सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को व्यवस्था दी कि भारतीय रिजर्व बैंक सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आने वाले मामलों और बकायदारों से संबंधित सूचनाएं रोक नहीं सकता है. साथ ही उन बैंकों और वित्तीय संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो बदनामी वाले कारोबारी व्यवहार में संलिप्त हैं.
RBI खुद दे रहा है साथ
न्यायमूर्ति एमवाई इकबाल और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने कहा कि हमारा अनुमान है कि कई वित्तीय संस्थाएं ऐसा काम कर रही हैं जो न तो साफ सुथरा है और न ही पारदर्शी है. रिजर्व बैंक इनके साथ मिलकर उनके कृत्यों को जनता की नजरों से बचाने की कोशिश कर रहा है.
कड़ी कार्रवाई करना RBI की जिम्मेदारी
न्यायालय ने कहा कि यह रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है कि वह उन बैंकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे जो इस तरह के अशोभनीय कारोबारी व्यवहार कर रही हैं. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय रिजर्व बैंक वित्तीय संस्थाओं के साथ गोपनीयता या विश्वास की आड़ में सूचना देने से इंकार नहीं कर सकता है और आम जनता द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने के लिये जवाबदेह है.
RBI और दूसरे बैंकों का रवैया गलत
पीठ ने कहा कि रिजर्व बैंक और दूसरे बैंकों ने विश्वास के रिश्ते और आर्थिक हितों की दुहाई देते हुए अपेक्षित सूचना उपलब्ध कराने की जनता की मांग को दरकिनार किया है. रिजर्व बैंक का यह रवैया उनमें और अधिक संदेह और अविश्वास को ही जन्म देगा. नियामक प्राधिकरण के रूप में रिजर्व बैंक को बैंकों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह बनाना चाहिए.
जनहित को बनाए रखना RBI की जिम्मेदारी
न्यायालय ने कहा कि सूचना के अधिकार कानून की धारा 2(एफ) के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि निरीक्षण रिपोर्ट और दस्तावेज सूचना के दायरे में आते हैं, जो सार्वजनिक प्राधिकार (रिजर्व बैंक) निजी संस्था से प्राप्त करती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक का यह कर्तव्य है कि आमतौर पर जनहित को बनाए रखना.