
चांदी की कीमत लंबे वक्त से थमने का नाम ही नहीं ले रही है. दिवाली के दौरान चांदी की कीमत 1.50 लाख रुपये प्रति किलो के आसपास थी. त्योहारी सीजन में लोगों को उम्मीद थी कि कीमतों में गिरावट आएगी, लेकिन त्योहार के ठीक दो महीने बाद चांदी का भाव 2 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. इसे एक लाख से दो लाख रुपये किलो होने में सालभर का भी वक्त नहीं लगा.
दरअसल, पिछले एक साल से चांदी की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी जा रही है. दिसंबर 2024 में चांदी का भाव करीब 90 हजार रुपये किलो था. जहां से अब भाव दोगुने से भी ज्यादा हो चुका है. शु्क्रवार को चांदी की कीमत MCX पर 205000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई. तमाम एक्सपर्ट्स की चांदी की कीमतों में उछाल को एक अलग संकेत मान रहे हैं.
चांदी की चौतरफा मांग
अब सवाल उठता है कि आखिरी चांदी इतनी महंगी क्यों हो रही है? क्या हर कोई चांदी ही खरीद रहा है या इसके पीछे कोई और कारण है. एक्सपर्ट्स की मानें तो चांदी की चौतरफा डिमांड बढ़ी है. ज्वेलरी के तौर पर चांदी की डिमांड पहले जैसी ही बनी हुई है, लेकिन औद्योगिक मांग ने खेल पलट दिया है. सोना महंगा होने से ग्राहक चांदी की तरह आकर्षित हुए हैं.
चांदी की खरीद-बिक्री के आंकड़े बताते हैं कि अब दुनियाभर में चांदी की मांग अब सिर्फ जेवरों तक सीमित नहीं रही. इलेक्ट्रिक व्हीकल, सोलर पैनल और 5G चिप जैसे आधुनिक उपकरणों में इसकी इस्तेमाल तेजी से बढ़ी है. यानी चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड में अचानक बढ़ोतरी आई है.
दरअसल, बदलते दौर में तमाम छोटे-बड़े देशों का क्लीन एनर्जी और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश बढ़ गया है, जिससे सिल्वर की खपत ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छू रही है. साथ ही दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की डिमांड भी बढ़ रही है, भारत में भी साल-दर-साल इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में इजाफा हो रहा है. साथ ही चांदी सोलर पैनल और कैटेलिटिक कन्वर्टर में भी इस्तेमाल की जाती है.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में चांदी की खपत
यहां बता दें कि वैसे तो हर वाहन में चांदी का इस्तेमाल होता है. लेकिन हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आम पेट्रोल-डीजल वाहनों के मुकाबले ज्यादा चांदी का इस्तेमाल होता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि आम पेट्रोल-डीजल कारों में करीब 15-28 ग्राम चांदी लगती है, हाइब्रिड वाहनों में करीब 18-34 ग्राम चांदी का इस्तेमाल होता है. जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में आमतौर पर कम से कम 25 ग्राम और अधिकतम 50 ग्राम चांदी इस्तेमाल होती है.
इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में सबसे ज्यादा चांदी का उपयोग होता है, बेहतरीन इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए स्विच, कनेक्टर, सेंसर (जैसे एयरबैग, पावर विंडो), और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में चांदी की इस्तेमाल होती है. जिससे वाहन अधिक सुरक्षित और हाईटेक बनते हैं.

यानी कार छोटी है या बड़ी, महंगी है या सस्ती, सभी में चांदी का इस्तेमाल होता है. एक सामान्य इलेक्ट्रिक कार के सोलर पैनल, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, ट्रांसमिशन के साथ इलेक्ट्रिक इंजन, हाई वोल्टेज इलेक्ट्रिक केबल, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम और बैटरी पैक में चांदी का इस्तेमाल होता है.
जानकार बताते हैं कि इलेक्ट्रिक कार को सुचारू रूप से चलाने के लिए हर इलेक्ट्रिक कनेक्शन को चांदी से कोट दिया जाता है. एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में चांदी की मांग और बढ़ने वाली है. क्योंकि वाहनों में लगातार हाईटेक फीचर्स अपडेट हो रहे हैं.
चांदी की जमाखोरी भी एक कारण
भारत में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग व्यवस्था बेहतर होगी और बैटरी स्वैपिंग सर्विस शुरू होगी, ग्राहकों का भरोसा भी इलेक्ट्रिक वाहनों पर बढ़ेगा. फिर साथ ही चांदी के दाम में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई सीमित हो रही है, कुछ देशों में जमाखोरी की भी खबर से कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
भारत दुनिया के सबसे बड़े सिल्वर उपभोक्ताओं में से एक है, लेकिन देश में सालाना करीब 700 टन चांदी का उत्पादन होता है, जबकि खपत कई हजार टन होती है, इसलिए ज्यादातर चांदी आयात की जाती है. साल 2024 में भारत ने रिकॉर्ड 7600 टन चांदी का आयात किया था. यह मांग इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर, इलेक्ट्रिकल और अन्य तकनीकी उपयोग से आती है. भारतीय ज्वेलरी बाजार में चांदी की मांग दुनिया में सबसे ज्यादा है. सालाना करीब 2730 टन चांदी सिर्फ गहनों के लिए इस्तेमाल हुई. पिछले कुछ वर्षों में सिक्कों और बार के रूप में निवेश की डिमांड में भी बढ़ोतरी देखी गई है.