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Alert: ITR-3 की ऑनलाइन फाइलिंग शुरू, जानिए किसे भरना होगा ये फॉर्म

आयकर विभाग (Income Tax Department) ने जानकारी दी है कि ई-फाइलिंग पोर्टल पर ITR-3 फॉर्म की ऑनलाइन फाइलिंग शुरू कर दी है. जानिए किन-किन लोगों को ITR-3 का फॉर्म भरना होगा.

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ITR-3 एक ही स्थान पर तमाम आय की रिपोर्ट करने का प्लेटफॉर्म है. (Photo: ITGD)
ITR-3 एक ही स्थान पर तमाम आय की रिपोर्ट करने का प्लेटफॉर्म है. (Photo: ITGD)

अगर आपको शेयर ट्रेडिंग (फ्यूचर्स और ऑप्शंस, F&O) या फिर प्रोफेशनल आय हुई है तो आपको इनकम टैक्स दाखिल करने के लिए ITR-3 का फॉर्म भरना होगा. दरअसल, आयकर विभाग (Income Tax Department) ने जानकारी दी है कि ई-फाइलिंग पोर्टल पर ITR-3 फॉर्म की ऑनलाइन फाइलिंग शुरू कर दी है.

ऐसे में शेयर ट्रेडिंग (जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस), व्यवसाय आय, या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से आय अर्जित करने वाले व्यक्ति अब ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से सीधे ITR-3 दाखिल कर सकते हैं.

बता दें, 30 जुलाई, 2025 को आयकर विभाग ने एक नोटिफिकेशन में बताया कि आयकर रिटर्न फॉर्म ITR-3 अब ऑनलाइन मोड के माध्यम से दाखिल करने के लिए उपलब्ध है. 

ITR-3 कौन दाखिल कर सकता है?
ITR-3 उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए लागू है, जो बिजनेस से या प्रोफेशनल आय अर्जित करते हैं. इसे एक व्यापक या 'मास्टर' फॉर्म माना जाता है, क्योंकि यह योग्य फाइलरों को एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार की आय की रिपोर्ट करने का प्लेटफॉर्म देता है.

ITR-3 दाखिल करने की पात्रता मानदंड
किसी भी व्यवसाय या पेशे में शामिल व्यक्ति या HUF (चाहे टैक्स ऑडिट के अधीन हो या नहीं)
मकान संपत्ति, वेतन या पेंशन, पूंजीगत लाभ, और अन्य स्रोतों से आय अर्जित करने वाले.
साझेदारी फर्म से पारिश्रमिक प्राप्त करने वाले व्यक्ति.

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किसे ITR-3 दाखिल नहीं करना है...
व्यक्ति और HUF के अलावा अन्य संस्थाएं.
जिनके पास व्यवसाय, पेशा, या साझेदारी फर्म से पारिश्रमिक से आय नहीं है. 
जो ITR-1, ITR-2, या ITR-4 फॉर्म दाखिल करने के योग्य हैं. 

आयकर विभाग के अनुसार, ITR-3 में कई महत्वपूर्ण अपडेट किए गए हैं:
शेड्यूल-कैपिटल गेन्स: अब 23 जुलाई, 2024 से पहले और बाद में किए गए लाभ को अलग-अलग रिपोर्ट करना होगा, जो वित्त अधिनियम, 2024 में किए गए संशोधनों के बाद है.
शेयर बायबैक पर पूंजीगत नुकसान: 1 अक्टूबर, 2024 के बाद बायबैक से संबंधित लाभांश आय को 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत घोषित करने पर पूंजीगत नुकसान का दावा किया जा सकता है.
संपत्ति और देनदारी घोषणा की सीमा: कुल आय 1 करोड़ रुपये से अधिक होने पर अनिवार्य संपत्ति और देनदारी घोषणा की सीमा बढ़ा दी गई है.
सेक्शन 44BBC: क्रूज शिप व्यवसाय से आय की रिपोर्टिंग के लिए प्रिजम्पटिव टैक्सेशन के तहत शामिल किया गया.
कटौती की बढ़ी हुई रिपोर्टिंग: सेक्शन 80C और 10(13A) जैसे कटौतियों के लिए बढ़ी हुई रिपोर्टिंग आवश्यकताएं.
शेड्यूल-TDS में नया TDS सेक्शन कोड: TDS सेक्शन कोड की रिपोर्टिंग की नई आवश्यकता. 

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