने में मदद की. यही कारण रहा कि तेजस्वी यादव चुनाव से पहले सिर्फ 'यादव-मुस्लिम' वोट बैंक वाली बात को सिरे से नकारते नजर आए.

संजय यादव क्यों हार के जिम्मेदार?
जब आरजेडी के अंदर संजय यादव की बढ़ती ताकतें बढ़ीं तो कुछ नेताओं और पारिवारिक सदस्यों ने भी इसपर नाराज़गी जताई. तेज प्रताप यादव लगातार संजय यादव की भूमिका पर सवाल उठाते आए हैं. यहां तक की कई बार उन्हें 'जयचंद' तक कहा. तेज प्रताप की मानें तो लालू परिवार में फूट डालने के पीछे संजय यादव की साजिश ही रही है. रोहिणी आचार्य भी संजय की भूमिका और प्रभाव पर नाखुशी जता चुकी हैं. यानी पार्टी में संजय यादव का बढ़ता दखल लालू परिवार के कई सदस्यों को भी मंजूर नहीं है. 

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संजय यादव पर क्या-क्या आरोप
- चुनाव से पहले RJD के नेता मदन शाह ने आरोप लगाया कि संजय यादव की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला. टिकट बंटवारे में उनकी मनमानी रही, जिस वजह से कई पुराने कद्दावर नेता भी साइड कर दिए गए. जिस वजह से आरजेडी के पारंपारिक वोट भी छिटकने लगे हैं. 

-आरोप ये भी कि जिस तरह लालू प्रसाद यादव हमेशा जनता से जुड़े रहते थे, उस राजनीति से संजय यादव को तेजस्वी को दूर कर दिया. अब केवल चुनाव के दौरान ही पार्टी के बड़े नेता सक्रिय दिखते हैं. सेहत खराब होने की वजह से लालू प्रसाद यादव फैसले लेने में सक्षम नहीं हैं, और संजय यादव ने पार्टी को अलग दिशा में धकेल दिया है.    

- लालू दौर के कुछ पुराने नेता कहते हैं कि संजय यादव को बिहार की राजनीति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि वो हरियाणा के रहने वाले हैं, बिहार की जातीय समीकरण को वो समझ नहीं पा रहे हैं. क्योंकि उन्हें राजनीति की कोई समझ नहीं है, उनका बैकग्राउंड भी राजनीतिक नहीं रहा है. ये पार्टी का आगे नहीं बढ़ा सकते. अब हार के बाद तो संजय यादव पर उंगली उठना लाजि‍मी है. 

- चुनाव से ठीक पहले एक विवाद तब सामने आया, जब तेजस्वी यादव की 'अधिकार यात्रा' के दौरान बस में संजय यादव उस सीट पर बैठे दिखे, जहां तेजस्वी यादव बैठते थे, यानी तेजस्वी के बाद पार्टी में वे अपने आपको सबसे बड़ा मानकर चल रहे थे.

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अब इस करारी हार के बाद संजय यादव की किरकिरी जरूर होने वाली है. क्योंकि पार्टी में उनकी भूमिका सिर्फ बतौर राजनीतिक सलाहकार तक सीमित नहीं है. उनपर शक्ति के दुरुपयोग या पार्टी को गलत दिशा में ले जाने का आरोप भी लगे हैं. 

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