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EPFO ने कर दिया बड़ा बदलाव, अब 2 नहीं 12 महीने में निकलेगा PF का पूरा पैसा

EPFO Rule Change: ईपीएफओ की ओर से पीएफ निकासी से जुड़े तमाम नियमों में बदलाव किया गया है. इसके जरिए PF Withdrawl को और आसान बनाया गया है और नौकरी पेशा मिनिमम बैलेंस को छोड़ पूरा पैसा निकास सकेंगे.

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ईपीएफओ ने नियमों किए हैं बड़े बदलाव (File Photo: ITG)
ईपीएफओ ने नियमों किए हैं बड़े बदलाव (File Photo: ITG)

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने अपने नियमों में बदलाव (EPFO Rule Change) का ऐलान किया है. इसके तहत जहां PF खाते से जमा पैसों की निकासी की प्रक्रिया को आसान किया गया है, तो वहीं डॉक्युमेंटेशन के झंझट को भी खत्म करने का फैसला लिया गया है. इस बीच ईपीएफओ ने एक और बड़ा बदलाव करते हुए प्रीमैच्योर फाइनल सेटलमेंट (यानी नौकरी जाने छोड़ने पर सेटलमेंट) की टाइमलाइन को मौजूद दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने किया है, जबकि पेंशन के मामले में ये 36 महीने की गई है.

इससे नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों को पीएफ खाते में जमा अपना पूरा पैसा निकालने के लिए अब ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है. आइए पांच पॉइंट में समझते हैं पीएफ के तहत क्‍या-क्‍या बदला है? 

पहला पॉइंट : पीएफ से 75% निकालना आसान
सोमवार को हुई सीबीटी की 238वीं बैठक में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया के नेतृत्व में कई बड़े फैसलों को मंजूरी दी गई. इसके तहत कर्मचारियों के लिए उनके पीएफ खाते में जमा पैसे निकालना अब और भी आसान किया गया है. अब सदस्य खाते में मिनिमम बैलेंस को छोड़कर पूरी राशि को आसानी से निकाल सकते हैं. मतलब अकाउंट में कुल जमा फंड का 25% रखना अनिवार्य है, जबकि नौकरीपेशा अब बाकी का बचा पूरा 75% पैसा आसानी से निकाल सकते हैं. इससे पहले यह लिमिट सीमित थी, जिसके तहत पूरी राशि निकालने की अनुमति सिर्फ बेरोजगारी या रिटायरमेंट की स्थिति में मिलती थी. 

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दूसरा पॉइंट: मिनिमम बैलेंस से जुड़ा नियम
जहां नौकरीपेशा के लिए सीबीटी ने पूरी रकम निकालने को मंजूरी दी है, तो वहीं ये भी तय किया गया है कि पीएफ खाते में 25% की राशि न्यूनतम बैलेंस के तौर पर बनी रहेगी. इस जमा राशि पर मौजूदा 8.25% की दर से ब्याज जुड़ता रहेगा और कंपाउंडिंग का फायदा भी मिल सकेगा. जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों को पेंशन फंड का लाभ भी मिल सकेगा. 

तीसरा पॉइंट: निकासी के लिए कारण बताना जरूरी नहीं
ईपीएफओ ने एक और राहत देते हुए पीएफ निकासी को और भी आसान बनाने के लिए डॉक्युमेंटेशन और कारण बताने के झंझट से मुक्ति दी है. मतलब अब 75 फीसदी पैसा निकालने के लिए आपको कोई कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी. इससे पहले निकासी के कारण का जिक्र विद्ड्रॉल फॉर्म में करना होता था. आपदा, महामारी, नौकरी जाने समेत अन्य स्थितियों में भी बिना कारण बताए पैसे निकाले जा सकेंगे. ये फैसला क्लेम सेटलमेंट के मामलों में तेजी के लिए लिया गया है. 

चौथा पॉइंट: फाइनल सेटलमेंट का इंतजार बढ़ा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से इन बदलावों के संबंध में जारी बयान के मुताबिक, अब प्री-मेच्योर फाइनल सेटलमेंट की अवधि में भी बदलाव किया गया है और इसे मौजूदा 2 महीने से बढ़ाकर एक साल कर दिया है. ऐसे में कर्मचारियों को नौकरी जाने या छोड़ने के बाद पूरा पैसा निकालने के लिए अब ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं फाइनल पेंशन विद्ड्ऱॉल के लिएये लिमिट अब दो महीने नहीं, बल्कि 36 महीने की जा रही है. हालांकि, नौकरी जाने जैसी किसी स्थिति का जिक्र नहीं किया है, बल्कि कहा है कि आंशिक पीएफ निकासी को उदार बनाने की वजह से मेंबर अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स या पेंशन से समझौता किए बिना तात्कालिक आर्थिक जरूरतें पूरी कर सकेंगे. 

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पांचवां पॉइंट: जरूरत पर ज्यादा बार निकासी संभव
EPFO के अन्य फैसलों में एक अहम ये भी है कि तमाम जरूरतों के लिए निकासी करने की लिमिट को भी बढ़ाया गया है. जैसे एजुकेशन के लिए अब 10 बार पीएफ निकासी की जा सकेगी, तो वहीं शादी के लिए जरूरत पड़ने पर 5 बार रकम निकाल सकेंगे. इससे पहले ये लिमिट 3 आंशिक निकासी तक सीमित थी. इसके अलावा एक और राहत भरा फैसला लिया गया है, जिसके तहत आंशिक निकासी के लिए अलग-अलग मामलों में सर्विस टेन्योर की लिमिट को एक किया गया है, जो 12 महीने तय की गई है. 

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