बजट से पहले केंद्र सरकार ने देश के करीब 2,500 निर्यातकों का 40,000 करोड़ रुपये का एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) रिफंड रोक दिया है. असल में राजस्व के मोर्चे पर सरकार लक्ष्य पूरा करती नहीं दिख रही. ऐसे में इस कदम को राजस्व की तंगी से जोड़कर ही देखा जा रहा है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने निर्यातकों का यह रिफंड रोका है. हालांकि, इसके पीछे वजह यह बताई गई है कि कई निर्यातकों के फर्जी बिल के इस्तेमाल कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की शिकायतें मिली हैं और इन आईटीसी के आधार पर निर्यातकों को आईजीएसटी क्रेडिट का भुगतान कर दिया गया है.
CBIC ने अपने फील्ड दफ्तरों को निर्देश दिया है कि इन निर्यातकों का निर्धारित समय के भीतर वेरिफिकेशन किया जाए ताकि ईमानदार निर्यातकों को किसी तरह की समस्या न हो.
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क्या कहा CBIC ने
23 जनवरी को जारी एक सर्कुलर में CBIC के जीएसटी पॉलिसी विंग ने अपने सभी आयुक्तों से कहा है कि वे उन सभी निर्यातकों को इसकी जानकारी दे दें जिनके मामले की वेरिफिकेशन की जानी है ताकि उनके वेरिफिकेशन की औपचारिकता पूरी करने के बाद फंड जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो सके.
सर्कुलर में कहा गया है, 'पिछले कुछ महीनों में फर्जी तरीके से क्रेडिट हासिल कर धन हासिल करने या निर्यात वस्तुओं पर आईजीएसटी के रिफंड के द्वारा अवैध तरीके से क्रेडिट हासिल करने के मामले सामने आए हैं. वेरिफिकेशन करने पर कई निर्यातक का अस्तित्व ही नहीं मिला. इन सभी मामलों में यह पाया गया कि निर्यातकों ने फर्जी बिल के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हासिल किए और इन आईटीसी का इस्तेमाल कर निर्यात पर आईजीएसटी रिफंड लिए.'
जीएसटी कलेक्शन ठीक लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से बेहद कम
गौरतलब है कि सरकार राजस्व के मोर्चे पर जूझ रही है. वैसे जीएसटी कलेक्शन तो ठीक रहा है. यह दिसंबर में लगातार दूसरे महीने 1 लाख करोड़ के पार पहुंचा है. दिसंबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 3 हजार 184 करोड़ रुपये रहा. इससे पहले नवंबर में जीएसटी कलेक्शन कुल 1,03,492 करोड़ रुपये रहा था. लेकिन 3 जनवरी तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने महज 7.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जबकि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य 13.5 लाख करोड़ रखा था.
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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 जनवरी तक टैक्स डिपार्टमेंट ने सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपये ही जुटाए हैं. पिछले वित्त वर्ष में सामान अवधि से अगर तुलना करें तो टैक्स कलेक्शन 5.5 फीसदी कम है.
डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन ज्यादा महत्वपूर्ण
कहने का मतलब ये है कि चालू वित्त वर्ष (1अप्रैल 2019- 31 मार्च 2020) में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य लगभग 6.2 लाख करोड़ रुपये दूर है. यहां बता दें कि सरकार के सालान रेवेन्यू में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का हिस्सा करीब 80 फीसदी होता है. जाहिर सी बात है, रेवेन्यू कम होने की स्थिति में सरकार को कर्ज लेना पड़ सकता है.
(https://www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)