प्रमुख अमेरिकी कंपनी जीई ने भारत के असैन्य परमाणु कार्य्रकम में भाग लेने की संभावनाओं को खारिज कर दिया. कंपनी ने दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता की सिविल देनदारी से जुड़ी शर्तो के ‘जोखिमों’ का हवाला दिया है. कंपनी ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जबकि भारत की अमेरिकी सरकार के साथ एक सहमति बन रही है.
जीई के चेयरमैन जेफ इमेल्ट से जब पूछा गया कि क्या कंपनी भारत के असैन्य परमाणु ऊर्जा कार्य्रकम में निवेश करेगी तो उन्होंने कहा,‘मैं अपनी कंपनी को किसी भी कीमत पर जोखिम में नहीं डालूंगा. कोई इतनी मूल्यवान परियोजना नहीं है जिसके लिए जीई को जोखिम में डाला जाए. कतई नहीं.’ उन्होंने कहा कि,‘बाकी दुनिया में एक मानक सिविल देनदारी व्यवस्था है.’
इमेल्ट ने कहा,‘ जब हम निवेश के बारे में सोचते हैं तो जो कुछ भी होता है उसमें भारत व बाकी दुनिया में समरूप होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि कंपनी चाहेगी कि अमेरिका सरकार व भारत सरकार मिलकर काम करते रहे लेकिन ‘ आखिर में हम यहां कारोबार करने के लिए किसी तरह का अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाने जा रहे हैं.’
इनपुट : भाषा