गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के करीब 19 महीनों बाद खाड़ी देश कतर ने मोदी सरकार से नेचुरल गैस को जीएसटी दायरे में लाने की अपील की है. कतर की ओर से कहा गया है कि जीएसटी दायरे में आने के बाद भारत की ऊर्जा मांग में हमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी. यहां बता दें कि कतर हर साल भारत को 80.5 लाख टन लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) सप्लाय करता है. यह किसी भी देश की ओर से भारत को सबसे अधिक आपूर्ति है. कतर दुनिया में LNG का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर माना जाता है. दुनिया के करीब 30 फीसदी LNG का उत्पादन यहीं होता है.
कतर गैस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी खालिद बिन खलीफा अल-थानी ने कहा कि भारत हमारे लिए काफी अहम बाजार है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत को बुनियादी संरचना विकसित करने की आवश्यकता है ताकि देश के हर हिस्से में स्वच्छ ईंधन पहुंचाया जा सके.’’ उन्होंने आगे कहा कि लिक्विफाइड नेचुरल गैस को जीएसटी के सारे फायदे मिलने चाहिए. हम इस संबंध में सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे. सरकार अगर इसे जीएसटी के दायरे में लाती है तो इससे भारत की ऊर्जा मांग में उसे अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और पर्यावरण के अनुकूल इस ईंधन की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी. बता दें कि बीते साल अक्टूबर में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट ने भी देश की कराधान नीति की आलोचना की थी. उसने कहा था कि भारत में उसकी विस्तार योजनाओं के समक्ष यह बड़ी अड़चन है.
ओपेक देशों से बाहर हो चुका है कतर
नेचुरल गैस प्रोडक्शन का हवाला देते हुए इसी साल जनवरी में कतर तेल उत्पादक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपेक) हुआ है.बता दें कि ओपेक दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों का संगठन है और इसकी अगुआई सऊदी अरब करता है. इस संगठन में ईराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, इरान, लीबिया, वेनेजुएला और ज्यूनिया जैसे देश भी शामिल हैं.