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RBI का बड़ा ऐलान: अब T-Bill में करें SIP, पैसे की गारंटी लेगी सरकार, जानिए क्या होगा फायदा

यह पहल म्यूचुअल फंड में SIP की तर्ज पर बनाई गई है, इसका उद्देश्य रिटेल निवेशक को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए सक्षम बनाना है. T-Bills सरकारी उपक्रम होता है, इसलिए इसे जोखिम-मुक्त माना जाता है.

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घरेलू बॉन्ड मार्केट को मजबूत करने की दिशा में ये कदम. (Photo: ITGD)
घरेलू बॉन्ड मार्केट को मजबूत करने की दिशा में ये कदम. (Photo: ITGD)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम निवेशक के लिए सरकारी प्रतिभूतियों, खासकर ट्रेजरी बिल्स (T-Bills) में निवेश को और आसान बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति की बैठक के दौरान रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के जरिये T-Bills में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरू करने की घोषणा की.

दरअसल, यह पहल म्यूचुअल फंड में SIP की तर्ज पर बनाई गई है, इसका उद्देश्य रिटेल निवेशक को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए सक्षम बनाना है. T-Bills सरकारी उपक्रम होता है, इसलिए इसे जोखिम-मुक्त माना जाता है, और इसमें लिक्विडिटी का संकट भी नहीं होता है. जिससे ये Retail Investors के लिए आकर्षित करता है. वित्तीय विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना की है. घरेलू बॉन्ड मार्केट को मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक कदम बताया. 

रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म क्या है?
रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म को RBI ने नवंबर 2021 में रिटेल डायरेक्ट स्कीम (RDS) के तहत शुरू किया था. यह प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत निवेशकों को RBI के साथ गिल्ट खाते (Gilt Accounts) खोलने और सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities या G-Secs) में सीधे निवेश करने की सुविधा देता है. इसके जरिए निवेशक प्राथमिक नीलामी (Primary Auctions) में भाग ले सकते हैं और द्वितीयक बाजार (Secondary Market) में इन प्रतिभूतियों का ट्रेड भी कर सकते हैं. 

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मई 2024 में रिटेल डायरेक्ट मोबाइल ऐप के लॉन्च ने इस प्रक्रिया को और अधिक आसान बना दिया गया है, जिससे निवेशक अपने स्मार्टफोन से ही इसे मैनेज कर सकते हैं. सिस्टम में लगातार अपडेट से Retail Investors के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश को और आकर्षक बनाते हैं.

ट्रेजरी बिल्स (T-Bills) क्या है?
T-Bills भारत सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले अल्पकालिक ऋण उपकरण (Short-Term Debt Instruments) हैं, जिनका उपयोग सरकार की अस्थायी तरलता जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है. ये निम्नलिखित अवधियों में जारी किए जाते हैं:

14 दिन
91 दिन
182 दिन
364 दिन

T-Bills ब्याज नहीं देते, बल्कि इन्हें छूट पर (डिस्काउंट पर) खरीदा जाता है और मैच्योरिटी पर अंकित मूल्य (Face Value) पर भुनाया जाता है. इससे निवेशक को पूंजी वृद्धि (Capital Appreciation) के रूप में रिटर्न मिलता है. 

एक उदाहरण से समझते हैं, अगर 91 दिन का T-Bill 130 रुपये के अंकित मूल्य के साथ 128 रुपये में खरीदा जाता है, तो मैच्योरिटी पर निवेशक को 130 रुपये मिलेंगे, यानी 2 रुपये का लाभ होगा, इसमें न्यूनतम निवेश 10,000 रुपये करना होता है, अधिक के लिए इसमें मल्टीपल निवेश का विकल्प होता है. 

T-Bills में SIP कैसे कर सकते हैं?
RBI ने रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म पर T-Bills के लिए SIP शुरू करने की सुविधा दी है, जो निवेशकों को नियमित अंतराल (वीकली, मंथली) पर ऑटोमैटिक निवेश करने की अनुमति देता है. निवेशक इन नियमों को कभी भी संशोधित या रद्द कर सकते हैं. इससे हर नीलामी में मैनुअल बोली लगाने की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे निवेश प्रक्रिया सरल और समय-कुशल हो जाती है. 

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इसके अतिरिक्त, SIP सुविधा निवेशकों को अपने निवेश को व्यवस्थित करने और दीर्घकालिक बचत की योजना बनाने में मदद करती है. उदाहरण के लिए, कोई निवेशक हर महीने 10,000 रुपये के T-Bills में निवेश करने के लिए SIP सेट कर सकता है, और यह राशि स्वचालित रूप से अगली नीलामी में निवेश हो जाएगी. 

कितना होता है फायदा
यह प्लेटफॉर्म म्यूचुअल फंड की तरह नियमित निवेश को प्रोत्साहित करता है, जिससे Retail Investors को सेविंग की आदत बनती है. T-Bills सरकार द्वारा समर्थित होते हैं, इसलिए जोखिम-मुक्त हैं. ये बचत खातों (2-3% ब्याज) की तुलना में बेहतर रिटर्न (आमतौर पर 6-7% वार्षिक, अवधि और बाजार दरों पर निर्भर) प्रदान करते हैं. निवेशक अपनी जरूरतों के अनुसार ऑटो-बिड नियमों को बदल सकते हैं.

रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
वहीं RBI ने इस घोषणा के साथ ही रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा. आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक गतिविधियों पर केंद्रीय बैंक की पैनी नजर है. 
 

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